मैं और मेरी बेटी दोनों कोविड-19 पॉज़िटिव थे, हमने इस बीमारी से सीखे ये 11 सबक
कोरोना वायरस लगातार म्यूटेट कर रहा है। जिसके चलते कई और चुनौतियां खड़ी हो रहीं हैं। पर व्यक्ति की जिजीविषा के सामने कोई भी वायरस ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकता। भले ही वह अपने प्रारूप में कितना ही परिवर्तन कर ले। कोरोना को हराने वाली वंदना राग और उनकी बेटी नीलाशी ने यह साबित कर दिया है। आइए जानते हैं उनके अनुभव उन्हीं की जुबानी।
नमस्कार मेरा नाम वंदना राग है और उम्र पचास पार कर गई है। मैं दिल्ली के एक पॉश इलाके में रहती हूं। हमने बहुत सख्ती से लॉकडाउन का पालन किया। पर जैसे ही अनलॉक 1.0 शुरु हुआ लोगों की आवाजाही कुछ बढ़ गई। हालांकि अब भी हम घर के अंदर ही थे, कहीं बाहर नहीं जा रहे थे। पर अब सब्जी वालों, ठेले वालों ने आना शुरू कर दिया था। पर फिर भी मैं ठीक-ठीक नहीं कह सकती कि यह खतरनाक संक्रमण मेरे घर में किस रास्ते से दाखिल हुआ।
और हुई बुखार की दस्तक
अल्टीमेटली मुझे बुखार हुआ और लक्षण कुछ-कुछ कोरोना जैसे दिखने लगे। मेरे पति दूर भोपाल में हैं। घर में बस हम तीन जन हैं मैं, मेरी 24 वर्षीय बेटी और मेरा 20 वर्षीय बेटा। जब टेस्ट करवाया तो मैं कोविड-19 (Covid-19) पॉज़िटिव थी। टेस्ट की रिपोर्ट आते ही मैंने खुद को एक अलग कमरे में क्वारंटीन कर लिया। पर कुछ दिन बाद बेटी को भी बुखार हुआ, तो उसका टेस्ट करवाना भी जरूरी हो गया।
बेटी का टेस्ट भी पॉज़िटिव आया
बेटी का टेस्ट भी कोविड-19 पॉज़िटिव आया। अब घर के दो अलग-अलग कमरों में हम दोनों क्वारंटीन थे। बेटे को ब्रेड, अंडा या मैगी बनानी तो आती थी पर उसके अलावा उसे खाना बनाना नहीं आता था। संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए यह जरूरी था कि हमारे संपर्क में कोई न आए, इसलिए हमने हाउस हेल्प को भी घर आने से मना कर दिया।
ऐसे में कुछ दोस्त आए, जिन्होंने हमारे खाने-पीने का ख्याल रखा। पर डिस्टेंसिंग हम लगातार मेंटेन किए हुए थे।
कोरोना ने हमें सिखाए कुछ जरूरी सबक
मैं आज आपके साथ वे जरूरी बिंदु शेयर करना चाहती हूं, जो कोरोना वायरस से जूझते हुए हमने महसूस किए। यह किसी भी व्यक्ति के लिए कोरोना से लड़ाई में काम आ सकते हैं :
- अपने स्वास्थ्य की परवाह करनी चाहिए, यह स्वार्थ नहीं प्राकृतिक जरूरत है।
अपने फेफड़ों की ताकत को प्राणायाम (Pranayama) आदि क्रियाओं से (lung power) बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। - काफ़ी हद तक यह बीमारी घरेलू उपचार – भाप लेना, गरारे करना, काढ़ा पीना और बुखार आने पर क्रोसिन खाने और मल्टी विटामिन लेने पर ठीक हो जाती है।
- आपकी गंध पहचानने और स्वाद पहचानने की क्षमता भी यदि चली गई है तो ख़ुद ही शरीर से कोविड-19 निकलने पर लौट आती है, इसके लिए चिंतित ना हों।
- 10 दिन बहुत (crucial) जटिल होते हैं। उस दौरान आप दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए सभी से दूरी बनाए रखें।
- अपने कपड़े और खाने की प्लेट ख़ुद धोयें या ऐसी व्यवस्था करें कि वे घर के अन्य लोगों की चीजों के साथ मिक्स न हों।
- यदि सांस की दिक्कत बनी हुई है तो डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि सांस वाली दिक्कत घर पर नहीं सुलझाई जा सकती है। एक ऑक्सीमीटर (Oximeter) ऑक्सीजन नापने की छोटी मशीन ज़रूर ख़रीद कर अपने पास रखें और 93 से कम होने पर डॉक्टर को कॉल कीजिए।
- यदि सभी लक्षण ना भी हों और टेस्ट भी ना करवा पाएं हों, तो भी अपना घरेलू उपचार ऐसे ही करें जैसे कोविड का मरीज़ करता है।
- बिल्कुल भी डरे नहीं। आपकी हिम्मत आपका सबसे बड़ा हथियार है।
- अपनी इच्छाशक्ति (Will power) को बुलंद रखें, इससे आधा रास्ता पार हो जाता है। शेष वक़्त और चिकित्सा का काम है।
- यह याद रखें कि हर उम्र के लोगों ने देश-विदेश में इस बीमारी को काबू किया है तो हम उनमें से एक क्यों नहीं हो सकते?
- सकारात्मक सोच, प्यार मोहब्बत, दूसरों के लिए सहिष्णुता बनाये रखें। इससे न सिर्फ़ दुनिया सुन्दर होती है, बल्कि अपना मनोबल भी ऊंचा रहता है!
दोस्तों, परिवार और अपनों का प्यार सबसे बड़ी ताकत है। कोई भी बीमारी इतनी मोहब्बत की ताकत के आगे टिक नहीं सकती!
सुरिक्षत रहें, स्वस्थ रहें
यह नहीं कहूंगी मैंने इस बीमारी को हराया, (यह संयोग है) क्योंकि कई लोग जो मुझसे अधिक ताकतवर और मज़बूत थे, इसे हरा नहीं पाये! यह विचित्र बीमारी है, इसका कोई फार्मूला नहीं और यही इसका दुःखद और पेचीदा पहलू है!
आप सब स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें। अपना ध्यान रखें।