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Halo Effect : क्या आप जानते हैं हेलो इफेक्ट के बारे में, जो अकसर गलत इमेज का कारण बनता है

किसी व्यक्ति के एक गुण के आधार पर उसे सर्वगुण सम्पन्न मान लेना या किसी व्यक्ति में एक कमी के कारण उसे बेकार मान लेना, ये दोनों ही विचार गलत हैं। विशेषज्ञ इसे पूर्वाग्रह सम्बन्धी कॉग्निटिव डिसऑर्डर ‘हेलो इफेक्ट’ का नाम देते हैं। इस मनोविकार के बारे में इस आलेख में विस्तार से जानते हैं।
किसी ख़ास व्यक्ति को बहुत अच्छा मान लेना व्यक्ति का एक प्रकार का बिहेवियर डिसऑर्डर है, जिसे विशेषज्ञ हेलो इफ़ेक्ट का नाम देते हैं। चित : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 31 Oct 2023, 14:15 pm IST
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आलेख में जिस घटना का अभी उल्लेख किया जा रहा है, संभवतः हर व्यक्ति अपने जीवन में इससे कभी न कभी रूबरू हुआ होगा। याद है कि छोटी क्लास में पढाई करते समय एक पीयर गर्ल टीचर की सजा पाने से हमेशा बच जाया करती थी। चाहे उसने कितनी भी बड़ी गलती की हो। दरअसल, उसके बारे में टीचर सहित पूरे स्कूल ने यह मान लिया था कि वह कभी किसी प्रकार की गलती कर ही नहीं सकती। क्योंकि वह पढ़ाई में काफी होशियार थी। उसकी गलती की सजा किसी और को दे दी जाती। बड़े होने पर यह बात समझ में आई कि किसी ख़ास व्यक्ति को बहुत अच्छा मान लेना व्यक्ति का एक प्रकार का बिहेवियर डिसऑर्डर है, जिसे विशेषज्ञ हेलो इफ़ेक्ट का नाम देते हैं। कैसा है यह हेलो इफेक्ट (Halo Effect) और उसके दुष्परिणाम से कैसे बचा जा सकता है जानते हैं विशेषज्ञ से।

किसी व्यक्ति को ईश्वर की तरह मान लेना (Behavioral disorder) 

एक इंटरव्यू के दौरान इंफोसिस को फाउंडर और मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति ने कहा था कि एक प्रोग्राम के सिलसिले में एयरवेज के एक सहयात्री ने उन्हें सामान्य कपड़ों में देखकर अपना मुंह बुरा-सा बना लिया था । दरअसल वे हेलो इफेक्ट के शिकार थे। उनके मन में यह धारणा गहरे बैठी थी कि बिजनेस टायकून लकदक कपड़े और लटके-झटके दिखाने वाले होते हैं। ठीक इसी तरह का पूर्वाग्रह लोग खिलाड़ियों, अभिनेता और अभिनेत्रियों को लेकर भी पाल लेते हैं।

लोग ऐसा मान लेते हैं कि यदि कोई खिलाड़ी मैदान पर चौके-छक्के मार रहा है, तो निश्चित तौर पर वह बढ़िया इंसान होगा। साउथ इंडिया में ‘हेलो इफेक्ट’ के कारण ही अभिनेत्रियों के मंदिर बनाकर लोग उन्हें पूजने लग जाते हैं।

संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह (Cognitive Bias)

सीनियर सायकोलोजिस्ट डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘हेलो इफेक्ट एक प्रकार का संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह(Cognitive Bias) है। इसमें किसी व्यक्ति के बारे में हमारी समग्र धारणा प्रभावित हो जाती है। हम उनके चरित्र के बारे में अलग-सा महसूस करने लग जाते हैं और सोचते हैं। हम किसी ख़ास व्यक्ति के बारे में यह अनिवार्य रूप से मान लेते हैं कि वह अच्छा ही होगा। वह व्यक्ति विशिष्ट गुणों से लैस होगा। किसी व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह उसके पूरे व्यक्तित्व के मूल्यांकन (Halo Effect) को प्रभावित कर देती है।’

