Covid-19 reinfection: एक्सपर्ट बता रहीं हैं कोरोनावायरस के दोबारा बढ़ने की संभावना
कोविड-19, कोरोनावायरस का एक नया स्वरूप है और इस वायरस से लड़ना किसी अनुमान के मुकाबले एक ज्यादा लंबी लड़ाई हो सकती है। चूंकि इसके दीर्घावधि परिणाम बहुत अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है, लेकिन कोई मरीज कोविड-19 से पुनः संक्रमित होगा या नहीं, इसकी भविष्यवाणी करना कठिन है।
हालांकि वायरस से मुकाबले के बाद कुछ सप्ताहों तक मरीजों के लिए कुछ लक्षणों से जूझना सामान्य हो सकता है, लेकिन पुनः संक्रमण को लेकर अभी भी सवाल बना हुआ है जिसका अब तक उत्तर नहीं मिला है।
इस वायरस का प्रसार अप्रत्याशित है। यह पाया गया है कि मामूली रोग वाले लोगों में रिकवरी टाइम लगभग दो सप्ताह है, जबकि गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों में इस वायरस की चपेट से उबरने में तीन से छह सप्ताह लग सकते हैं। यदि मरीज में ठीक होने के बाद फिर से कोविड-19 के लक्षण दिखते हैं तो यह चिंताजनक स्थिति हो सकती है।
तीन महीने की अवधि होती है ज्यादा संवेदनशील
वैसे व्यक्ति में आरंभिक संक्रमण के तीन महीने के भीतर कोविड-19 से पुनः संक्रमित होने की पुष्ट रिपोर्ट नहीं हैं, लेकिन इस बारे में अतिरिक्त शोध चल रहा है। इसलिए, यदि कोविड-19 से ठीक हुए किसी व्यक्ति में कोविड-19 के नए लक्षण दिखते हैं, तो पुनः संक्रमण के लिए व्यक्ति की जांच करने की जरूरत होगी, खासकर यदि वह व्यक्ति कोविड से प्रभावित किसी के साथ नजदीकी से संपर्क में रहा हो।
वैश्विक स्तर पर, कुछ मामले इस वायरस से सफलतापूर्वक रिकवरी के बाद भी दूसरी बार कोविड-19 से ग्रसित होने के पाए गए हैं।
जिस तौर-तरीके से हमारा शरीर रोगों से लड़ना सीखता है, वह मौजूदा वायरस की आनुवांशिक संरचना से जुड़ा हुआ है। वायरल संक्रमण से जूझने के बाद व्यक्ति में एंटीबॉडीज़ बनती हैं जिनसे इम्यून सिस्टम को पहले हमले को याद रखने और वायरस के आगामी हमलों के लिए स्वयं को तैयार करने में मदद मिलती है।
इस तरह से, हमारा शरीर संक्रमण से लड़ने में बेहतर स्थिति में होगा। जब कोई व्यक्ति संक्रमण से रिकवर होता है, तो शरीर में वायरल लोड घट जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में ठीक हुआ मरीज शरीर में वायरस में निचले स्तर का शिकार हो सकता है और उसमें इसके लक्षण दिखने और पुनः संक्रमित होने की आशंका रहती है।
वायरस लोड की जांच भी है महत्वपूर्ण
हमारे शरीर में वायरल लोड तीन महीने तक बना रह सकता है, यह ऐसी अवधि है जिसमें लोग पुनः संक्रमित हुए हों और इसकी जांच कराई हो। कुछ वैज्ञानिकों का सुझाव है कि जांच के बाद, पूरी तरह सुधार के बाद दूसरी बार संक्रमण पुनः-संक्रमण का मामला नहीं है, बल्कि शरीर में बचे हुए लक्षणों के कारण वायरल शेडिंग हो सकती है।
मौजूदा समय में, इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है जिससे पता चलता है कि जो लोग कोविड-19 से ठीक हुए हैं उनमें दूसरी बार के संक्रमण से सुरक्षित बचे रहने के लिए एंटीबॉडीज़ हैं या नहीं।
हो सकते हैं एक से ज्यादा बार संक्रमित
इसके पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं जो ऐसे एंटीबॉडीज़ की प्रभावकारिता को दर्शाते हों, जो इम्युनिटी पासपोर्ट या रिस्क फ्री सेकंड इन्फेक्शन की सटीकता की पुष्टि करते हों। कुछ लोग एक से ज्यादा बार संक्रमित हो सकते हैं क्योंकि कोविड-19 वायरस शरीर में तब तक निष्क्रिय बना रहता है जब तक कि वह फिर से विकसित नहीं हो जाता।
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कस्टमाइज़ करेंठीक हुए व्यक्ति में बीमारी फैलने के बाद अपर रेस्पिरेटरी स्पेसीमेन में तीन महीने तक सार्स कोव-1 आरएनए बना रह सकता है, लेकिन इसकी तीव्रता कम रह सकती है और सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार इसके संक्रामक होने की आशंका नहीं होती है।