लॉग इन

पीरियड्स के दौरान ब्लोटिंंग जितना ही नॉर्मल है वेट गेन, जानिए इसका कारण और इससे बचने के उपाय

पीरियड से पहले वज़न का बढ़ना प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का संकेत है। हांलाकि महिलाएं वेटगेन के कारण खानपान में कटौती करने लगती है। जानते हैं कि पीरियड में वज़न बढ़ना सामान्य है या नहीं (Period weight gain)।
जानते हैं कि पीरियड में वज़न बढ़ना सामान्य है या नहीं (Period weight gain)। चित्र ; शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 1 Mar 2024, 21:00 pm IST
ऐप खोलें

महिलाओं के शरीर को हर माह एक बदलाव से होकर गुज़रना पड़ता है यानि मेंस्ट्रुअल साइकिल। इसके चलते महिलाओं को पीरियड क्रैंप, ब्लोटिंग, ब्रेकआउट और सिरदर्द समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मगर एक ऐसी समस्या है, जिससे अधिकतर महिलाएं ग्रस्त होती है, जी हां पीरियड से पहले वज़न का बढ़ना। इस समस्या की गिनती प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम में की जाती है। हांलाकि महिलाएं वेटगेन के कारण खानपान में कटौती करने लगती है, जिसका शरीर पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। जानते हैं कि पीरियड में वज़न बढ़ना सामान्य है या नहीं (Period weight gain)।

पीरियड के दौरान वज़न बढ़ना उचित है या अनुचित

इस बारे में बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रितु सेठी का कहना है कि पीरियड साइकिल के समय अधिकतर महिलाओं को वज़न बढ़ने की समसरू से दो चार होना पड़ता है। ब्लोटिंग के कारण पेट फूला हुआ नज़र आता है। मगर पीरियड के दौरान शरीर में आने वाला ये बदलाव न केवल सामान्य है बल्कि पूरी तरह से अस्थायी होता है। शरीर में हार्मोनल बदलाव के चलते प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे मूड स्विंग और ब्रेक आउट के साथ शरीर में वॉट रिटेंशन की समस्या बढ़ने लगती है। इसे प्री.मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम भी कहा जाता है।

यू एस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज़ के अनुसार पीरियड के समय 90 फीसदी महिलाओं को प्री.मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से होकर गुज़रना पड़ता है। इसके चलते महिलाओं को वेटगेन, ब्लोटिंग, सिरदर्द और मूड स्विंग का सामना करना पड़ता है। रिसर्च के अनुसार 30 की उम्र के बाद आमतौर पर महिलाओं को प्री.मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है।

दरअसल प्री.मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम उस कंडीशन को कहते है, जिसमें महिलाओं को ओवूल्यूशन के बाद और पीरियड से पहले कई शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों से होकर गुज़रना पड़ता है। शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिरने से इन समयस्याओं से जूझना पड़ता है।

पीरियड के दौरान हार्मोनल परिवर्तन का असर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टरैक यानि जीआई में भी देखने को मिलता है। । चित्र-शटरस्टॉक।

जानते है पीरियड के दिनों में बढ़ने वाले वज़न के कारण

1. हार्मोनल चेंज

पीरियड से पहले शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिरने लगता है, जो शरीर में फ्लूइड को रेगुलेट करने में मदद करते हैं। हार्मोनल बदलाव आने से वॉटर रिटेंशन की समस्या का सामना करना पड़ता है, जिससे ब्लोटिंग बढ़ने लगती है। वॉटर रिटेंशन के चलते पेट और ब्रेस्ट में पफ्फीनेस बढ़ने लगती है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार पीरियड से पहले 92 फीसदी महिलाओं के शरीर में इन बदलावों को महसूस किया जाता है।

2. ब्लोटिंग का सामना

पीरियड के दौरान हार्मोनल परिवर्तन का असर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टरैक यानि जीआई में भी देखने को मिलता है। इसके चलते गैस और सूजन की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। पेट में वॉटर रिटेंशन होने से सूजन की समस्या का सामना करना पड़ता है।

ब्लोटिंग से पेट फूला हुआ लगने लगता है। दरअसल, पेट में ऐंठन प्रोस्टाग्लैंडिंस के कारण होने लगती है। दरअसल, प्रोस्टाग्लैंडिंस यूटर्स में कान्टरैक्शंस करके उसकी लाइनिंग को निकाल देता हैं।

3. ओवरइटिंग है कारण

महावारी से पहले शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है, जो शरीर में एपिटाइट को स्टीम्यूलेट करने में कारगर है। इससे व्यक्ति पहले से ज्यादा खाने लगता है। एस्ट्रोजन सेरोटोनिन को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। इस न्यूरोट्रांसमीटर से मूड को नियंत्रित किया जाता है। एस्ट्रोजन कम होने से भूख ज्यादा लगने लगती है।

महावारी से पहले शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है, जो शरीर में एपिटाइट को स्टीम्यूलेट करने में कारगर है। चित्र शटरस्टॉक

4. मैगनीशियम की कमी

मैगनीशियम की कमी के चलते शरीर में निर्जलीकरण की समस्या का सामना करना पड़ता है। पीरियड के दिनों में बढ़ने वाली इस समस्या के चलते हाई शुगर फूड की डिज़ायर बढ़ने लगती है। इसके चलते वेटगेन का सामना करना पड़ता है। मैगनीशियम एक ऐसा महनरल है, जो शरीर में हाइड्रेशन को मेंटेन रखता है।

वज़न बढ़ने की समस्या से बचने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें

1. हेल्दी फूड खाएं

शुगर क्रेविंग से बचने के लिए अनहेल्दी फूड खाने की जगह मौसमी फलों का सेवन करें। इससे शरीर में बढ़ने वाली कैलोरीज़ की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद मिलने लगती है। इसमें मौजूद नेचुरल शुगर मीठा खाने की क्रेविंग को कम कर देती है और मौजूद फाइबर की मात्रा से पेट लंबे वक्त तक भरा हुआ लगता है।

2. खुद को हाइड्रेट रखें

एचित मात्रा में पानी का सेवन करने से शरीर वॉटर रिटेंशन की समस्या से बचा रहता है। दिनभर में घूंट घूंट तक हर थोड़ी देर बात पानी पीएं। इससे शरीर में कमज़ोरी और थकान कम होने लगती है। साथ ही ब्लोटिंग व वेटगेन से भी बचा जा सकता है।

3. एक्सरसाइज़ करें

दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करने से शरीर हेल्दी और फिट बना रहता है। पीरियड़स के दिनों में मॉडरेट एक्सरसाइज़ करें। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन उचित बना रहता है और कैलोरी गेन की समस्या से भी शरीर बचा रहता है।

इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन उचित बना रहता है और कैलोरी गेन की समस्या से भी शरीर बचा रहता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

4. तनाव से दूर रहें

इन दिनों में शरीर में बढ़ने वाला हार्मोनल असंतुलन शरीर में तनाव को बढ़ा देता है। सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो मूड को रेगुलेट करने में मदद करता है। इसके स्तर में कमी आने से शरीर में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में तनाव से दूर रहें और खुद को खुश रखने का प्रयास करें।

ये भी पढ़ें- आपकी टाइट जींस भी हो सकती है इनर थाइज़ में रैशेज का कारण, जानिए इनसे कैसे बचना है

ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख