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वैज्ञानिकों ने किया फ़्लू-रेसिस्टेंट चिकन तैयार करने का दावा, चिकन के शाैकीनों को नहीं होगी बर्ड फ्लू से डरने की जरूरत

पक्षियों को होने वाले एवियन फ्लू के कारण दुनिया भर में लाखों पोल्ट्री को हर साल नष्ट कर दिया जाता है। हाल में वैज्ञानिकों ने जीन में छोटे बदलाव लाकर पहली फ़्लू-रेसिस्टेंट चिकन तैयार करने का दावा किया है।
भविष्य में चिकन के शौकीनों को बर्ड फ्लू का डर नहीं सताएगा। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 17 Oct 2023, 20:08 pm IST
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एवियन फ्लू के वायरस स्वाभाविक रूप से दुनिया भर में जंगली एक्वेटिक पक्षियों में फैलते हैं। इनसे घरेलू पोल्ट्री और अन्य पक्षी और पशु प्रजातियों को संक्रमण फ़ैल जाता है। बर्ड फ्लू के वायरस आम तौर पर इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। लेकिन बर्ड फ़्लू वायरस से मानव संक्रमण के मामले भी सामने आये हैं। एवियन फ्लू के कारण हर साल लाखों की संख्या में पोल्ट्री को नष्ट किया जाता है। इसके कारण इंसानों को पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने की मनाही हो जाती है और आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है। हाल में वैज्ञानिकों ने जीन में छोटे बदलाव लाकर पहली फ़्लू-रेसिस्टेंट चिकन तैयार करने का दावा कर समस्या का हल (Avian Flu resistant Chicken) खोजने की कोशिश की है।

क्या बर्ड फ्लू मनुष्यों में बन सकता है महामारी का कारण?

ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के रोसलिन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों द्वारा यह शोध किया गया। शोध के वैज्ञानिक डॉ. माइक मैकग्रे के अनुसार, बर्ड फ्लू के पैथोजेन्स एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका में व्यापक रूप से पाए जाते हैं। इससे मुर्गी पालन पर बहुत खराब प्रभाव पड़ता है। इंसानों में भी यह डर बढ़ रहा है कि बर्ड फ्लू मनुष्यों में फैल सकता है और महामारी का कारण बन सकता है। फ्लू वायरस के तेजी से विकास के कारण पक्षियों का टीकाकरण महंगा और सीमित प्रभाव वाला है।

कैसे की गई जीन एडिटिंग (Gene Editing)

शोध एक जीन-ANP32 पर केंद्रित है, जो एक प्रोटीन बनाता है, जिसे फ्लू वायरस खुद को रेप्लिकेट करने के लिए हाईजैक करता है। टीम ने ANP32A जीन में छोटे बदलाव करने के लिए क्रिस्प्र जीन एडिटिंग का उपयोग कर मुर्गियों का रिप्रोडक्शन कराया। जब जीन-एडिटेड मुर्गियों को वायरस की 1000 संक्रामक इकाइयों के साथ टीका लगाया गया। जिन पक्षियों की जीन में परिवर्तन हुए, वे एवियन फ्लू के प्रति अत्यधिक रेसिस्टंस थे।

शोध में पाया गया कि 10 में से केवल एक पक्षी संक्रमित हुआ। इस तरह से वैज्ञानिकों ने दुनिया की पहली फ्लू-प्रतिरोधी मुर्गियां बना ली हैं, जो फार्मों में जीन-एडिटेड मुर्गीपालन के लिए रास्ता खोल सकती हैं।
संक्रमण को पूरी तरह से रोका नहीं गया था। वैज्ञानिक मानते हैं कि जीन इंजीनियर पोल्ट्री मनुष्यों के लिए सही है या नहीं, इसकी जांच होनी बाकी है। क्योंकि वायरस के मनुष्यों के लिए और अधिक खतरनाक होने का खतरा है।

वैज्ञानिकों ने दुनिया की पहली फ्लू-प्रतिरोधी मुर्गियां बना ली हैं, जो फार्मों में जीन-एडिटेड मुर्गीपालन के लिए रास्ता खोल सकती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

क्या कहता है वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (World Health Organization)

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (World Health Organization) की वेबसाइट के अनुसार, हमारे लिए यह जानकारी जरूरी है कि इंसान एवियन, स्वाइन और अन्य इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए सतर्क रहना बहुत जरूरी है। संक्रमित जानवरों के साथ सीधे संपर्क से या अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे कि संक्रमित जानवरों के शारीरिक तरल पदार्थ से दूषित वातावरण के माध्यम से मानव संक्रमण के लिए जोखिम पैदा हो सकता है

एनिमल इन्फ्लूएंजा वायरस के संपर्क में आने से मनुष्यों में संक्रमण और बीमारी हो सकती है। इसके लक्षण हल्के, फ्लू जैसे लक्षण या आंखों की सूजन से लेकर गंभीर, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज हो सकती है। गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। रोग की गंभीरता संक्रमण फैलाने वाले वायरस और संक्रमित व्यक्ति की स्थिति पर भी निर्भर करती है

ज़ूनोटिक इन्फ्लूएंजा से बचाव जरूरी (Prevention from Zoonotic Influenza)

ज़ूनोटिक इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण पर्सन टू पर्सन इन्फेक्शन तो नहीं होता है। एक्वेटिक पक्षियों में इन्फ्लूएंजा वायरस प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं, लेकिन उन्हें ख़त्म करना असंभव है। इसलिए ज़ूनोटिक इन्फ्लूएंजा संक्रमण होते रहेंगे। सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए पशु और इंसानों में होने वाले संक्रमण के लिए सतर्कता बरतनी पड़ेगी।

पक्षियों को छूने के बाद अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। चित्र : अडोबी स्टॉक

पक्षियों या सर्फेस के संपर्क के बाद मुंह, नाक या आंखों को छूने से बचें। ये पक्षियों की लार, मयूकस या मल से दूषित हो सकते हैं। पक्षियों को छूने के बाद अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। पोल्ट्री के संपर्क में आने के बाद अपने कपड़े बदलें।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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