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प्रेगनेंसी में ज्यादा होता है वायरल इंफेक्शन का जोखिम, एक्सपर्ट बता रहीं हैं जरूरी सावधानियां

प्रेगनेंसी में संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं महिलाएं, जानें ऐसे ही कुछ वायरल संक्रमण के जोखिम और उनसे बचाव का तरीका।
प्रेगनेंसी में इन्फेक्शन से कैसे करें बचाव। चित्र : शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 19 Dec 2023, 18:00 pm IST
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प्रेगनेंसी के दौरान वायरल इंफेक्शन प्रेगनेंसी आउटकम से जुड़े होते हैं। जिनकी वजह से मैटरनल और फेटल मोरबिडिटी मोर्टालिटी और कंजेनिटल एनोमालिज जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है मैटरनल और फिटस इंटरफेस यानी प्लेसेंटा के शारीरिक और इम्यूनोलॉजिकल बाधाओं के कारण वायरस आसानी से मां से भ्रूण में संचारित नहीं हो सकते हैं। जिससे भ्रूण और नवजात शिशुओं के लिए खतरा पैदा होता है। इसके बावजूद, कुछ वायरस ऐसे होते हैं, जो अपनी रणनीतियों को आजमाते हुए प्लेसेंटा बैरियर्स को कमजोर कर देते हैं, जिसकी वजह से मां एवं फिटस दोनों की सेहत खतरे में आ जाती है। खासकर ऐसा वर्टिकल ट्रांसमिशन के माध्यम से होता है।

इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को प्रेगनेंसी में वायरल इंफेक्शन के प्रति अधिक सचेत रहने की आवश्यकता होती है। इस गंभीर और आवश्यक विषय पर उचित जानकारी प्राप्त करने के लिए, हेल्थ शॉर्ट्स ने डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी पुणे के गायनेकोलॉजी और ऑब्सटेट्रिक्स डिपार्टमेंट के हेड डॉक्टर हेमंत जी देशपांडे से बात की। डॉक्टर ने प्रेगनेंसी में होने वाले कुछ वायरल इंफेक्शन के नाम सुझाते हुए (viral infection in pregnancy), इनसे बचाव के कुछ महत्वपूर्ण उपाय भी बताएं हैं। तो चलिए जानते हैं, इस विषय पर अधिक विस्तार से।

अगर आप हर थोड़ी देर में यूरिन पास करती हैं, तो इसका कारण केवल पेय पदार्थों का सेवन ही नहीं हो सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

ये वायरल इंफेक्शन मां के साथ भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए जोखिम कारक हो सकते हैं (viral infection in pregnancy)

1. टोक्सोप्लाज्मा, “अन्य”, रूबेला, साइटोमेगालोवायरस, और हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (TORCH)

मैटरनल रूबेला इंफेक्शन के परिणामस्वरूप प्रेगनेंसी आउटकम के तौर पर मिसकैरेज, फीटल इन्फेक्शन, फीटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन, और जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (CRS) देखने को मिल सकता है। मातृ संक्रमण के भ्रूण प्रभावों के संदर्भ में, सीएमवी सबसे आम जन्मजात वायरल संक्रमण है, जिसका जन्म के समय प्रसार लगभग 0.5% (सीमा 0.2-2.5%) है। सीएमवी मुख्य रूप से वेंट्रिकल, कॉर्टी के अंग और आठवीं कपाल तंत्रिका के न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जो बताता है कि यह जन्मजात सुनवाई हानि का प्रमुख कारण क्यों है, साथ ही शुरुआती स्पर्शोन्मुख नवजात शिशुओं में जीवन के पहले तीन वर्षों के भीतर न्यूरोडेवलपमेंटल क्षति होती है।

2. वैरीसेला ज़ोस्टर वायरस (Varicella zoster virus)

