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Nipah virus : निपाह से केरल में दो लोगों की मौत, जानिए क्यों जरूरी है इस वायरस से सावधान रहना

केरल में दो लोगों की मौत के बाद राज्य में निपाह वायरस संक्रमण को लेकर एलर्ट जारी कर दिया गया है। क्यों फैल रहा है यह वायरस और इससे कैसे बचा जा सकता है, इस बारे में जानते हैं विस्तार से।
निपाह वायरस या एनआईवी एक ज़ूनोटिक वायरस है। इसका अर्थ है कि यह शुरू में जानवरों में और फिर मनुष्यों के बीच फैलता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 14 Sep 2023, 15:00 pm IST
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भारत में एक बार फिर निपाह वायरस का खतरा मंडराने लगा है। कई समाचार एजेंसियां केरल में निपाह वायरस के एक बार और फैलने की खबरें प्रसारित कर रही हैं। खबर है कि निपाह से संक्रमित दो लोगों की मौत हो चुकी है। निपाह वायरस के फैलने के जोखिम से बचने के लिए वहां स्कूलों-कॉलेजों और कार्यालयों को बंद कर दिया गया है। क्या निपाह का इलाज संभव नहीं है? किस तरह का है यह वायरस (nipah virus), आइये जानते हैं।

केरल में निपाह वायरस (nipah virus in Kerala) 

भारत के दक्षिणी राज्य केरल में वर्ष 2018 के बाद से निपाह वायरस के फैलने की यह चौथी बार खबर आई है। 2018 में कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई थी। केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हाल में इस बीमारी के प्रकोप से दो लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में पॉजिटिव केसेज की कुल संख्या पांच है। इसके बाद राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है। स्कूल-कॉलेज, ऑफिस के बंद होने के साथ-साथ राज्य के कुछ हिस्सों को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।

विश्व में कहां से फैला निपाह वायरस (nipah virus in the world)

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, निपाह वायरस (NIV) पहली बार 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में सूअरों और लोगों में संक्रमण का कारण बना था। इसके कारण लगभग 100 से अधिक मौतें हुई थीं। इस बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए दस लाख से अधिक सूअरों को मार दिया गया था। 1999 के बाद से मलेशिया और सिंगापुर में इस वायरस के मामले नहीं मिले। लेकिन तब से एशिया के कुछ हिस्सों – मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत में लगभग हर साल मामले दर्ज किए गए हैं।

किस तरह का है वायरस (Nipah Virus)

निपाह वायरस या एनआईवी एक ज़ूनोटिक वायरस (Zoonotic Virus) है। इसका अर्थ है कि यह शुरू में जानवरों में और फिर मनुष्यों के बीच फैलता है। यह जानवरों की लार और यूरीन से मनुष्यों में फैलता है। यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच फैल सकता है। यह वायरस सूअर (Pig) जैसे जानवरों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।

एन्सेफलाइटिस का बनता है कारण (Nipah causes Encephalitis)

संक्रमण छूने से भी फैलता है। एक बार जब कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है, तो एनआईवी का मानव-से-मानव में प्रसार हो सकता है। यह एक्यूट रेस्पिरेट्री डिजीज और घातक एन्सेफलाइटिस तक कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है। इसका संक्रमण गंभीर बीमारी और मृत्यु का भी कारण बनता है। मनुष्यों में ये एसिम्पटोमेटिक (Asymptomatic) हो सकते हैं। फ्लाइंग फॉक्स चमगादड़ एनआईवी के लिए होस्ट का काम करता है।

यहां जानिए निपाह वायरस के लक्षण (Nipah Symptoms)

निपाह का इनक्यूबेशन पीरियड संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक का अंतराल माना जाता है। यह 4-14 दिनों तक हो सकता है। कुछ मामलों में यह 45 दिनों तक भी रह सकता है।

वायरस से संक्रमित लोगों में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया (Muscle Pain), उल्टी, सांस लेने में बहुत अधिक परेशानी और ऐंठन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को असामान्य निमोनिया और गंभीर श्वसन समस्याओं का भी अनुभव हो सकता है। गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं। इससे व्यक्ति 24 -48 घंटों के भीतर कोमा में चला जाता है।

वायरस से संक्रमित लोगों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, सांस लेने में बहुत अधिक परेशानी और ऐंठन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या निपाह वायरस का उपचार संभव है (Nipah Virus Treatment)

वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई अलग दवा या टीका (Nipah Vaccine) नहीं है। हालांकि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (World Health Organization) ने डब्ल्यूएचओ अनुसंधान और विकास (WHO Research and Development ) ब्लूप्रिंट के लिए निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है। विशेषज्ञ रोकथाम उपायों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं।

सख्त आइसोलेशन प्रोटोकॉल (Isolation Protocol), कठोर बायो रिस्क मिटिगेशन (rigorous bio-risk mitigation) और सख्त अस्पताल संक्रमण नियंत्रण उपाय अपनाना जरूरी है।गंभीर श्वसन (severe respiratory problem) और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं (neurologic complications) के इलाज के लिए गहन सहायक देखभाल (Intensive supportive care ) की सिफारिश की जाती है। इसलिए इससे बचाव ही उपचार है।

जानिए निपाह से कैसे बचना है (How to avoid Nipah Virus)

इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना जरूरी है। फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल में लाना चाहिए। जानवरों के संपर्क से बचना चाहिए। उन जगहों पर न जाएं जहां इसके संक्रमण का प्रसार हो रहा है या पहले हो चुका है

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निपाह के बारे में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल (FAQs about Nipah Virus)

निपाह वायरस किसके कारण होता है
निपाह एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से चमगादड़, सूअर, कुत्ते जैसे पशुओं को प्रभावित करता है। जूनोटिक होने के कारण, यह संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाले मनुष्यों में फैल सकता है।

निपाह एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से चमगादड़, सूअर, कुत्ते जैसे पशुओं को प्रभावित करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक 

निपाह वायरस क्या है और यह कैसे फैलता है
निपाह एक वायरस है। यह पशुओं की लार, मूत्र, स्टूल में मौजूद रह सकता है। संक्रमित पशुओं से यह मनुष्यों में फैलता है और फिर मनुष्यों से मनुष्यों में

निपाह वायरस कैसे आता है
यह चमगादड़ सहित अन्य पशुओं से दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच फैल सकता है।

सबसे पहली बार निपाह वायरस कहां फैला
निपाह वायरस (NIV) पहली बार 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में फैला था । यह सूअरों और लोगों में संक्रमण का कारण बना था। इसके कारण लगभग 100 से अधिक मौतें हुई थीं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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