कटहल का फल यानी जैकफ्रूट अपने स्वाद के साथ-साथ आपके लिए सेहतमंद रहने का उपाय भी लेकर आ रहा है। पक जाने पर मिठास से भरपूर कटहल अगर कच्चा खाया जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकता है। नए शोध में हरे कटहल के आटे के फायदे सामने आए हैं।
अध्ययन की यह रिपोर्ट अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में शनिवार को शिकागो में एक वीडियो लिंक के माध्यम से प्रस्तुत की गई। जिसमें बताया गया कि कटहल का पाउडर प्लाज्मा में ग्लूकोज के स्तर को नीचे ले आता है।
इंजीनियर से उद्यमी बने 49 वर्षीय जेम्स जोसेफ इस पर पिछले कुछ समय से शोध कर रहे थे। शोध के लिए जोसेफ ने आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से जुड़े दो मेडिकल प्रोफेशनल्स से हाथ मिलाया।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से मंजूरी मिलने के बाद, उन्होंने इस शोध की शुरुआत की। जिसमें टाइप 2 डायबिटिज से ग्रस्त 40 लोगों ने भाग लिया। इनमें- 24 पुरुष और 16 महिलाएं शामिल थीं। उनकी औसत आयु 46.20 ± 9.12 वर्ष थी।
अध्ययन के दौरान, प्रतिभागियों को हरे कटहल के आटे का भोजन दिया गया। बेसलाइन पर उनका स्तऑर HbA1c 7.23 ± 0.47 फीसदी था। 12-सप्ताह के अध्ययन के अंत में उनका एचबीए 1 सी 6.98 ± 0.48 प्रतिशत था। जोसेफ ने बताया कि “उपवास और पोस्टपैंडियल प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल में भी समान सुधार देखा गया।”
हीमोग्लोबिन ए 1 सी टेस्ट3 पिछले दो-तीन महीनों में ब्लयड शुगर के औसत स्तर के बारे में बताता है। इसके अलावा HbA1c, ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्टी और ग्लाइकेमोग्लोबिन का स्ततर मधुमेह के रोगी नियमित तौर पर करवाते हैं, यह देखने के लिए कि उनका शुगर लेवल नियंत्रण में है या नहीं। यह मधुमेह की दवाओं को समायोजित करने में मदद करता है। ए 1 सी परीक्षण का उपयोग मधुमेह के निदान के लिए भी किया जाता है।
जोसेफ ने कहा कि वर्ष 2015 में हमने कटहल के इन गुणों की खोज करनी शुरू की थी। “2016 में, मैंने अपनी कंपनी, गॉड्स ओन फूड सॉल्यूशंस को शोध के लिए तैयार किया और कटहल के गुणों का पता लगाया। 2016 में, देश के सबसे बड़े मसाला निर्यातकों में से ME मीरन फाउंडेशन के साथ – एक संयुक्त उद्यम – डाइट फाइबर 365 कंपनी की स्थापना की।“
जेवी हरे कटहल का आटा बनाती है। जोसेफ ने दावा किया कि यह भारत में पेटेंट कराया गया है और अमेरिकी पेटेंट अपने अंतिम चरण में है। कंपनी 200 ग्राम के पैकेट में हरे कटहल के आटे की मार्केटिंग करती है।
यूके और बेंगलुरु में माइक्रोसॉफ्ट के साथ काम कर चुके जोसेफ ने 2012 में नौकरी छोड़ दी और 2014 से कटहल के गुणों पर शोध करना शुरू किया। वे इस शोध का श्रेय 25 नवंबर, 2014 को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ हुई उनकी मुलाकात को देते हैं।
वे कहते हैं जब इसे स्थानीय भोजन में इस्तेमाल किया गया तो परिणाम कमाल के थे। प्रतिदिन 30 ग्राम कटहल का आटा मधुमेह रोगियों के भोजन में शामिल किया गया। जिससे उनके रक्त शर्करा के स्तर में महत्वपूर्ण कमी देखी गई। इस कटहल के पाउडर को इडली, डोसा के आटे के मिश्रण में मिलाया जा सकता है और आटा ब्रेड बनाने में भी एड किया जा सकता है।
मणिपाल ग्लोबल के बोर्ड के अध्यक्ष मोहनदास पई ने कहा कि वह पिछले दो साल से रोजाना रात के खाने के बाद अपने नाश्ते में दलिया और ग्रीन टी में एक चम्मच कटहल पाउडर ले रहे थे। “यह निश्चित रूप से मेरे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार साबित हुआ।
60 वर्षीय एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि वह पांच साल से अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए 90 यूनिट इंसुलिन ले रहा था। “पिछले दो वर्षों से मैंने अपने नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने में इस का एक बड़ा चमचा एड करना शुरू कर दिया। एक साल में मैं इंसुलिन को बंद कर सकता हूं और सिर्फ गोलियों के साथ अपने शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकता हूं।
उन्होंने कहा, “इसने मेरा पैसा, तकलीफ और बाहर खाना खाते समय होने वाली शर्मींदगी से बचाया है।”
(IANS इनपुट के साथ)