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रिश्ता टॉक्सिक होने के बाद भी कुछ लोग उसे ढोते रहते हैं, एक्सपर्ट बता रही हैं इसके कारण

भारतीय समाज का ताना-बाना बहुत जटिल है। यहां अच्छा और बुरा केवल दो शब्दों में किसी व्यक्ति या रिश्ते को बयां कर पाना आसान नहीं। दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि सही विकल्प को ढूंढ पाने में बहुत समय लग जाता है।
महिलाएं कई सालों तक शोषण को बर्दाश्त करती रहती हैं और विभिन्न कारणों से उस रिश्ते से बाहर नहीं निकल पातीं। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 19 Mar 2024, 08:22 am IST
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कई महिलाएं ऐसे रिश्ते में होती हैं जहां केवल लड़ाई-झगड़े, गाली- गलौज होती है, लेकिन उसके बाद भी वो उसे रिश्ते में बनी रहती हैं। ऐसे टॉक्सिक रिश्ते से भी बाहर आने की उनमें हिम्मत नहीं हो पाती। उम्र, आर्थिक-सामाजिक स्तर के बदलने से भी यह स्थिति नहीं बदल पाती। प्रोफेशनल फ्रंट पर बहुत कॉन्फिडेंस और सफल नजर आने वाले लोग भी कई बार अपने रिश्तों में घुट रहे होते हैं। आखिर क्यों होता है ऐसा? आइए समझने की कोशिश करते हैं।

टॉक्सिक रिश्ते और कुछ न कर पाने की मजबूरियां (Toxic relationships and the compulsion to do nothing)

आपने कई बार अपने आस पड़ोस में ही देखा होगा कि शादी के कई साल हो जाने के बाद भी पति-पत्नी में अकसर लड़ाई-झगड़ों की आवाजें आती रहती हैं। कई बार ये झगड़े सिर्फ बेडरूम तक सीमित रहते हैं, तो कभी-कभी ये पब्लिक भी हो जाते हैं। ऐसे लोगों को देखकर अकसर यह ख्याल आता है कि ये लोग क्यों एक-दूसरे को इतना झेल रहे हैं? और अलग क्यों नहीं हो जाते?

लोग क्या कहेंगे की सोच भी लोगो को टॉक्सिक रिश्ते में बने रहने के लिए मजबुर करती है। चित्र-अडोबी स्टॉक

इसके लिए हमने बात की रिलेशनशिप एक्सपर्ट रुचि रूह से। रुचि भी इस बात पर सहमति जताती हैं कि महिलाएं कई सालों तक शोषण को बर्दाश्त करती रहती हैं और विभिन्न कारणों से उस रिश्ते से बाहर नहीं निकल पातीं। इन कारणों की गहराई में जाएं तो पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराई जा सकती है।

कारण जिनकी वजह से महिलाएं टॉक्सिक रिश्ते को लंबे समय तक झेलती रहती हैं

1 लोग क्या कहेंगे सिंड्रोम (what will people say syndrome)

रूचि बताती हैं, “समाज में लोग क्या कहेंगे, लोगों की नजरों में कैसे दिखेंगे, इस तरह की सोच बहुत से लोगों को अपने टॉक्सिक रिलेशनशिप में बने रहने के लिए मजबूर कर देती है। मेरे और उनके परिवार के लोग बाद में मेरे साथ कैसा व्यवहार करेंगे , इस तरह की चिंताएं महिलाओं को ज्यादा परेशान करती हैं।
पर आपको यह भी सोचना चाहिए कि आपके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है? लोग या आप खुद? अपनी मेंटल-फिजिकल हेल्थ और सेल्फ ग्रोथ को प्राथमिकता पर रखें और आगे बढ़ने का फैसला करें।”

2 अपनी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना (Depend on others for your needs

यह दूसरा मगर ज्यादा गंभीर कारण है। पढ़ी-लिखी होने के बावजूद अब भी बहुत सारी महिलाएं अपनी आवश्यकताओं और आत्मनिर्भरता के बारे में पूरी तरह जागरुक नहीं हैं। महिलाएं अगर किसी भी रूप में पुरूषों पर निर्भर हैं, तो वे किसी भी तरह के अत्याचार और शोषण को सहती रहेंगी।

किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे पहली जरूरत आत्मनिर्भरता है। चाहे वो इमोशनल हो, फानेंशियल या फिजिकल। अपनी चीजों के बारे में खुद सोचकर और खुद कर के आप इन चीजों से मुक्ति पा सकते है।

महिलाएं अगर किसी भी रूप में पुरूषों पर निर्भर हैं, तो वे किसी भी तरह के अत्याचार और शोषण को सहती रहेंगी। चित्र : एडोबी स्टॉक

3 कॉन्फिडेंस का कम होना (lack of confidence)

आत्मविश्वास की कमी टॉक्सिक रिलेशनशिप को झेलने की एक महत्वपूर्ण वजह हो सकती है, जिसमें व्यक्ति अपने आप को असमर्थ मानता है। यह पार्टनर पर डिपेंडेंसी का अनुभव करने से भी हो सकता है। इसकी वजह से व्यक्ति खुद के साथ और अपनी क्षमताओं के साथ असुरक्षित महसूस करता है।
जिन लोगों में कॉन्फिडेंस की कमी होती है, उन लोगों को यह लगता है कि अलग होने के बाद लाइफ में प्रोब्लम्स ज्यादा हो सकती हैं।

4 अकेले हो जाने का दुख (the sadness of being alone)

रूचि बताती हैं कि अकेलापन का डर भी आपको टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहने के लिए विवश कर सकता है। उनमें ये डर रहता है कि वे अगर इस इंसान को छोड़कर गईं, तो अकेली हो जाएंगी। खासतौर से तब जब आप मां बन चुकी हैं। आपको यह लग सकता है कि अलग होने के बाद बच्चे की परवरिश मुश्किल हो सकती है।

ध्यान रखें

रिलेशनशिप एक्सपर्ट रुचि रूह कहती हैं, “मैं अपने अनुभव से कहती हूं कि ऐसा कोई भी रिश्ता जिसे आप डर से निभा रहीं हैं, आपको सुकून नहीं दे सकता। ऐसे रिश्ताें में रहने वाली महिलाएं न केवल ज्यादा बीमार होती हैं, बल्कि उनमें एजिंग भी तेजी से होने लगती है। रिश्ता छोड़ना भले ही जरूरी न हो, पर हर रिश्ते में आपके लिए सम्मान और स्पेस होना बहुत जरूरी है। ताकि आप सेल्फ ग्रोथ पर काम कर सकें।”

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संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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