हम अगर हमेशा अपनी असफलता के बारे में सोचते रहते हैं, तो इसका मतलब है हमारा मेंटल हेल्थ खराब है। क्योंकि विचार ही सबसे अधिक मेंटल हेल्थ को प्रभावित करते हैं। सफलता पाने के लिए और जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमारा दिमागी तौर पर स्वस्थ होना जरूरी है। इसके लिए हमें खुद से प्रयास करना चाहिए। मेन्टल वेलबीइंग के लिए हमें जरूरी कदम उठाना चाहिए। इसके लिए एक्सपर्ट के बताये 5 स्टेप्स को फॉलो (mental well being) किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य से ही हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और यहां तक कि सोशल वेलनेस भी जुड़ा है। यह हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है। यह यह निर्धारित करने में भी मदद करता है कि हम तनाव को कैसे संभालें। हम दूसरों से कैसे जुड़ें और बॉन्डिंग बनाएं। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के हर चरण में महत्वपूर्ण है। यह बचपन, किशोरावस्था, एड़ल्टहुड से लेकर ओल्ड ऐज तक जरूरी है।
अच्छे रिश्ते मानसिक भलाई के लिए महत्वपूर्ण हैं। इससे अपनेपन और आत्म-सम्मान की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी। लोगों से जुड़कर बॉन्डिंग बनाने से सकारात्मक अनुभव साझा करने का अवसर मिलता है। दूसरों को भावनात्मक समर्थन देने से आपको भी समर्थन मिलता है। यदि संभव हो, तो हर दिन अपने परिवार के साथ रहने के लिए समय निकालें।
एक साथ रात का खाना खाने के लिए एक निश्चित समय की व्यवस्था करने का प्रयास करें। उन दोस्तों के साथ एक दिन बिताने की व्यवस्था करें, जिन्हें आपने कुछ समय से नहीं देखा है। किसी कुलीग के साथ दोपहर का भोजन करें। किसी ऐसे मित्र या परिवार के सदस्य से मिलें, जिसे सहायता या साथ की आवश्यकता हो। संबंध बनाने के लिए केवल तकनीक या सोशल मीडिया पर निर्भर न रहें। आमने-सामने बैठकर बातें करें।
सक्रिय रहना शारीरिक स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए अच्छा है। यह मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकता है। फिज़िकली एक्टिव रहने से आत्म-सम्मान बढ़ता है। लक्ष्य या चुनौतियां निर्धारित करने और उन्हें हासिल करने में मदद मिलती है। मस्तिष्क में केमिकल परिवर्तन होने से मूड को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद मिल सकती है। वॉकिंग, रनिंग और एरोबिक व्यायाम के साथ-साथ मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने, संतुलन में सुधार करने और जॉइंट पेन को कम करने के लिए स्ट्रेंथ और लचीलेपन वाले व्यायाम किये जा सकते हैं।
शोध से पता चलता है कि नई स्किल सीखने से मानसिक सेहत में सुधार हो सकता है। आत्मविश्वास बढ़ सकता है। नै स्किल सीखने से दूसरों से जुड़ने में मदद मिलती है। ऐसा लग सकता है कि आपके पास पर्याप्त समय नहीं है या आपको नई चीजें सीखने की जरूरत नहीं है, तो भी इसे जीवन में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। कुछ नया पकाना सीखने का प्रयास करें। स्वस्थ, संतुलित आहार खाने के बारे में जानें।
ऑफिस में नई ज़िम्मेदारी लेने का प्रयास करें, जैसे किसी जूनियर स्टाफ को सलाह देना या अपनी प्रस्तुति कौशल में सुधार करना। DIY प्रोजेक्ट पर काम करना भी इसके अंतर्गत आ सकता है। जैसे टूटी हुई बाइक, गार्डन गेट या किसी बड़ी चीज़ को ठीक करना। कोई नई भाषा या प्लंबिंग जैसी प्रैक्टिकल स्किल भी सीखी जा सकती है। नए शौक आज़माएं, जो आपके लिए चुनौती हों। ब्लॉग लिखना, कोई नया खेल अपनाना या पेंटिंग सीखना।
हार्वर्ड हेल्थ के शोध बताते हैं कि जरूरतमंद की मदद करने, दूसरों को देने से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। इससे सकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं। इससे खुद को अच्छा लगता है। यह दूसरे लोगों से जुड़ने में मदद करता है। किसी ने आपके लिए जो कुछ किया है, उसके लिए उसे धन्यवाद कहना भी मेंटल वेलबीइंग के लिए जरूरी है। उन दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ समय बिताना, जिन्हें सहायता या साथ की ज़रूरत है। स्वयंसेवा देना, जैसे स्कूल, अस्पताल या देखभाल गृह में मदद करना भी इसमें शामिल है।
वर्तमान क्षण पर अधिक ध्यान देने से मानसिक सेहत में सुधार हो सकता है। इसमें आपके विचार, भावनायें, आपका शरीर और आस-पास की दुनिया शामिल है। इस जागरूकता को माइंडफुलनेस (mental well being) भी कहा जा सकता है। माइंडफुलनेस जीवन का अधिक आनंद लेने और खुद को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है। यह जीवन के बारे में महसूस करने के तरीके और चुनौतियों से निपटने के तरीके को सकारात्मक रूप से बदल (mental well being) सकता है।
यह भी पढ़ें :- मिडिल एज में ज्यादा शराब पीना है ओल्ड एज में डिमेंशिया को दावत देना, जानिए कैसे