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knee joint lubrication : घुटनों में लुब्रिकेशन की कमी है बहुत सारी समस्याओं का कारण, जानिए इससे कैसे बचना है

घुटने में लुब्रिकेशन की कमी के कारण घुटने से कट-कट की आवाज आती है। घुटने सूज जाते हैं और दर्द भी करता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि लुब्रीकेशन लाने वाले सिनोवियल फ्लूइड को उपचार के माध्यम से बढ़ाया भी जा सकता है।
सिनोवियल फ्लूइड में परिवर्तन हर उम्र के लोगों के लिए दर्द का कारण बनता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 28 Nov 2023, 19:43 pm IST
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कभी-कभी घुटने से चटकने की आवाज आती है। कभी जकड़न महसूस हो सकता है या भी घुटने या जोड़ में दर्द की अनुभूति भी हो सकती है। बाहरी तौर पर इसे ठीक करने के काफी प्रयास करते हैं। पर यह नहीं हो पाता है। ऐसा घुटनों के बीच लुब्रीकेंट्स की कमी के कारण हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि यह सायनोवियल फ्लूइड में कमी के कारण हो सकता है। यदि लुब्रीकेशन का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो यह घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकता है। लुब्रीकेशन के घटने (knee joint lubrication) का कारण जानने से पहले जानते हैं क्या है सिनोवियल फ्लूइड?

क्या है सिनोवियल फ्लूइड (Synovial Fluid)?

एमीकेयर अस्पताल में जॉइंट रिप्लेसमेंट- आर्थ्रोस्कोपी और स्पोर्ट्स इंजरी एक्सपर्ट डॉ.हिमांशु गुप्ता बताते हैं , ‘सिनोवियल फ्लूइड या श्लेष द्रव या जॉइंट फ्लूइड फ्रिक्शन को कम करने के लिए घुटने के जोड़ में स्नेहक या लुब्रीकेंट के रूप में कार्य करता है। इसकी कंसिस्टेंसी थिक होती है। यह चिपचिपी भी होता है। यह शॉक एब्जोर्बर के रूप में काम करता है। यह हमारे शरीर को गति प्रदान करता है।

जॉइंट पर दबाव कम करता है

इसके कारण ही उठना, बैठना या खड़ा होना सहजता से किया जा सकता है। सिनोवियल फ्लूइड नी जॉइंट पर दबाव भी कम करता है। यह चलने या दौड़ने के दौरान हड्डी की सतह के सिरों को मुलायम भी बनाता है।
सिनोवियल फ्लूइड जोड़ के भीतर लुब्रीकेंट और कुशन के रूप में कार्य करता है। यह घर्षण को कम करने और गति में सुधार करने में मदद करता है।’

क्यों घट जाता है लुब्रीकेशन (Cause of decrease in joint lubrication)

जब सिनोवियल फ्लूइड बहुत गाढ़ा या बहुत पतला हो जाता है, तो यह जोड़ों की सुरक्षा के लिए सही चिकनाई प्रदान नहीं कर पाता है। इससे कार्टिलेज डैमेज और ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है। सिनोवियल फ्लूइड में परिवर्तन हर उम्र के लोगों के लिए दर्द का कारण बनता है। सिनोवियल ओस्टियोकोन्ड्रोमैटोसिस एक दुर्लभ स्थिति है, जो आमतौर पर घुटनों को प्रभावित करती है।

मोटापा भी बन सकता है कारण (Obesity causes dryness of joint lubrication)

ऐसे अन्य कारक भी हैं जिनके कारण द्रव जल्दी सूख (knee joint lubrication) जाता है। मोटापा या वजन बढ़ने पर सिनोवियल फ्लूइड प्रभावित हो जाता है। मोटापा के अलावा घुटने में लगी चोट या आघात के कारण भी जॉइंट में फ्लूइड प्रोडक्शन की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है। घुटनों के माध्यम से गलत शारीरिक गतिविधि जैसे कि किसी ख़ास ढंग से घुटनों पर प्रभाव डालते हुए बैठना या नियमित रूप से घुटनों को मोड़ना भी इसका कारण बन सकता है

मोटापा या वजन बढ़ने पर सिनोवियल फ्लूइड प्रभावित हो जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

फ्लूइड सूख जाने पर घुटने में दर्द और जकड़न हो सकती है। जोड़ के ख़राब होने या चोट लगने पर, चलने या झुकने पर नी कैप से तेज़ आवाज़ आना, घुटने की सतह के आसपास सूजन या लालिमा जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। तुरंत उपचार न होने पर ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है

क्या फ्लूइड को बढ़ाया जा सकता है (How to increase Synovial Fluid)

दवा के उपयोग से इसे बढ़ाया (knee joint lubrication) जा सकता है। घुटने के जॉइंट में सिनोवियल फ्लूइड को बढ़ाने और दर्द को कम करने के लिए जॉइंट के बीच कार्टिलेज और खाली स्थान में हयालूरोनिक एसिड या आर्टिफीशियल फ्लूइड इंजेक्ट किया जाता है। इसकी संरचना नेचुरल सिनोवियल फ्लूइड के समान होती है। इससे सूजन, घर्षण और घुटने के मूवमेंट में सुधार हो जाता है। यह लगभग 6-12 महीनों तक प्रभावी रह सकते हैं।

दवा के उपयोग से जॉइंट में सिनोवियल फ्लूइड को बढ़ाया जा सकता है। चित्र : शटर स्टॉक

आर्टिफीशियल सिनोवियल फ्लूइड के अलावा, डैमेज हो चुके टिश्यू की मरम्मत और चोट का इलाज किया जाता है। सूजन (knee joint lubrication) को कम करने के लिए प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा या पीआरपी इंजेक्शन (platelet-rich plasma or PRP injection) भी है। इसमें रोगी के ब्लड का उपयोग किया जाता है। कई प्रक्रियाओं के बाद इसे घुटने के जोड़ में वापस इंजेक्ट किया जाता है। रोगी की स्थिति के आधार पर इलाज किया जाता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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