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माइंड गेम्स खेलने से बुजुर्गों में कम हो सकता है डिमेंशिया का खतरा, जानें इस बीमारी से जुड़े जरूरी तथ्य

एक शोध में यह पता चला है कि बुज़ुर्गों में डिमेंशिया के खतरे को कम करने के लिए कुछ ब्रेन गेम्स बहुत सहायक है।
माइंड गेम्स से कम होता है डिमेंशिया का खतरा । चित्र : अडॉबीस्टॉक
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बढ़ती उम्र के साथ व्यक्ति कई तरह की जटिलताओं से जूझता है और तमाम परेशानियों का सामना करता है। बुढ़ापे में कई तरह की बीमारियां होना आज कल एक आम बात है। लेकिन इन तमाम बीमारियों में से सबसे बड़ी बीमारी वहीं हैं जिसमें व्यक्ति भूतकाल में बिताए हुए अपने पलों को और सबसे मत्वपूर्ण अपनों ही भूल जाता है। ऐसी बीमारी व्यक्ति को मानसिक क्षति के साथ-साथ भावनात्मक क्षति भी पहुंचाती है और इसी बीमारी को डिमेंशिया कहा जाता है।

वहीं, एक शोध में यह पता चला है कि बुज़ुर्गों में डिमेंशिया के खतरे को कम करने के लिए कुछ ब्रेन गेम्स (games that lower risk of dementia) बहुत सहायक है। शोधकर्ताओं ने बताया कि यदि बुज़ुर्गों को उन खेलों में व्यस्त रखा जाए तो डिमेंशिया से बचाव होना कई हद तक संभव है।

मानसिक क्षति के साथ-साथ भावनात्मक क्षति भी पहुंचाती है डिमेंशिया । चित्र शटरस्टॉक।

क्या होता है डिमेंशिया ? (What Is Dementia)

डिमेंशिया के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. राजीव शर्मा बताते हैं कि मानसिक क्षमताओं का कम होना डिमेंशिया कहलाता है। उन्होंने बताया कि डिमेंशिया का सबसे बड़ा लक्षण मेमोरी लॉस होना होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस बीमारी के शुरूआती हिस्से में आम चीज़ों को भूलना ही उसका लक्षण होता है। लेकिन फिर जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, तब ये बीमारी और घातक होती चली जाती है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि डिमेंशिया (Dementia) एक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की कोग्निटिव (मानसिक प्रक्रियाओं और सोच की) क्षमता में गिरावट होती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की दैहिक, मानसिक, और सामाजिक क्षमताएं प्रभावित होती हैं। डिमेंशिया के प्रमुख लक्षणों को और वर्गीकृत करते हुए उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मेमोरी की हानि होने के साथ-साथ व्यक्ति की ज्ञान, विचार, भाषा, और निर्णय लेने की क्षमता में भी कमी आती है।

यह भी होते है डिमेंशिया के कारण (Causes Of Dementia)

डिमेंशिया के और कारणों को बताते हुए डॉ.शर्मा कहते है कि इसके होने के कई कारण है।

1 आल्ज़ाइमर रोग: यह सबसे आम डिमेंशिया का कारण है और ज्यादातर बुढ़ापे में होता है।
2 वैस्कुलर डिमेंशिया: यह अधिकतर आधे से अधिक डिमेंशिया के मामलों का कारण होता है और यह ब्रेन से जुडी नसों की समस्याओं की वजह से होता है।

3 लुई बॉडी डिमेंशिया: इसमें व्यक्ति के ब्रेन में लुई बॉडी नामक स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें, जो न्यूरॉन्स (न्यूरोन्स) की असामान्य वृद्धि होती रहती है और इससे ये समस्या और बड़ी हो जाती है।

4 फ्रंटो-टेम्पोरल डिमेंशिया: इसमें फ्रंटो टेम्पोरल लोब्स क्षेत्र की क्षति होती है, जिससे व्यक्ति की व्यक्तिगतिकता, भाषा, और सोशल बेहेवियर पर प्रभाव पड़ता है।

5 डी-लुई बॉडी डिमेंशिया: इसमें व्यक्ति के ब्रेन में डी-लुई बॉडी नामक गैरास्थिति होती है, जिससे कोग्निटिव क्षमता कमज़ोर होती है।

इस बीमारी में मेमोरी की हानि होने के साथ निर्णय लेने की क्षमता में भी कमी आती है। चित्र : शटरस्टॉक

माइंड गेम्स से कम होगी समस्या : शोध

मोनाश यूनिवर्सिटी में स्थित स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड प्रीवेंटिव मेडिसिन में हुए एक शोध में बताया गया कि कुछ मेंटल गेम्स जैसे क्रॉसवर्ड और शतरंज खेलने से बड़े-बुजुर्गों में डिमेंशिया की बीमारी का खतरा काफी कम हो जाता है।

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यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च में यह पता चला है कि बुज़ुर्गों को मेंटल गेम्स खिलाने और कुछ एक्टिविटीज़ कराने से कुल 11 प्रतिशत तक डिमेंशिया का खतरा कम किया जा सकता है। इस शोध में वैज्ञानिकों ने 70 साल और उससे ज्यादा के लगभग 10318 ऑस्ट्रेलियन लोगों पर शोध करके ये पता लगाया कि क्रॉसवर्ड और शतरंज जैसे मेंटल गेम्स खेलने वाले बुज़ुर्गों में लगभग 9 से 11 फ़ीसदी तक डिमेंशिया के खतरे को कम करने का अनुमान किया है। इसके साथ ही सिर्फ फिजिकली ही नहीं बल्कि डिजिटली भी मेन्टल गेम्स खेलने से भी इस बीमारी के कम होने की संभावनाएं बढ़ती है।

वहीं, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022 में पूरे विश्व में लगभग इस बीमारी से 55 मिलियन लोग पीड़ित थे और इसके साथ ही 2021 में ये आंकड़ा 45 मिलियन था यानी एक साल में पीड़ितों की संख्या 10 मिलियन तक बढ़ गई है।

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कार्तिकेय हस्तिनापुरी

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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