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इन 5 कारणों से ज्यादातर महिलाओं को करना पड़ता है कमर दर्द का सामना, जानिए इसे मैनेज करने का तरीका

30 की उम्र के बाद आखिर महिलाओं को यह समस्या क्यों परेशान करने लगती है (back pain in females)। आज इस लेख के माध्यम से हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। जानेंगे महिलाओं में पीठ के दर्द का कारण साथ ही जानेंगे इससे बचाव के उपाय।
लंबे समय तक बैठना कमर के दर्द को बढ़ा देता है. चित्र : अडोबी स्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 15 Jan 2024, 19:31 pm IST
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30 की उम्र के बाद शरीर में कई सारे बदलाव आते हैं। ऐसे में आजकल एक समस्या बेहद आम हो चुकी है, जिसमें महिलाओं को असामान्य रूप से बैक पेन हो रहा है। 30 से अधिक उम्र के लगभग सभी महिलाओं में बैक पेन की शिकायत देखने को मिलती है। छोटी-छोटी शारीरिक गतिविधियों को करने के बाद उन्हें असहनीय कमर दर्द (causes of backache) का अनुभव होता है, जिसकी वजह से उनकी पूरी दिनचर्या प्रभावित होती है। 30 की उम्र के बाद आखिर महिलाओं को यह समस्या क्यों परेशान करने लगती है (back pain in females)। आज इस लेख के माध्यम से हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। जानेंगे महिलाओं में पीठ के दर्द का कारण साथ ही जानेंगे इससे बचाव के उपाय।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बेंगलुरू स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के कंसलटेंट स्पाइन सर्जन डॉक्टर एस विद्याधर से बात की। तो चलिए जानते हैं, डॉक्टर के अनुसार 30 की उम्र के बाद लोअर बैक में बढ़ते दर्द का कारण। साथ ही जानेंगे इससे बचाव के लिए महिलाओं को क्या करना चाहिए।

पहले जानते हैं 30 की उम्र के बाद महिलाओं में बढ़ते बैक पेन का कारण (causes of back pain in females)

1. कैल्शियम की कमी

30 की उम्र के बाद शरीर में कैल्शियम का अवशोषण कम होने लगता है। साथ ही साथ हड्डियां भी कैल्शियम खोना शुरू कर देती हैं, ऐसे में हमें कैल्शियम को मेंटेन रखने के लिए उचित खानपान सहित इसके अवशोषण को बढ़ाने के लिए हेल्दी डाइट कांबिनेशन की आवश्यकता पड़ती है। यदि आप इस पर ध्यान नहीं देती हैं, तो हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती है, साथ ही हड्डियों में आसानी से फ्रैक्चर आ सकता है। इसीलिए महिलाओं को 30 की उम्र के बाद पीठ की हड्डी में दर्द रहता है। वहीं यदि छोटी गतिविधियों में भाग लेने से आपकी हड्डियों पर अधिक भार पड़ता है और कमजोर हड्डियां इसे झेल नहीं पाती। ऐसे में कमर की हड्डियों में दर्द होना शुरू हो जाता है।

कैल्सियम के अलावा भी और पोशाक तत्वों की ज़रूरत होती है। चित्र : शटरस्टॉक

2. स्पाइनल ऑस्टियोअर्थराइटिस

स्पाइनल ऑस्टियोअर्थराइटिस किस स्थिति महिलाओं में बहुत कॉमन है। वहीं वजन और उम्र बढ़ाने के साथ इस परेशानी का खतरा भी बढ़ जाता है। इस स्थिति में फेस्ट ज्वाइंट्स में फाइबर्स कार्टिलेज ब्रेक हो जाते है। कार्टिलेज के ब्रेक होने के बाद हड्डियां आपस में रब करना शुरू हो जाती हैं, जिसकी वजह से दर्द का अनुभव हो सकता है। इस स्थिति में आमतौर पर लोअर बैक, बटॉक्स और पीठ में दर्द होता है। साथ ही साथ कमर में अकड़न महसूस हो सकती है। वहीं अचानक से बैठे-बैठे कमर में असहनीय दर्द का अनुभव होता है, जिसे ऑकेजनल पेन कहा जाता है।

3. एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस में गाइनेकोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो आमतौर पर कई महिलाओं को प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में यूट्रस टिशु वॉम्ब के अंदर ग्रो करना शुरू कर देते हैं। इसके लक्षण के तौर पर आपको पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द महसूस होता है, पेट और कमर के निचले हिस्से में असहनीय दर्द का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा इंटिमेट एरिया में भी दर्द होता है।

4. प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम (PMS)

प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम एक ऐसी स्थित है, जो पीरियड्स के पहले महिलाओं को परेशान करती है। पीएमएस के दौरान महिलाओं को कई सारी स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिनमें से बैक पेन सबसे कॉमन है। वहीं अन्य लक्षण जैसे की सिर दर्द, थकान, ब्लोटिंग, फूड क्रेविंग, एंजायटी, मूड स्विंग्स और कंसंट्रेट करने में परेशानी आने जैसी समस्याएं शामिल हैं। यह लक्षण कुछ महिलाओं में नजर आती है, तो कुछ में नहीं आती।