यदि महिलाएं डिलीवरी के 5 दिन से लेकर 2 दिन के पहले तक इस वायरस के संक्रमण की चपेट में आ जाती हैं, तो उनके न्यूबॉर्न में 10% से 20% तक संक्रमण का खतरा बना रहता है। यह मैटरनल एंटीबॉडी की अनुपस्थिति में प्लेसेंटा में वायरस के हेमटोजेनस प्रसार के परिणामस्वरूप होता है। शिशु में प्रसव के 5-10 दिन बाद रोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इस संक्रमण से नए जन्में बच्चों में होने वाला मृत्यु दर लगभग 30% है।

3. एचआईवी (HIV)

प्रेगनेंसी एचआईवी की बीमारी को प्रभावित नहीं करती, परंतु प्रेगनेंसी में एचआईवी इनफेक्शन वर्टिकल ट्रांसमिशन के खतरे को बढ़ा देता है।

HIV संक्रमण से बचाव है बेहद जरुरी। चित्र- अडोबी स्टॉक

4. हेपेटाइटिस (Hepatitis)

हेपेटाइटिस बी वायरस, हेपेटाइटिस सी वायरस, हेपेटाइटिस ए वायरस, हेपेटाइटिस ई वायरस, इन सभी वायरस से प्रेगनेंसी में मां तथा बच्चे दोनों की सेहत पर बेहद नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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5. ज़िका वायरस (Zika virus)

प्रेगनेंसी के दौरान ज़िका वायरस संक्रमण नवजात शिशुओं में माइक्रोसेफली का कारण बनता है।

प्रेगनेंसी में वायरल इंफेक्शन से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान (Tips to avoid viral infection during pregnancy)

1) यदि आप गर्भवती हैं, तो वायरस प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा न करें। अगर आपके लिए यात्रा करना बहुत जरूरी है, तो पहले अपने डॉक्टर/स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें। वहीं इस दौरान मच्छरों के काटने से बचाव के लिए आवश्यक मेजर्स का ध्यान रखें।

2) प्रेगनेंसी में सेक्स के दौरान सुरक्षित और प्रभावी कांट्रेसेप्शन मेथड का प्रयोग करें।

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3) निम्नलिखित के बाद अपने हाथ साबुन और पानी से जरूर धोएं: बाथरूम का उपयोग करना, कच्चे मांस, कच्चे अंडे, या बिना धुली सब्जियों को छूना, भोजन तैयार करना और खाना, बागवानी करना या गंदगी या मिट्टी को छूना। पालतू जानवरों को संभालना, बीमार लोगों के आसपास रहना, हाथों पर लार (थूक) लगना, बच्चों की देखभाल करना और उनके साथ खेलना, डायपर बदलना आदि।

नियमित प्रसव पूर्व जांच और रक्तचाप की निगरानी महत्वपूर्ण होती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

4) प्रेगनेंसी के दौरान छोटे बच्चों के लार और मूत्र के संपर्क में आने से बचें।

5) अनपॉस्टुराइज्ड (कच्चा) दूध और उससे बने खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करें।

6) प्रेगनेंसी के दौरान पालतू जानवर द्वारा फैलाई गई गंदगी या उनके पेशाब और मल को साफ न करें।

7) एचआईवी और हेपेटाइटिस बी जैसी यौन संचारित बीमारियों (एसटीडी) के लिए परीक्षण करवाएं और खुद को उनसे बचाएं।

8) टीकाकरण (शॉट्स) के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें। यदि आपने अभी तक टीका नहीं लगवाया है, या गर्भावस्था से पहले नहीं लगवाया था, तो चिकनपॉक्स या रूबेला से संक्रमित लोगों से पूरी तरह दूर रहें।

10) ऐसे लोगों से बचें जिन्हें पहले से संक्रमण है।

हालांकि, नए और मॉडर्न टेक्निक्स के आने से फीटल डिजीज की सूची बढ़ती जा रही है। शोधकर्ताओं द्वारा अंतर्गर्भाशयी दवाओं और उपचारों द्वारा इन प्रभावों को कम करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। और इन सब के बीच, स्वस्थ गर्भावस्था और स्वस्थ नवजात शिशु के लिए रोकथाम अभी भी सबसे अच्छा तरीका है।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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