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Wall yoga poses for Period: पीरियड क्रैम्प्स में राहत दे सकते हैं ये 4 वॉल योगा पोज

पीरियड के दौरान क्रैम्प्स, ब्लोटिंग और फ्लो कम या ज्यादा होना, पीसीओडी आम समस्याएं हैं। यदि यहां बताये गये आसनों को नियमित रूप से किया जाये, तो इन समस्याओं से हमेशा के लिए राहत मिल सकती है। इन्हें कम समय में और आसानी से किया जा सकता है।
जो लोग प्रतिदिन थोड़ा-सा समय भी योग और प्राणायाम पर देते हैं, वे लाइफ और करियर दोनों को बेहतर तरीके से मैनेज कर पाते हैं। चित्र : एडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:16 am IST
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घर-बाहर की जिम्मेदारियों के कारण हमारे पास समय कम होता है।काम (work) और फिटनेस (Fitness) दोनों हमारी प्रायोरिटी में होते हैं। हम चाहते हैं कि काम और फिटनेस के लिए जरूरी योगासन दोनों मुस्तैदी के साथ हो। साथ ही हर महीने आने वाले पीरियड के दौरान पीरियड क्रेम्प्स भी नहीं हो। कुछ ऐसे आसन हों, जो कम समय में किये जा सकें और पीरियड क्रैम्प्स और पीसीओडी (Poly Cystic Ovary Disorder) की दिक्कतों से भी राहत दिला सके। इसके बारे में यहां योग टीचर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर स्मृति इन आसनों के बारे में बता रही हैं। ये आसन कम समय में और आसानी से दीवार के सहारे (Wall yoga poses) किये जा सकते हैं। पर क्या सचमुच एक्सरसाइज पीरियड को आसान बना सकते हैं? आइये सबसे पहले इसके बारे में जानते हैं।

एक्सरसाइज कैसे पीरियड को आसान बना सकती है

जब हम योगासन (Yoga Asanas) या वर्कआउट (Workout) करते हैं, तो इस दौरान फील-गुड हार्मोन एंडोर्फिन हॉर्मोन का सीक्रेशन होता है। यह दर्द को कम करता है। योगाभ्यास या वर्कआउट के दौरान शरीर हिलता-डुलता है। इससे शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप हो पाता है। इससे पीरियड क्रेम्प्स कम होने में मदद मिलती है। इससे स्ट्रेस और एंग्जाइटी लेवल भी कम हो पाता है।

पीरियड के दौरान वाकिंग जैसे मध्यम-तीव्रता वाले एरोबिक एक्सरसाइज सही रहते हैं। वेट लिफ्टिंग, दौड़ना, स्क्वैट्स, जंपिंग जैक आदि जैसे हाई इंटेंसिटी वाले वर्कआउट नहीं करना चाहिए। ये ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकते हैं। ये हार्मोन को बाधित करने के साथ-साथ हेवी फ्लो का कारण बन सकते हैं। पीरियड के दौरान कुछ योगसन ब्लोटिंग और मूड स्विंग जैसे सामान्य लक्षणों को कम करने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।

 वेरीकोज वेंस में भी लाभदायक है लेग्स-अप-द-वॉल आसन  (Wall yoga poses)

पैरों की सूजन को कम करने के लिए लेग्स-अप-द-वॉल (Legs Up The Wall Asanas) बढ़िया आसन है। जब पूरे दिन खड़े या बैठे रहना पड़ता है, तो पैर सूज (Swelling) सकते हैं। इस दौरान शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छी तरह से नहीं हो पाता है। इस स्थिति में पैरों को ऊपर उठाने से राहत मिलती है। पैरों में खून का जमाव होने से बचाव होता है।

10 मिनट से भी कम समय में हो सकते हैं ये योगासन

स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में इन आसनों के बारे में बताती हैं। स्मृति के अनुसार, सभी आसनों में सामान्यसांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया सामान्य होनी चाहिए।

1 पादोत्तानासन (Padottanasana)

योग मैट पर लेट जाएं।
पैरों को दीवार के सहारे ऊपर की ओर कर लें।
इस अवस्था में 2-5 मिनट तक रह सकती हैं।
इस दौरान आपके पैर बिल्कुल स्ट्रेट होने चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही तरीके से होता है।
(स्लिप डिस्क के मरीज इसे न करें)

पादोत्तानासन  को आप दीवार के सहारे करें। चित्र : शटरस्टॉक

2 उपविष्टकोणासन ( Upavistha Konasana)

पैरों को दीवार के सहारे ऊपर की ओर कर लें।
पैर स्ट्रेट रखें।
फिर दोनों टांगों को हाथ से सहारा देकर जितना हो सके फैलाएं।
इस अवस्था में थोड़ी देर तक रहा जा सकता है।
इससे शरीर में लचीलापन आने के साथ-साथ फर्टिलिटी में भी मदद मिलती है।
यह आसन सभी द्वारा किया जा सकता है।

3 सर्वांगासन (Sarvangasana)

पैरों को दीवार के सहारे (Wall yoga poses) ऊपर की ओर कर लें।
पैर स्ट्रेट रखें।
पैर को दीवार के सहारे लगाकर घुटने से थोड़ा मोड़ें।
कमर के नीचे हाथ रखकर धड़ को ऊपर उठाने की कोशिश करें।
इस अवस्था में थोड़ी देर रहें।
थायरायड, बाल झड़ने की समस्या से राहत मिलती है। स्किन चमकदार होती है

सर्वाइकल की समस्या हो तो न करें ।

सर्वांगासन  के लिए पैरों को दीवार के सहारे ऊपर की ओर कर लें। पैर स्ट्रेट रखें। चित्र शटरस्टॉक

4 बद्धकोणासन (Badhakonasana)

दीवार के सहारे घुटनों को मोड़ते हुए जिस तरह तितली आसन करती हैं, धीरे-धीरे करें।
यह सभी के लिए सुरक्षित है। पीरियड क्रैम्प से राहत मिलती है। इमोशनल ब्लॉकेज, थकान और एंग्जायटी कम हो पाती है

अंत में

स्मृति कहती हैं, ‘ये पारंपरिक योग मुद्राएं हैं, जिन्हें उपचार प्राप्त करने के लिए बेहतर तरीके से दीवार के सहारे किया जा सकता है।सिर्फ अपनी सांसों पर ध्यान देना है।’

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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