तनाव और मोटापा दो बेहद कॉमन लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है, जो आज के समय में ज्यादातर लोगों की परेशानी का कारण हैं। क्या आपको मालूम है तनाव और मोटापा एक दूसरे से इंटरकनेक्टेड होते हैं। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में बढ़ता तनाव आपको मोटापे का शिकार बना सकता है। अब आप सोच रही होंगी ये कैसे मुमकिन है? ऐसे कई रिसर्च और स्टडी सामने आए हैं, जो इस बात को पूरी तरह से प्रमाणित करते हैं। ऐसे में हेल्थ शॉट्स आपके लिए लेकर आया है, स्ट्रेस और ओबेसिटी के बीच के लिंक से संबंधी कुछ जरूरी जानकारी। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से (stress lead obesity)।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित स्टडी के अनुसार मोटापा तनाव का कारण बनता है, और तनाव मोटापे का कारण बनता है। तनाव कॉग्निटिव प्रोसेस जैसे कि सेल्फ रेगुलेशन को प्रभावित कर सकता है। वहीं तनाव कैलोरी, फैट और चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थों की क्रेविंग्स को बढ़ा देता है, जिससे की बॉडी फंक्शन सामान्य रूप से कार्य नहीं करता। वहीं स्ट्रेस भूख बढ़ाने वाले हार्मोंस जैसे लेप्टिन और घ्रेलिन का उत्पादन बढ़ा सकता है। ऐसे में अधिक भूख लगती है और संतुष्टि महसूस नहीं होता। जिसकी वजह से हम अधिक मात्रा में कैलोरी लेते हैं, और ओवरईटिंग भी करते हैं।
तनाव की स्थिति में आमतौर पर लोग गतिहीन हो जाते हैं, मतलब कि वे सामान्य दिनों की तुलना में फिजिकली कम एक्टिव हो जाते हैं। वहीं यदि तनाव लंबे समय तक बना रहे तो शारीरिक स्थिरता बॉडी में फैट स्टोरेज का कारण बनती है। इसके साथ ही तनाव नींद के चक्र को प्रभावित कर सकता है। नींद की अवधि जितनी कम होगी, वजन बढ़ने की फ्रीक्वेंसी उतनी ही अधिक होगी।
शरीर में बढ़ता कॉर्टिसोल का स्तर अनहेल्दी खाद्य पदार्थों की क्रेविंग्स को बढ़ाने के साथ ही आपके सामान्य खानपान की आदतों को प्रभावित कर सकता है। इस दौरान होने वाले भावनात्मक बदलाव की वजह से आपको अलग-अलग प्रकार के खाद्य पदार्थों की क्रिविंग्स होती है, जिसकी वजह से वेट गेन हो सकता है।
तनाव की स्थिति में आप जिस प्रकार असंतुलित रूप से खाना शुरू कर देते हैं, ठीक उसी प्रकार तनाव में कुछ लोगो का भूख दब जाता है, और मील स्किप करना शुरू कर देते हैं। लंबे समय तक भूखे रहने से व्यक्ति असंतुलित रूप से खाना शुरू कर देते हैं, जिससे वेट गेन हो सकता है।
तनाव की स्थिति में बहुत से लोगों को नींद नहीं आती है। नींद की कमी के कारण बॉडी हार्मोंस असंतुलित हो सकते हैं और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं आपको परेशान करना शुरू कर देती हैं। इन्ही परेशानियों में से एक है मोटापा।
पब मेड सेंट्रल के अनुसार कोर्टिसोल आपके फैट और कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म को उत्तेजित करता है, जिससे आपके शरीर में एनर्जी प्रोड्यूस होता है। जबकि यह प्रक्रिया जीवित रहने की स्थितियों के लिए आवश्यक है, यह आपकी भूख भी बढ़ाती है। इसके अतिरिक्त, जब आप तनाव में होती है तो बॉडी में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिसकी वजह से मीठा, फैटी और नमकीन खाद्य पदार्थों की क्रिविंग्स बढ़ जाती है।
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इसका मतलब यह है कि आप एक संतुलित भोजन की तुलना में फ्रेंच फ्राइज़ और मिल्कशेक का अधिक सेवन करना शुरू कर सकते हैं। कोर्टिसोल की अधिकता से बॉडी में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम हो सकता है। इससे मांसपेशियों में कमी आ सकती है, साथ इसकी वजह से आपके बॉडी की कैलोरी बर्निंग कैपेसिटी भी कम हो जाती है।
यदि आप तनावग्रस्त रहती हैं, या क्रॉनिक स्ट्रेस जैसी समस्या से ग्रसित हैं, तो आपको इसे नजरअंदाज करने या हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए। तनाव को नियंत्रित करने के लिए कई स्वस्थ विकल्प उपलब्ध हैं, उन्हें अपने नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना आप इस पर नियंत्रण पा सकती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंसबसे जरूरी है योग, मेडिटेशन आदि जैसी गतिविधियों में भाग लेना, जो आपके मेंटल हेल्थ को स्थापित करने में मदद करेंगे। उसके बाद आप वर्कआउट और एक्सरसाइज जैसी फिजिकल एक्टिविटी से अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण चीज है स्ट्रेस ईटिंग को अवॉइड करना, जिसके लिए आपको स्ट्रेस ट्रिगर को पहचानना जरूरी हो जाता है। आप स्ट्रेस ईटिंग को हेल्दी ईटिंग में बदल सकते हैं। तनाव की स्थिति में अपने आसपास हेल्दी खाद्य पदार्थों को रखें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप जंक फूड की जगह नट्स, सीड्स आदि जैसे स्नेक्स ले सकें।
इसके अलावा स्ट्रेस ईटिंग को अवॉइड करने के लिए फुट मसाज देने से मदद मिलती है। इससे आपको रिलैक्स महसूस होता है और आपका ध्यान भटकता है। वहीं ब्लैक टी स्ट्रेस और अनचाहे क्रेविंग्स दोनों को कंट्रोल करने में प्रभावी रूप से कार्य करती है।
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