लोग लंबे समय से सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने और वैकल्पिक चिकित्सा के लिए किया जाता रहा है। यह एशियाई विशेष रूप से भारतीय व्यंजनों में आम खाद्य तेल है। यह स्वास्थ्य लाभ देने में पावरहाउस के समान है। सरसों का तेल न सिर्फ हृदय के लिए, बल्कि त्वचा और बालों की देखभाल में भी फायदेमंद है। दरअसल यह तेल मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड से भरपूर होता है। इसलिए यह हार्ट हेल्थ के लिए बढ़िया है। यह ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में भी मदद करता है। यह पूरे शरीर को लाभ (mustard oil benefits) पहुंचाता है।
कंसल्टेंट इंटर्निस्ट डायबेटोलॉजिस्ट और मेटाबॉलिक फिजिशियन डॉ. सुधीर भंडारी कहते हैं, ‘सरसों का तेल विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन ई, कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड के अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड भी काफी मात्रा में होता है। इन्हें गुड फैट माना जाता है।
ये हृदय की धमनियों की दीवारों (artery wall) पर जमा नहीं होते हैं। इस तेल को अत्यधिक तीखा बनाने वाला सक्रिय यौगिक आइसोथियोसाइनेट है। इसमें ग्लूकोसाइनोलेट और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड भी होता है, जो रूखी त्वचा को हाइड्रेट करने और नाखूनों को मजबूत रखने के लिए जाना जाता है।’
डॉ. सुधीर भंडारी के अनुसार, ‘आहार में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड शामिल करने से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह जानना जरूरी है कि हम जिस तेल का चयन करते हैं वह शुद्ध हो। इसमें कोई रासायनिक मिलावट नहीं हो। यह अच्छी तरह से संसाधित हो। एगमार्क कृषि उत्पादों के लिए भारत सरकार का एक मानक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद खाने योग्य है और शुद्ध रूप से बनाया गया है।
सरसों का तेल पीयूएफए (PUFA), एमयूएफए(MUFA), ओमेगा 3 (Omega 3 fatty acid) और 6 फैटी एसिड (Omega 6 fatty acid), मिनरल्स और विटामिन ई से भरपूर होता है। इसके सूजन-रोधी और मेटाबोलिज्म को एक्टिव करने में मदद करने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है। एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण यह कैंसर से लड़ने में मदद करता है। यह ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार करता है।
डाटा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. अजय डाटा के अनुसार, सरसों का तेल श्वसन और सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाला कोल्ड-प्रेस्ड सरसों का तेल नाक के सिरे पर लगाया जा सकता है। हर रात बिस्तर पर जाने से पहले इसे सूंघा जा सकता है। इससे नासिका मार्ग को नम रखने और छींकने, सर्दी को कम करने और छाती में जमाव को दूर करने में मदद मिलती है।
श्वसन तंत्र को जकड़न से मुक्त करने के लिए सरसों तेल युक्त भाप लेना चाहिए। सर्दी और खांसी से राहत पाने के लिए सरसों के तेल, लहसुन और अजवाइन के मिश्रण से पैरों और छाती की मालिश करने से राहत प्रदान करता है। ऑयल पुलिंग के लिए सरसों तेल का उपयोग करने से बैक्टीरिया मर जाते हैं और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है। इसके अलावा दांतों और मसूड़ों पर सरसों का तेल, हल्दी और नमक का पेस्ट मलने से दांत और मसूड़े साफ और हेल्दी हो जाते हैं।
सरसों तेल 3000 वर्षों से भी अधिक समय से हमारी रसोई में मौजूद है। सरसों के बीज से प्राप्त तेल का वैज्ञानिक नाम ब्रैसिका जंसिया है और यह ब्रैसिकासी परिवार का एक जड़ी-बूटी वाला पौधा है। यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने पुरानी बीमारियों को ठीक करने के लिए दवा में सरसों के बीज का उपयोग किया था। उन दिनों इसका उपयोग बिच्छू के डंक के उपचार के रूप में भी किया जाता था। समय के साथ तेल रोम, ग्रीस और भारत के अलावा दुनिया के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो गया।
डॉ. अजय डाटा के अनुसार, तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड जॉइंट स्टिफनेस और जॉइंट पेन को कम करने में मदद करता है। अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों को सरसों के तेल की मालिश के बाद राहत का अनुभव होता है। गुनगुने सरसों के तेल से पूरे शरीर की मालिश करने से भी त्वचा को अंदर से पोषण मिलता है। मेहंदी और करी पत्ते के साथ उबाला हुआ सरसों तेल बालों के विकास को बढ़ाने, बालों का झड़ना कम करने और बालों के रोम को मजबूत करने के लिए कारगर घरेलू उपाय है।
नारियल तेल और कैस्टर आयल की कुछ बूंदों के साथ मिलाकर लगाने पर यह जड़ों में प्रवेश करता है। सूखापन कम करता है। बालों को मुलायम बनाकर नमी बरकरार रखता है। सरसों के तेल और पैराफिन मोम को बराबर मात्रा में मिलाकर पेस्ट बनाया जा सकता है। इस पेस्ट को हर रात एड़ियों की दरारों पर लगाने से एड़ियां मुलायम रहती है।
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