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इंटरमिटेंट फास्टिंग बढ़ा सकती है हार्ट डिजीज का जोखिम, शोध और एक्सपर्ट दे रहे हैं चेतावनी

इंटरमिटेंट फास्टिंग इन दिनों खूब चलन में है, लोग मोटापे को घटाने और शरीर को फिट रखने के लिए इस डाइट को फॉलो कर रहे हैं। मगर हाल ही में आई एक रिसर्च में फास्टिंग के इस तरीके को हार्ट हेल्थ के लिए खतरा बताया गया है।
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जो दिन भर में आठ घंटे की इंटिंग विंडो को फॉलो करते हैं। उनमें हृदय रोग से मौत का जोखिम 91 फीसदी बढ़ जाता है। चित्र: शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 21 Mar 2024, 17:20 pm IST
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दिनों दिन बढ़ रही वेटेगेन की समस्या को दूर करने और शरीर को स्लिम बनाए रखने के लिए इन दिनों लोग कई प्रकार की फैंसी डाइट को फॉलो करने लगे है। इन ट्रेंडिंग डाइट में से एक है इंटरमिटेंट फास्टिंग। जिसमें एक लंबे अंतराल के बाद मील लिया जाता है। मगर हाल ही में आई अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिसर्च ने इस ट्रेंडिंग डाइट पर सवालिया निशान लगा दिया है। रिसर्च के अनुसार इस डाइट को फॉलो करने से हृदय रोग से मौत का खतरा बढ़ जाता है। जानते हैं क्या है ये पूरी रिसर्च और क्या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के स्वास्थ्य जोखिम।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में क्या कहती है रिसर्च

शिकागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की ओर से लाइफस्टाइल एंड कार्डियोमेटाबॉलिक साइंटीफिक सेशन के तहत इंटरमिटेंट फास्टिंग को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए गए। इस सेशन के दौरान पेश की गई रिसर्च के अनुसार, वे लोग जो दिन भर में महज आठ घंटे की इंटिंग विंडो को फॉलो करते हैं। उन लोगों में हृदय रोग से मौत का जोखिम 91 फीसदी बढ़ जाता है।

इसके अलावा वे लोग जो हृदय रोग से ग्रस्त हैं, उन लोगों में भी 8 से 10 घंटे रिस्टरिक्टिड डाइट को फॉलो करने से 66 फीसदी हृदय रोग या स्ट्रोक से मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।

वे लोग जो हृदय रोग से ग्रस्त हैं, उन लोगों में भी 8 से 10 घंटे रिस्टरिक्टिड डाइट को फॉलो करने से 66 फीसदी हृदय रोग या स्ट्रोक से मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

आहार का चुनाव है ज्यादा महत्वपूर्ण

क्लीनिकल डायटीशियन लक्षिता जैन बताती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग पर हाल ही में आई स्टडी यूएस बेस्ड है। दरअसल, भारत में सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले खाने की पद्धति को फॉलो किया जाता है। ऐसे में केवल इंटरमिटेंट फास्टिंग ही नहीं, बल्कि काम के घंटे, स्मोकिंग व अल्कोहल इनटेक, आहार और लाइफस्टाइल भी स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है एक अंतराल के बाद आहार लेना है। मगर आप किस आहार को चुन रहे हैं, ये किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने से पहले डायटीशियन की सलाह अवश्य लें।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए इन बातों का रखें ख्याल

वहीं डायटीशियन नुपूर पाटिल का कहना है कि गलत तरीके से इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए, जिससे शरीर हेल्दी बना रहे और कैलोरीज़ भी कम मात्रा में कंज्यूम हो पाएं।

1 एक्स्ट्रीम फास्टिंग से बचें

वे लोग जो एक्स्ट्रीम फास्टिंग करते हैं, उनके शरीर में पोषण की कमी बए़ने लगती हैं और वे कुपोषण का शिकार हो जाते है। लंबे समय तक उपवास प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर बना देता है, जिससे व्यक्ति आसानी से संक्रमण और बीमारियों की चपेट में आ जाता हैं। डायटीशियन के निर्देशों के अनुसार ही डाइट को चुनें और फास्टिंग की समय सीमा निर्धारित करें।

लंबे समय तक उपवास प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर बना देता है, जिससे व्यक्ति आसानी से संक्रमण और बीमारियों की चपेट में आ जाता हैं।चित्र शटर स्टॉक

2 बीमार हैं तो न करें इंटरमिटेंट फास्टिंग

इंटरमिटेंट फास्टिंग मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों जैसे मधुमेह और इटिंग डिसऑर्डर को बढ़ावा दे सकती है। अगर खान पान में सावधानी न बरती जाए, तो उससे शरीर में ब्लड शुगर के स्तर में भारी उतार.चढ़ाव देखने को मिलता है। इससे मेटाबॉलिज्म भी स्लो होने लगता है। स्वास्थ्य संबधी समस्याओं से बचने के लिए नियमित मात्रा में खाना खाएं और डायटीशियन को हेल्थ कंडीशन के बारे में पूरी जानकारी दें।

3 शरीर को हाइड्रेटेड रखें

पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति का सामना करना पड़़ता है। वे लोग जो इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो कर रहे हैं, उन्हें दिनभर में भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। अन्यथा शरीर में कमज़ोरी, थकान और मांसपेशियों में ऐंठन बढ़ने लगती है। इसके अलावा अपने आहार में हाइड्रेटिंग फूड्स का भी शामिल करें।

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ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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