फिजिकल अपीयरेंस का बढ़ जाता है महत्व (Physical Appearance)

डॉ. ईशा सिंह बताती हैं, ‘पब्लिक फिगर को इसी वजह से लोग आकर्षक, सफल और अक्सर पसंद किए जाने योग्य मान लेते हैं। वे उन्हें बुद्धिमान और सर्वगुण संपन्न मान लेते हैं। फिजिकल अपीयरेंस अक्सर हेलो इफेक्ट का हिस्सा बनते हैं। जिन लोगों को आकर्षक माना जाता है, उन्हें अन्य गुणों में भी बढ़िया मान लिया जाता है। व्यक्ति का हेलो यानी आभामंडल ऐसा बनता है कि एक गुण की धारणा पक्षपाती रवैया अपना कर अवगुणों को भी गुण में बदल देती है।’

फिजिकल अपीयरेंस अक्सर हेलो इफेक्ट का हिस्सा बनते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

पहली बार कब पता चला

मनोवैज्ञानिक एडवर्ड थार्नडाइक ने पहली बार 1920 में अपने रिसर्च पेपर में हेलो प्रभाव शब्द को गढ़ा था। थार्नडाइक ने अमेरिकी सैनिकों का मूल्यांकन कर पाया कि कैसे किसी व्यक्ति का एक गुण अन्य विशेषताओं के आकलन पर हावी हो जाती है। उन्होंने पाया कि किसी विशेष गुण की हाई रेटिंग अन्य विशेषताओं की हाई रेटिंग से संबंधित होती है। किसी विशिष्ट गुण की नकारात्मक रेटिंग के कारण अन्य विशेषताओं की रेटिंग भी कम हो जाती है।

कौन होते हैं सबसे अधिक प्रभावित

डॉ. ईशा सिंह के अनुसार, एजुकेशन और वर्क प्लेस, ये दो स्थान हैं, जहां के लोग हेलो इफेक्ट से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। हेलो इफेक्ट का प्रभाव सबसे अधिक अप्रेजल टाइम (Halo effect in Appraisal Time) में देखा जाता है।

सीनियर अक्सर एम्प्लाइ के संपूर्ण प्रदर्शन और योगदान की बजाय किसी एक विशेषता की धारणा के आधार पर किसी की रेटिंग कर लेते हैं। उदाहरण के लिए कोई एक एम्प्लोयी उत्साही है, तो जानकारी या जरूरी स्किल के अभाव के बावजूद वह दूसरों की तुलना में आगे निकल सकता है

हेलो इफेक्ट से बचाव के उपाय (How to prevent Yourself from Halo Effect)

यदि आप खुद हेलो इफेक्ट से ग्रस्त हैं, तो किसी के प्रति बाएस्ड होने से पहले इन बातों पर गौर करें।

1 तुरंत अपने-आपको इसके दुष्परिणाम की याद दिलाएं। यह सोचें कि यदि आपके साथ ऐसा हो, तो क्या परिणाम हो सकता है।
2 किसी से पहली बार मिल रही हैं, तो उसके बारे में अच्छा या बुरा पूर्वाग्रह तुरंत न पालें। किसी के भी करेक्टर के बारे में कुछ भी तुरंत निर्णय नहीं लेने का प्रयास आपके पूर्वाग्रह की आदत को कम कर सकता है

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किसी से पहली बार मिल रही हैं, तो उसके बारे में अच्छा या बुरा पूर्वाग्रह तुरंत न पालें। चित्र : अडोबी स्टॉक

3 अपने आप को याद दिलाएं कि एक बार जब उस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली जाए, तभी उसकी सटीक छवि मिल सकती है।
4 कभी भी एक-दूसरे की तुलना नहीं करें। हरेक व्यक्ति की अपनी-अपनी खासियत जरूर होती है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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