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नियमित रूप से 10 मिनट ध्यान करना फर्टिलिटी भी बढ़ा सकता है, समझिए ये कैसे काम करता है

नियमित रूप से मेडिटेशन करने से मेंटल और फिजिकल हेल्थ, दोनों को लाभ पहुंचता है। ध्यान लगाने से जो हॉर्मोन का सीक्रेशन होता है, वह रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी फायदा पहुंचाता है। इससे फर्टिलिटी भी बढ़ सकती है।
जो लोग ध्यान का अभ्यास करते हैं, उनमें डीएचईए हार्मोन की दर उन लोगों की तुलना में 43% अधिक होती है, जो ध्यान का अभ्यास नहीं करते हैं। चित्र : अडॉबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 24 Mar 2024, 20:00 pm IST
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मेडिटेशन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों के लिए फायदेमंद है। एक निश्चित समय तक ध्यान करने से शरीर हार्मोन जारी करता है। यह रिप्रोडक्टिव हेल्थ में भी मदद करता है। इन हार्मोनों में से एक कोर्टिसोल है, जो तनाव पैदा करने के लिए दोषी माना जाता है। ध्यान करने से कोर्टिसोल के स्तर को कम किया जा सकता है।मेडिटेशन व्यापक रूप से हार्मोन जारी करता है, जो प्रजनन यात्रा, गर्भावस्था और जन्म के दौरान मदद करता है। सबसे अच्छी बात यह है कि ध्यान फर्टिलिटी बढ़ाने में भी मदद (effect of meditation on fertility) कर सकता है।

कैसे काम करता है ध्यान (how does meditation work on fertility)

मेडिटेशन डीएचईए हार्मोन (DHEA) के उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है। जो लोग ध्यान का अभ्यास करते हैं, उनमें डीएचईए हार्मोन की दर उन लोगों की तुलना में 43% अधिक होती है, जो ध्यान का अभ्यास नहीं करते हैं। यह हार्मोन पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह एक हेल्दी ओव्यूलेशन चक्र को बनाए रखने में मदद करता है। यह अंडों की जीवन शक्ति को भी बढ़ाता है।

गर्भधारण की संभावना पर असर (effect of meditation on fertility)

ध्यान डीएचईए हार्मोन अंडे सहित कोशिकाओं की लोंगेविटी को भी बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इससे कोशिकाओं को होने वाली क्षति को भी कम करता है। लंबी अवधि तक ध्यान करने पर एग और स्पर्म की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इस तरह गर्भधारण की संभावना पर भी असर पड़ता है।
ध्यान करने से लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन रिलीज (meditation releases oxitocin) होता है, जो जन्म, बच्चे के साथ जुड़ाव और मिल्क प्रोडक्शन में मदद करता है। ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन के साथ मिलकर अच्छे मूड को बढ़ाता है।

ध्यान डीएचईए हार्मोन अंडे सहित कोशिकाओं की लोंगेविटी को भी बढ़ाने के लिए जाना जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

प्रजनन क्षमता पर ध्यान के प्रभावों पर अध्ययन (meditation effect on reproductive health)

प्रजनन क्षमता या फर्टिलिटी पर ध्यान और माइंडफुलनेस के प्रभावों पर कई अध्ययन हुए हैं। अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि मेडिटेशन से न सिर्फ फर्टिलिटी बढ़ाने में मदद मिली, बल्कि आईवीएफ के बाद गर्भवती होने वाली महिलाओं में तनाव, एंग्जाइटी, प्रसव आत्मविश्वास और प्रसव पीड़ा में उल्लेखनीय सुधार देखा गया।
इंटिमेट हेल्थ जर्नल की स्टडी बताती है कि योग दोनों पार्टनर को इनफर्टिलिटी से उबरने में मदद कर सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति में सुधार करके हेल्पिंग रिप्रोडक्टिव ट्रांसफॉर्मेशन सक्सेस रेट को बढ़ा सकता है।

ओवरऑल हेल्थ में सुधार (Meditation for overall health) 

योग के कारण दर्द में कमी, अवसाद, एंग्जाइटी और तनाव में कमी हो सकती है। वेजाइनल प्रसव और फीटस हेल्थ में भी सुधार हो सकता है। जर्नल ऑफ एंडोमेट्रियोसिस एंड पेल्विक पेन डिसऑर्डर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 12 सप्ताह तक लगातार मेडिटेशन से आईवीएफ की प्रतीक्षा कर रही इनफर्टिलिटी की शिकार महिलाओं की ओवरऑल हेल्थ में भी सुधार हुआ। कार्यक्रम में माइंडफुलनेस मेडिटेशन, रिलैक्स टेक्नीक और ध्यान के कई सत्र शामिल थे।

फर्टिलिटी और मेडिटेशन का क्या है कनेक्शन (fertility and meditation connection)

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जिनमें ध्यान के लाभ पाए गए हैं। यह जरूरी नहीं है कि यह प्रजनन क्षमता से सीधा जुड़ा हुआ हो। तनाव कम करने, हार्मोन को संतुलित करने और समग्र मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने से प्रजनन परिणामों में मदद मिल सकती है। नियमित रूप से 10 मिनट ध्यान फायदा पहुंचा सकता है।

तनाव कम करने, हार्मोन को संतुलित करने और समग्र मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने से प्रजनन परिणामों में मदद मिल सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

ध्यान के अलावा प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए धूम्रपान न करें। तम्बाकू प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। गर्भधारण करने का प्रयास करते समय शराब को सीमित करें या उससे बचें।
भारी मात्रा में शराब पीने से ओवुलेशन संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक होता है। कैफीन का भी सेवन सीमित रूप में करें। बहुत कठिन या बहुत देर तक व्यायाम न करें। विषाक्त पदार्थों से बचें।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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