वर्किंग वीमेन के लिए ज्यादा जरूरी है अस्थमा के प्रति सचेत रहना, जानिए कैसे कर सकती हैं इसे कंट्रोल
अस्थमा एक क्रोनिक सांस की बीमारी है, जो दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रभावित करती है। अस्थमा सभी उम्र और लिंग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। परंतु यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करता है। वास्तव में महिलाओं को क्रोनिक अस्थमा का जोखिम ज्यादा होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महानगर में रहने वाली वर्किंग वीमेन को इससे अधिक परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अस्थमा के जाेखिमों और उसे कंट्रोल करने के उपायों (how to prevent asthma) के बारें में जानें।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
प्राइमस सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट (पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन) डॉ. अंबरीश जोशी (Dr. Ambarish Joshi, Senior Consultant, Pulmonary and Sleep Medicine, Primus Super Speciality Hospital) बताते हैं कि महानगरों में वायु प्रदूषण अन्य शहरों या कस्बों की तुलना में बहुत ज्यादा होता है। वायु प्रदूषण अस्थमा के लिए ट्रिगर पॉइंट है।
प्रेगनेंसी और मेनोपॉज बढ़ा सकते हैं अस्थमा के लक्षण (pregnancy and menopause)
डॉ. अंबरीश जोशी बताते हैं, महिलाएं हार्मोनल परिवर्तन अपने पूरे जीवन में अनुभव करती हैं। यौवन, मासिक धर्म (period), गर्भावस्था (Pregnancy) और रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal change) होते हैं। ये फेफड़ों के कार्य को भी प्रभावित कर सकते हैं। इससे अस्थमा के लक्षणों (Asthma symptoms) की गंभीरता भी बढ़ सकती है। यदि महिलाएं वर्किंग हैं, तो उन्हें अस्थमा को मैनेज करने के लिए खास ख्याल रखना होगा।’
अस्थमा से पीड़ित हैं तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान
1 वायु प्रदूषण से बचें (air pollution)
डॉ. अंबरीश के अनुसार, शहरी इलाकों ख़ासकर मेट्रोपोलिटन सिटी में ज्यादा धुआं और स्मॉग होता है। यहां अस्थमा होने की संभावना ज्यादा होती है। वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएं से स्मॉग बनता है। ओजोन स्मॉग का एक प्रमुख घटक है। यह अस्थमा के लक्षणों जैसे घरघराहट और सांस की तकलीफ को ट्रिगर कर देता है।
ओजोन के साथ-साथ स्मॉग में सल्फर डाइऑक्साइड होता है, जो एयरवेज को परेशान कर अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकता है। वर्किंग वुमन को यदि अपने आपको अस्थमा के रिस्क से बचाना है, तो वे वायु प्रदूषण से बचें। नाक को अच्छी तरह कवर कर चलें। यदि संभव हो तो वायु प्रदूषण वाले रास्ते को एवोइड करें।
2 इन्सेक्टिसाइड, पेस्टीसाइड से बचें
इन्सेक्टिसाइड, पेस्टीसाइड जैसे उत्तेजक पदार्थों के संपर्क में आने से अस्थमा का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसी महिलाएं जो इन क्षेत्रों में काम करती हैं, उनमें यह जोखिम अधिक होता है। साथ जहां तक संभव हो, इनके छिडकाव के समय उपस्थित नहीं रहें। ऑफिस या घर के अंदर कीटनाशक छिड़काव के समय नहीं रहें।
3 एलर्जी है रिस्क फैक्टर (allergy)
जिन चीजों से आपको एलर्जी होती है, उनसे बचने की कोशिश करें। पेट्स की रूसी और पोलेन ग्रेन्स की एलर्जी से अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। जिन लोगों को एलर्जी से संबंधित स्थितियां एक्जिमा और एलर्जिक राइनाइटिस हैं, उनमें अस्थमा होने की संभावना अधिक होती है।
एलर्जी ट्रिगर्स से बचने से अस्थमा प्रतिक्रियाओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
4 मोटापा करें कंट्रोल (obesity)
हालांकि स्पष्ट कारण का पता नहीं चलता है। लेकिन मोटे लोगों में अस्थमा अधिक होता है। दरअसल, मोटापा एयरवेज सहित शरीर में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे अस्थमा हो सकता है। मोटापा इन्फ्लेमेशन को बढ़ाता है, जो शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ा सकता है। इससे सूजन और एयरवेज में जलन होने लगती है। अपने बिजी शेडूल से समय निकालकर आसन और व्यायाम से अपने वजन को कंट्रोल रखना होगा।
5 स्मोकिंग और स्मोकर दोनों से बचें (smoking effect on asthma)
प्रत्यक्ष सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से एयरवेज में जलन हो सकती है। इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति में अधिक लगातार और गंभीर लक्षण हों।
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कस्टमाइज़ करेंयदि कोई दूसरा व्यक्ति सिगरेट पी रहा है, तो सेकेंड हैंड धुएं से भी परेशानी हो सकती है।
यहां तक कि घर के बाहर या कार में धूम्रपान करती हैं, तो लंबे समय तक मौजूद रहने वाला धुआं और रसायन सेकेंड हैंड धुएं के रूप में आपको अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।गर्भावस्था के दौरान सिगरेट पीने के कारण होने वाले बच्चे को भी अस्थमा का अधिक खतरा होता है।
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