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हाई-डायबिटीज़ का उपचार भी संभव है, लाइफस्टाइल में बदलाव से लेकर सर्जरी तक यहां जानिए सब कुछ

डायबिटीज यानी मधुमेह एक जीवनशैली जनित विकार है, जो बहुत सारी बीमारियों का कारण बन सकता है। अभी तक यह देखा गया है कि डायबिटीज से ग्रस्त लोग जीवन भर दवाओं पर निर्भर रहते हैं। जबकि अब ऐसे उपचार संभव हैं, जिनसे आप हाई शुगर से छुटकारा पा सकते हैं।
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इस विश्व मधुमेह दिवस पर जरूरी है कि आप इस घातक बीमारी के बारे में सब कुछ जानें। चित्र : शटरस्टॉक
योगिता यादव Published: 14 Nov 2023, 10:18 am IST
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लगातार शरीर में ब्लड ग्लूकोज या शुगर का लेवल ज़्यादा रहने से डायबिटीज़ की समस्या हो जाती है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो इसके करण बहुत सारी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ता है। प्रीडायबिटीज से लेकर हाई डायबिटीज तक यह यात्रा बहुत तेजी से आगे बढ़ती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप इसे कंट्रोल करने के सभी तरीकों के बारे में जानें। वर्ल्ड डायबिटीज डे पर हम यहां उन सभी तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जो शुगर के उपचार (Diabetes Treatment) के लिए दुनिया भर में प्रयोग में  लाए जा रहे हैं।

डायबिटीज़ दो तरह की होती हैं: टाइप 1 डायबिटीज़ और टाइप 2 डायबिटीज़। टाइप 1 डायबिटीज़ एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पैंक्रियास में मौजूद इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को खत्म कर देता है। जो लोग टाइप 1 डायबिटीज़ से पीड़ित होते हैं उन्हें जीवनभर इंसुलिन थैरेपी की मदद लेना पड़ती है।

दूसरी तरफ़, टाइप 2 डायबिटीज़ लोगों में ज़्यादा सामान्य है। टाइप 2 डायबिटीज़ का कारण मुख्य रूप से जीवनशैली ही होती है। टाइप 2 डायबिटीज़ की मुख्य वजहों में मोटापा, खानपान की खराब आदतें और निष्क्रिय जीवनशैली प्रमुख हैं। टाइप 2 डायबिटीज़ की मुख्य वजह शरीर का पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाना या शरीर में बनने वाली इंसुलिन का ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पाना है।

जानिए टाइप 2 डायबिटीज़ पर नियंत्रण के कुछ उपाय (Diabetes Treatment)

टाइप 2 डायबिटीज़ पर नियंत्रण के लिए शरीर के ब्लड ग्लूकोज या शुगर लेवल को काबू में रखना बहुत अहम है। इसके लिए ये कदम अपनाए जा सकते हैं:

जीवनशैली में बदलाव :

टाइप 2 डायबिटीज़ पर नियंत्रण के लिए, अच्छी जीवनशैली बहुत ज़रूरी है। संतुलित भोजन, भोजन में कार्बोहाइड्रेट को कम करके और नियमित रूप से व्यायाम की मदद से अच्छी जीवनशैली पाई जा सकती है।

दवाइयों की मदद :

टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित कुछ लोगों को दवाइयां लेने की जरूरत भी हो सकती है, ताकि उनके शरीर में इंसुलिन को बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। दवाइयों की मदद से मूत्र में अतिरिक्त शुगर की मात्रा को कंट्रोल किया जाता है या शरीर में ज़्यादा इंसुलिन बनाने का प्रयास किया जाता है।

इंसुलिन थेरेपी :

उन मामलों में जबकि शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, या जब टाइप 2 डायबिटीज़ बहुत आगे की अवस्था में पहुंच चुकी होती है तो इंसुलिन थैरेपी की मदद लेना पड़ती है। इसमें शरीर की शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंजेक्शन की मदद से इंसुलिन शरीर में पहुंचाई जाती है।

शुगर की मॉनीटरिंग करना इसे कंट्रोल करने की दिशा में एक जरूरी कदम है। चित्र : शटरस्टॉक

