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दांतों में दर्द, मसूड़ों में सूजन या बदबू आना, आयुर्वेद के पास है आपकी खराब ओरल हेल्थ के लिए समाधान

आपके दांतों का पीलापन या उनमें जमा प्लाक आपकी अच्छी खासी पर्सनैलिटी पर दाग लगा सकता है। आपकी समस्या के समाधान के लिए आयुर्वेद यहां है।
ओरल हेल्थ को अच्छा रखें। चित्र : शटरस्टॉक
अक्षांश कुलश्रेष्ठ Published: 6 Feb 2022, 19:00 pm IST
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अपनी ओरल हेल्थ को बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है? दिन में दो बार ब्रश करना और कुल्ला करना। लेकिन कई बार हमें इस सब के बावजूद कुछ समस्याएं हो सकती हैं। जिसमें मसूड़ों से खून आना, दांत में दर्द और दांतो का पीलापन शामिल है। अगर आप की भी यह समस्याएं हैं, तो आयुर्वेद में है आपकी इन समस्याओं का समाधान। 

क्या हो सकती हैं ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं 

ओरल हाइजीन है ज़रूरी। चित्र: शटरस्‍टॉक

दांतो का पीलापन, मसूड़ों से खून आना, दांतों में दर्द समेत मुंह से दुर्गंध आना खराब ओरल हेल्थ की निशानी है। कई बार यह समस्या है दिन में दो बार ब्रश करने से भी ठीक नहीं होती है। इसके लिए ज्यादातर डॉक्टर पेन किलर या सूजन रोधी दवाओं की सलाह देते हैं। इनमें से कोई भी पूरी तरह हानिरहित नहीं है। 

जानिए क्या कहता है ओरल हेल्थ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का डाटा 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अस्वस्थ भोजन, शक्कर का ज्यादा सेवन, तमाकू का उपयोग और शराब के हानिकारक उपयोग ओरल हेल्थ खराब करने में मुख्य भूमिका निभाते है। अधिकांश मौखिक स्वास्थ्य स्थितियों को काफी हद तक रोका जा सकता है और उनका प्रारंभिक अवस्था में इलाज किया जा सकता है। 

ओरल हेल्थ और आयुर्वेद 

आयुर्वेद एक पारंपरिक भारतीय औषधीय उपचार पद्धति है, जो हज़ारों वर्षों से अभ्यास में है। स्वास्थ्य के समग्र कल्या से जुड़ी यह पद्धति मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन का समर्थन करती है। ओरल हेल्थ के लिए भी आयुर्वेद में कुछ ऐसी हर्ब्स का जिक्र मिलता है, जो बिना किसी हानि के मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रख सकती हैं। 

जानिए ओरल हेल्थ के लिए आयुर्वेदिक उपाय 

अमरूद के पत्ते के पानी से कुल्ला 

फायदेमंद हैं अमरुद के पत्ते। चित्र : शटरस्टॉक

आपके दातों की कई समस्याओं के लिए अमरूद के पत्तों का इस्तेमाल फायदेमंद है। कई बार मुंह में छाले पड़ जाते हैं, तो अमरूद के पत्ते उनसे भी राहत देने का काम करते हैं। इसके अलावा अमरूद के पत्तों में कई औषधीय गुण होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध को कम करता है। इसके पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। इसके लिए अमरूद के पत्तों को उबाल लें और उसके पानी से कुल्ला करें।

मुलेठी का बनाएं मंजन 

बाजारों में मुलेठी का मंजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। हालांकि आप घर पर भी मुलेठी का चूर्ण तैयार कर इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल मुलेठी में बायो एक्टिव घटक होता है जिसे लाइकोरिसिडाइन के नाम से जाना जाता है। 

इसके इस्तेमाल से मुंह में कभी भी कैविटी नहीं होती। इसका इस्तेमाल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में स्राव में सुधार करके मुंह को साफ करने, लार को बढ़ाने में भी किया जाता है। 

कवलाग्रह

यह एक प्रकार का ऑयल पुलिंग अभ्यास है। यानी तेल से कुल्ला करना। दांतों की सड़न,मसूड़ों से खून आना और दांतों और मसूड़ों को मजबूत करने के लिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह अभ्यास सुबह की दिनचर्या का एक हिस्सा है, जिसमें आप एक चम्मच तिल या सूरजमुखी का तेल लेते हैं, और इसे अपने मुंह में 10 – 20 मिनट तक घुमाते हैं। और फिर कुल्ला कर देते हैं।

दातुन 

इसमें जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण होते हैं। चित्र- शटरस्टॉक.

“दंत धवनी” इसे आम भाषा में दातून के नाम से जाना जाता है। इसमें ज्यादातर नीम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इस अभ्यास में एक सिरे से नीम की डंडी को चबाना होता है, और निकलने वाले रस को अपने दांतो पर घुमाना होता है।इसे चबाने से जीवाणुरोधी एजेंट निकलते हैं, जो लार के साथ मिल जाते हैं और मुंह में हानिकारक रोगाणुओं को मारते हैं, जिससे दांतों पर बैक्टीरिया का संचय नहीं होता है। इसके अलावा बबूल और मुलेठी की डंडी का भी इस्तेमाल किया जाता है।

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अक्षांश कुलश्रेष्ठ

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