मौसम में बदलाव के साथ त्वचा संबधी समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है। खुद को स्लिम और फिट दिखाने के लिए वे लोग जो अक्सर टाइट कपड़े पहनते हैं। वे आसानी से त्वचा संबधी समस्याओं की चपेट में आ जाते थे। खासतौर से लंबे वक्त तक टाइट जीन्स या स्कर्ट पहनने से इन्नर थाइज़ में पसीने की समस्या बढ़ने लगती है, जो बैक्टीरियल इंफैक्शन का कारण बनने लगता है। इससे खुजली, रैशेज और जलन होने लगती हैं। दरअसल, ब्रीथएबल कपड़े न पहनने से ये समस्या बढ़ने लगती हैं। जानते हैं इन्नर थाइज़ रैशेज से राहत पाने के कुछ आसान उपाय (rash on inner thigh)।
इस बारे में बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ रितु सेठी बताती हैं कि अक्सर मोटापे, सिंथेटिक कपड़े पहनने और मौसम में बदलाव आने से पसीने की समस्या बनी रहती है। इससे थाइज़ के इन्नर साइड में पसीना सूखने की बजाय चिपकने लगता है, जो फंगल इंफै्क्शन, इचिंग और यूटीआई का कारण साबित होता है। इससे बचने के लिए वेजाइना को ड्राइ रखें और ब्रीथएबल कपड़े पहनें। साथ ही अपने कपड़ों और टॉवल को अन्य लोगों से शेयर करने से बचें।
केमिकल युक्त प्रोडक्ट इंटिमेट हाइजीन को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इससे त्वचा का पीएच लेवल बिगड़ने लगता है, जो वेजाइनल ड्राईनेस का कारण साबित होता है। ऐसे में वेजाइनल एरिया को क्लीन करने के लिए इंटिमेट वॉश को रोज़ाना और ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से बचें।
प्यूबिक हेयर को रिमूव करने के लिए रेज़र को बिना क्लीन किए प्रयोग करने से यौन संबधी समस्याओं और जॉक इच का सामना करना पड़ता है। इसके चलते थाइज़ के दोनों ओर रैशेज़ बढ़ने लगते है, जो स्किन इंफेक्शन का जोखिम भी बढ़ा देते हैं।
डॉ रितु सेठी के अनुसार सिंथेटिक कपड़ों को पहनने से पसीना इन्नर थाइज़ से चिपकने लगता है। इससे खुजली की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो रैशेज का जोखिम बढ़ा देता है। इसके अलावा टाइट कपड़े पहनने से भी पसीना सूख नहीं पाता, जिससे जॉक इच और वेजाइनल बंप बनने लगते हैं।
वे लोग जो स्किन एलर्जी से ग्रस्त रहते हैं, उनमें रैशेज की समस्या आसानी से बढ़ने लगती है। स्किन की सेंसिटीविटी के चलते त्वचा में खुजली, जलन और रैशेज का जोखिम बना रहता है। एयरफ्लो उचित न होने से एरिया डार्क, स्वैटी और इची रहने लगता है।
एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लामेटरी प्रापर्टीज़ से भरपूर एलोवेरा जेल को रैशेज पर लगाने से त्वचा में बढ़ने वाली खुजली और जलन से मुक्ति मिल जाती है। एनआईउच के अनुसार सदियों से एलोवेरा जेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य, ब्यूटी, मेडिसिनल और स्किन केयर के लिए होता आया है।
नारियल के तेल में एंटीसेप्टिक और मॉइश्चराइजिंग गुण पाए जाते हैं। सेचुरेटिड फैट्स से भरपूर नारियल के तेल को रैशेज पर लगाने से इंफ्लामेशन से मुक्ति् मिल जाती है और त्वचा पर बढ़ने वाली खुजली व एलर्जी से राहत मिल जाती है।
सोडियम कार्बोनेट यानि बेकिंग सोडा को स्किन पर लगाने से त्वचा संबधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। इसमें पाई जाने वाली एंटी बैक्टीरियल प्रापर्टीज़ के चलते त्वचा को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। नेशनल एग्जिमा एसोसिएशन के अनुसार एक बाल्टी पानी में एक चौथाई कप बेकिंग सोडा मिलाकर बाथ लेने से त्वचा मॉइश्चराइज़ रहती है और स्किन रैशेज दूर होने लगते हैं।
अमेरिकन सोसायटी ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के अनुसार टी ट्री ऑयल में मौजूद एंटी माइक्रोबियल गुण त्वचा पर बढ़ने वाली इचिंग से राहत दिलाती है। थिन लेयर को रैशेज पर अप्लाई करने से त्वचा पर मौजूद जलन दूर होने लगती है। इसे ऑलिव ऑयल के साथ मिक्स करके त्वचा पर लगाने से फायदा मिलता है।
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