शुगर की मॉनीटरिंग:

डायबिटीज़ के दोनों ही टाइप में शुगर की नियमित रूप से मॉनिटरिंग ज़रूरी है, ताकि ट्रीटमेंट में जरूरत के मुताबिक बदलाव किए जा सकें।

जानिए कब होती है डायबिटीज़ में सर्जरी की जरूरत (Diabetes Surgery)

कई बार डायबिटीज़ के नियंत्रण के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है। इस सर्जरी को मेटाबॉलिक या बैरियाट्रिक सर्जरी कहा जाता है। यह सर्जरी उन लोगों के लिए बेहतर उपाय हो सकती है जिनमें बहुत ज़्यादा मोटापा है और जो दूसरे तरीकों की मदद से अपने शुगर लेवल यानी डायबिटीज़ को काबू में नहीं कर पा रहे हैं।

सर्जरी की मदद से वजन या मोटापे को इतना कम करने का निर्णय लिया जाता है जिससे डायबिटीज़ की स्थिति काबू में आ जाए। डायबिटीज़ को काबू में लाने के लिए कई तरह की सर्जरी की जाती हैं:

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रौक्स-एन-वाय गैस्ट्रिक बायपास :

इसमें आमाशय की एक छोटी थैली बनाकर उसे छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है। इस तरह आमाशय और छोटी आंत के बाकी के हिस्से को बायपास कर दिया जाता है। इससे वजन बहुत तेजी से कम होता है ब्लड शुगर पर नियंत्रण भी संभव होता है।

स्लीव गैस्ट्रेक्ट्रोमी :

इस सर्जरी में आमाशय के एक हिस्से को निकाल दिया जाता है और इससे उसका साइज़ और क्षमता दोनों कम हो जाती हैं। इससे व्यक्ति कम भोजन करता है और उसका वजह कम होने लगता है जिससे डायबिटीज़ पर नियंत्रण हो पाता है।

एडजस्टेबल गैस्ट्रिक बैंडिग (लैप-बैंड):

इसमें आमाशय के ऊपरी हिस्से में एक बैंड लगा दिया जाता है ताकि एक छोटी थैली बनाई जा सके। इससे भोजन की मात्रा में कमी आती है और वजन कम होने लगता है।

डायबिटज के लिए कोई भी सर्जरी करवाने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें। चित्र : एडॉबीस्टॉक

ड्यूडोनल स्विच के साथ बिलिओपैंक्रियाटिक डायवर्शन (बीपीडी/डीएस):

यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें आमाशय के साइज़ में बड़ा बदलाव किया जाता है और छोटी आंत के मार्ग को भी छोटा किया जाता है। इससे भोजन की मात्रा और शरीर में उसके अवशोषण में भी कमी आती है।

अहम बात यह है कि सभी के लिए एक जैसी सर्जरी की जरूरत नहीं होती। किसी विशेषज्ञ की मदद से ही इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आपके लिए कौन सा तरीका सबसे बेहतर होगा। इन सर्जरी की मदद से ब्लड शुगर या ब्लड ग्लूकोज पर काबू करने में मदद मिलती है और कुछ मामलों में तो डायबिटीज़ पूरी तरह काबू आ जाती है।

हालांकि इन सर्जरी के साथ कुछ जोखिम और जटिलताएं भी जुड़ी होती हैं। इसलिए सर्जरी के बाद भी नियमित रूप से अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना और जीवनशैली में बदलाव करना ज़रूरी होता है।

याद रखें 

संक्षेप में कहें तो डायबिटीज़ को काबू में रखने के लिए कई तरह की रणनीतियों की जरूरत होती है। इनमें जीवनशैली में बदलाव, दवाइयों की मदद और इंसुलिन थैरेपी शामिल हैं। डायबिटीज़ सर्जरी उन लोगों के लिए ज़रूरी हैं जिनमें मोटापा बहुत ज़्यादा है और उन्हें सर्जरी की मदद से मोटापे और ब्लड ग्लूकोज के नियंत्रण में फ़ायदा पहुंच सकता है, लेकिन सर्जरी का फैसला सारी बातों को समझकर और किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लेना चाहिए।

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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