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Hypochondria : बीमारी से ज्यादा घातक है बीमारी की चिंता, वैज्ञानिक बता रहे हैं हाइपोकॉन्ड्रिया को साइलेंट किलर

लंबी आयु के लिए फिजिकल के साथ-साथ मेन्टल हेल्थ का मजबूत होना जरूरी है। हालिया शोध से यह बात सामने आई है कि बीमारी की एंग्जायटी यानी हाइपोकॉन्ड्रिया बीमार व्यक्ति की उम्र के लिए खतरा है।
हाइपोकॉन्ड्रिया से पीड़ित लोगों को अक्सर कई तरह की मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 29 Dec 2023, 15:30 pm IST
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स्वस्थ होने के लिए फिजिकल हेल्थ के साथ साथ मेन्टल हेल्थ का दुरुस्त होना जरूरी है। किसी भी तरह की चिंता आपके मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी लील जाती है। हाइपोकॉन्ड्रिया ऐसी ही एक समस्या है, जिसे वैज्ञानिक लंबी उम्र के लिए नया खतरा बता रहे हैं।

हाइपोकॉन्ड्रिया से पीड़ित लोगों को अक्सर कई तरह की मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके कारण चिंता और अवसाद के लक्षण बढ़ जाते हैं। हालिया शोध बताते हैं कि हाइपोकॉन्ड्रिया लंबी उम्र के लिए भी खतरा हो सकता है। सबसे पहले जानते हैं कि यह रोग (hypochondria) क्या है?

लंबी आयु के लिए साइलेंट जोखिम (Silent killer Hypochondria)

हाल के अध्ययनों में हाइपोकॉन्ड्रिया के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसे इलनेस एंग्जायटी (illness anxiety) डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है। इसके कारण व्यक्ति खुद को बहुत अधिक बीमार मानने लगता है। इस मानसिक स्थिति से पीड़ित व्यक्ति में तुरंत मृत्यु का जोखिम 84% बढ़ जाता है। जो बिना विकार वाले लोगों की तुलना में लगभग 5 वर्ष कम जीवित रहते हैं। यह रिसर्च समग्र स्वास्थ्य पर हाइपोकॉन्ड्रिया के नकारात्मक प्रभावों का उल्लेख करती है। हालांकि इस पर और अधिक शोध की जरूरत महसूस की जा रही है।

व्यक्ति के परसेप्शन में गड़बड़ी के कारण यह समस्या हो सकती है। हाइपोकॉन्ड्रिऑसिस उस व्यक्ति में हो सकता है, जिसे बचपन में खुद को या उसके किसी प्रियजन को कोई बीमारी थी।

आत्महत्या का भी प्रयास कर सकता है हाइपोकॉन्ड्रिया से पीड़ित व्यक्ति

स्वीडन के नेशनल मेडिकल रिकॉर्ड डेटा की जांच करने वाले एक अध्ययन में, यह पाया गया कि हाइपोकॉन्ड्रिआसिस से पीड़ित लोगों की प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों कारणों से मृत्यु होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होती है, जो हाइपोकॉन्ड्रिआसिस से पीड़ित नहीं हैं। गंभीर बीमारी के लगातार और अवास्तविक भय के कारण शीघ्र मृत्यु दर के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक प्रतीत होती है। हाइपोकॉन्ड्रिआक्स के आत्महत्या से मरने की संभावना चार गुना अधिक देखी गई।

हाइपोकॉन्ड्रिआक्स के आत्महत्या से मरने की संभावना चार गुना अधिक देखी गई।चित्र : अडोबी स्टॉक

अधिक होता है मृत्यु का खतरा (Hypochondria increases Death Risks)

हाइपोकॉन्ड्रिया से पीड़ित लोगों में एंग्जायटी और अवसाद के लक्षण बढ़ जाते हैं। कुछ मामलों में आत्महत्या तक की नौबत आ जाती है। लगभग 42,000 लोगों पर किए गए स्वीडिश अध्ययन में पाया गया कि इलनेस एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित 1,000 व्यक्तियों में प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों कारणों से मृत्यु का खतरा बढ़ गया था। अध्ययन के निष्कर्ष स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

हाइपोकॉन्ड्रिया और अन्य डिसऑर्डर के बीच संबंध

असल में हाइपोकॉन्ड्रिया का अन्य मानसिक विकारों से भी गहरा संबंध है। हाइपोकॉन्ड्रिअक्स के बीच प्राकृतिक कारणों से मृत्यु का बढ़ता जोखिम जीवनशैली कारकों, जैसे शराब, तंबाकू और नशीली दवाओं के उपयोग से संबंधित हो सकता है। यह अक्सर मनोरोगी स्थितियों से जुड़े होते हैं। यह संबंध मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी सभी मुद्दों पर विचार करते हुए हाइपोकॉन्ड्रिया के इलाज के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित करता है।

क्या इसका इलाज संभव है (Hypochondria Treatment)?

कॉग्निटिव बेहेवियर थेरेपी और एंटी डिप्रेशन दवा जैसे उपचार हाइपोकॉन्ड्रियासिस (hypochondria) को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डिसऑर्डर से पीड़ित लोग स्टिग्मा के शिकार न हों। रोगी के प्रति हेल्पफुल नेचर इस विकार से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है।

एंटी डिप्रेशन दवा जैसे उपचार हाइपोकॉन्ड्रियासिस को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक

निष्कर्ष

अध्ययन के निष्कर्ष हाइपोकॉन्ड्रिया को एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता के रूप में रेखांकित करते हैं। हाइपोकॉन्ड्रिया और शीघ्र मृत्यु के बढ़ते जोखिम के बीच खतरनाक संबंध के साथ, प्रभावित लोगों की सहायता के लिए अनुसंधान प्रयासों को तेज करना और प्रभावी हस्तक्षेप विकसित करना महत्वपूर्ण है। अध्ययन के अनुसार, हाइपोकॉन्ड्रिया केवल बीमारी ही नहीं है, बल्कि एक लाइफ थ्रेटनिंग (hypochondria) स्थिति है। जिसके लिए ध्यान और देखभाल की आवश्यकता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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