कुछ छोटी-मोटी गतिविधियां कमर दर्द को काफी तेजी से ट्रिगर करती है। चित्र शटरस्टॉक।

5. सायटिका

सायटिका की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब साइटिका इंजर्ड हो जाते हैं। यह वे नर्व हैं, जो आपकी स्पाइन से बटॉक्स से ट्रैवल करते हुए आपके पैरों के पीछे से गुजरते हैं। साइटिका की स्थिति में लोअर बैक में बर्निंग पेन का अनुभव होता है, जो शरीर को झटका दे सकता है। इसके अलावा इस स्थिति में पैर एवं कमर में कमजोरी और नंबनेस भी महसूस हो सकता है।

अब जानें घर पर कैसे मैनेज कर सकती हैं बैक पेन (treatment for back pain in females)

1. हीटिंग पैड

कमर दर्द की स्थिति में अपने कमर और पीठ के पास हीटिंग पैड अप्लाई करने से ब्लड सर्कुलेशन बूस्ट होता है, जिससे शरीर के सभी हिस्सों के साथ-साथ आपके कमर तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचता है। यह पोषक तत्वों के अवशोषण को भी बढ़ावा देता है, जिससे मांसपेशियां रिलैक्स रहती हैं और हड्डियां भी मजबूत होती हैं। इस प्रकार हीटिंग पैड आपको कमर दर्द से राहत प्रदान कर सकता है।

2. गुनगुने पानी से नहाएं

यदि आपको शारीरिक गतिविधियों को करने के बाद कमर में दर्द महसूस हो रहा है, या बैठे-बैठे कमर अकड़ गई है। तो ऐसे में गुनगुना पानी से शॉवर लें से सर्कुलेशन इंप्रूव होता है और मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं। यह मांसपेशियों के दर्द और अकड़न से फौरन राहत प्रदान कर सकता है।

 

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3. स्ट्रेचिंग एंड मूविंग

यदि आपको घर के कामकाज करने के बाद कमर में दर्द का एहसास हो रहा है, या सुबह उठने

इससे आपकी मांसपेशियों को राहत मिलेगी और बॉडी के मूवमेंट से शरीर में गरमाहट भी बनी रहेगी। चित्र : शटरस्टॉक

के साथ कमर अकड़ी हुई महसूस हो रही है, तो इस स्थिति में बॉडी को अधिक समय तक रेस्टिंग पोजीशन में न रखें। बॉडी को मूव करना बहुत जरूरी है, साथ ही साथ आराम से धीरे-धीरे शरीर को स्ट्रेच करें। खास करके उन स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज में भाग लें जिसमें आपकी कमर की मांसपेशियां शामिल हो रही हों। इससे आपको दर्द से राहत मिलेगा साथ ही साथ आपके शरीर में लचीलापन भी आएगा।

4. मसाज

यदि आप किसी फिजिकल थैरेपिस्ट को जानती हैं, तो मसाज में उनकी मदद ले सकती हैं। वहीं यदि नहीं तो कोई बात नहीं है, आप घर पर भी किसी की मदद से अपने कमर के हिस्से में मसाज ले सकती हैं। तेल को गुनगुना कर लें और हल्के हाथों से कमर के निचले हिस्से में मसाज करने को कहें। हालांकि, इस दौरान हड्डियों पर अधिक जोर नहीं लगाना है न ही किसी भी नर्व या फिर जॉइंट पॉइंट्स को जोर से दबाना है। ऐसा करने से परेशानी बढ़ सकती है।

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केवल हल्के हाथों से मसाज करें, ताकि आपकी मांसपेशियां रिलैक्स हो जाए और कमर के निचले हिस्सों में सरकुलेशन बढ़ जाए। क्योंकि पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचने से दर्द को कम करने में मदद मिलती है।

बैकपेन से आपको राहत दिला सकती है. चित्र : शटरस्टॉक

5. आइस पैक

यदि आपकी कमर की मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द हो रहा है, या वह अकड़ गई हैं, तो ऐसे में आइस पैक आपकी मदद कर सकता है। वहीं कई बार कमर में चोट लगने से भी दर्द महसूस होता है, जिसके लिए आइस पैक का इस्तेमाल बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। आइस बैग या फिर बर्फ को किसी कॉटन के कपड़े में लपेटकर अपने कमर की सिकाई करें। ऐसा करने से इन्फ्लेमेशन कम होता है, साथ ही साथ दर्द और अकड़न से राहत मिलती है।

6. डाइट में शामिल करें कैल्शियम तथा आयरन युक्त खाद्य पदार्थ

30 की उम्र के बाद शरीर में कैल्शियम की कमी होना शुरू हो जाती है। ऐसे में बॉडी में उचित मात्रा में कैल्शियम को बनाए रखने के लिए डाइट में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना जरूरी है। साथ ही साथ विटामिन डी और विटामिन के की मात्रा को बनाए रखना जरूरी है। यह दोनों पोषक तत्व शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देते हैं, जिससे की हड्डियां मजबूत रहती हैं और इनसे संबंधी समस्या व्यक्ति को परेशान नहीं करती।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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