कार्डियक अरेस्ट के बाद भी स्वस्थ रहना जरूरी, एक्सपर्ट से जानें पहले हार्ट अटैक के बाद रिकवरी के टिप्स
किसी भी व्यक्ति के लिए स्वस्थ और खुशहाल जीवन बेहद जरूरी है और स्वस्थ जीवन के लिए अच्छा स्वास्थ्य सबसे अहम भूमिका निभाता है। लेकिन आजकल की व्यस्त और भागदौड़ भरी जिंदगी में हम लोगों ने अपने स्वास्थ्य की फ़िक्र करना कम कर दिया है। इसलिए खराब दिनचर्या के कारण आजकल व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से घिरा रहता है।
इन्हीं बीमारियों में सबसे अधिक समस्यात्मक बीमारी हृदय संबंधी होती है। हार्ट रिलेटेड बीमारियां इसलिए और खतरनाक होती हैं, क्योंकि इसमें व्यक्ति के जान जाने तक की उम्मीदें होती हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में हार्ट अटैक की संख्या में काफी तेज़ रफ़्तार से इज़ाफ़ा भी हुआ है।
वहीं, व्यक्ति को जब पहला अटैक पड़ता हैं उसके बाद वो बहुत डर के जीवन जीने लगता है और यहां तक कि वो अपने जीवन के प्रति निराश हो जाता है। लेकिन अगर आप भी इसी तरह की परिस्थिति से गुज़रें हैं, तो आपको हताश या परेशान होने के बजाय सावधानी और प्रफ्फुलता से जीवन जीना चाहिए। हार्ट अटैक के बाद अक्सर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं, जैसे की उन्हें अपनी दिनचर्या में क्या बदलाव लाना चाहिए, उन्हें क्या खाना चाहिए और किन चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए। इन सभी मुद्दों का जवाब लेने और आपकी समस्याओं को दूर करने के लिए हेल्थशॉट्स ने गुरुग्राम स्थित निर्वासा हेल्थकेयर के वाइस प्रेजिडेंट डॉ.मनमोहन सिंह से संपर्क किया।
हार्ट अटैक के लिए कैसे जिम्मेदार है आजकल की जीवनशैली ?
आजकल होने वाले हार्ट अटैक के कारणों के बारे में डॉ.मनमोहन सिंह बताते हैं कि इन हार्ट अटैक्स के लिए कुछ निहित कारक ही जिम्मेदार है। इनमें से कुछ आम कारणों में वंशानुगत, खानपान की आदतें, तनाव का उच्च स्तर, श्रमरहित लाइफस्टाइल और धूम्रपान तथा शराब सेवन की बुरी आदतें शामिल हैं।
इसके अलावा हाइपरटेंशन, डायबिटीज और कोलेस्ट्रोल का उच्च स्तर हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली आर्टरी में कचरा जमा होने का खतरा बढ़ने जैसी कार्डियोमेटाबोलिक स्थितियां भी जिम्मेदार मानी जाती हैं। आर्टरी में कचरा जमा होने के कारण हृदय तक रक्तप्रवाह में बाधा पहुंचती है और हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे रहें पहले हार्ट-अटैक के बाद सुरक्षित ?
हार्ट अटैक के पहले अनुभव के बाद व्यक्ति के जीवन में बहुत बदलाव आता है। इन्हीं बदलावों और बचावों पर बात करते हुए डॉ.मनमोहन ने बताया कि जिन लोगों को पहले कार्डियक अरेस्ट हो चुका है, वे यदि जिम्मेदार कारकों और प्रतिकूल लाइफस्टाइल स्थितियों पर ध्यान नहीं देते हैं तो उन्हें दूसरी बार हार्ट अटैक होने की आशंका प्रबल रहती है।
हालांकि डॉ. मनमोहन कहते है कि कार्डियक उपचार के जरिये दूसरी बार हार्ट अटैक के खतरों से बचा जा सकता है। खासकर, कुछ जरूरी बदलावों को अपनाकर ऐसे मरीज दूसरी बार हार्ट अटैक के खतरे को 50 फीसदी तक कम कर सकते हैं और स्वस्थ हृदय पा सकते हैं।
दिनचर्या में यह बदलाव मरीजों को अपनी शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखने, खानपान की आदतें दुरुस्त रखने और हाइपरटेंशन, हाई कोलेस्ट्रोल एवं डायबिटीज जैसे लाइफस्टाइल डिसॉर्डर के लक्षणों पर काबू पाने में मददगार होते हैं। इससे मरीजों को धूम्रपान और शराब पीने की आदतें छोड़ने में भी मदद मिलती है और वे दवाइयों के सहारे अपने ह्दय की क्षमता बढ़ा सकते हैं।
कैसे अच्छा खान-पान है जरूरी ?
डॉ. मनमोहन बताते हैं कि जिन व्यक्तियों को पहले कार्डियक अरेस्ट की दिक्क्त आ चुकी है, उन्हें अपने खानपान की आदतों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। हमारे खानपान की आदतें हमारे दिल की सेहत के लिए अहम भूमिका निभाती हैं, लिहाजा हमें इस बात पर गौर करना जरूरी है कि हम रोजाना क्या-क्या चीजें खाते हैं। इसकी शुरुआत मरीज अपने संतुलित आहार, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट का अनुकूल प्रतिशत और वसा, खासकर संतृप्त वसा और असंतृप्त वसा के अनुपात पर ध्यान रखते हुए कर सकते हैं।
डॉ मनमोहन के अनुसार मरीजों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वे किस तरह का और कितनी मात्रा में तेल का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन उच्च रक्तचाप के खतरे और प्रभाव को कम करने तथा हृदय की नलियों में जमा गंदगी रोकने के लिए ताजा फल और कच्ची हरी सब्जियों के सेवन की सिफारिश करता है।
मरीज अपने संतुलित आहार का पालन करने और स्वस्थ हृदय के अनुकूल खानपान की आदतें अपनाने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह ले सकते हैं। इससे उनका हृदय स्वस्थ और मजबूत बना रहेगा।
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