होली के बाद करना है खुद को डिटॉक्स, तो जीरे का पानी है बेस्ट रेमेडी
होली के अवसर पर मालपुए, गुझिया, खीर, कटहल की सब्जी और न जाने कितने प्रकार के व्यंजन हम अपने पेट की तरफ बढ़ा देते हैं। यह सिलसिला सुबह से शुरू हो जाता है। और देर रात तक हम कुछ न कुछ हम मुंह में डालते रहते हैं। नतीजा होता है रात तक और दूसरे दिन एसिडिटी, पेट दर्द, कब्ज और पाचन संबंधी कई समस्याएं। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर सुबह खाली पेट जीरा पानी या जीरे का अर्क लिया जाए, तो दिन भर पाचन संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या (jeera pani for digestive system) नहीं होगी।
जीरा के बारे में क्या कहती है रिसर्च
मिडल ईस्ट जर्नल ऑफ़ डायजेस्टिव डिजीज में जीरा के पानी और जीरे के अर्क पर शोध आलेख प्रकाशित किया गया। शोधकर्ता शाहराम अगाह और अमीर मेहंदी तालेब की टीम ने बताया कि डायजेस्टिव सिस्टम में हुई परेशानी के कारण इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम हो जाता है। इसके कारण एसिडिटी, पेट दर्द और कब्ज की समस्या हो जाती है। अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि जीरे का अर्क या जीरे का पानी इसमें प्रभावी है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों जैसे सूजन और अन्य समस्याओं के उपचार में भी कारगर है। 50 लोगों पर की गई स्टडी में जीरा पानी को पाचन तंत्र के लिए बढ़िया मन गया। मरीज को प्रत्येक दिन कूमिन एसेंशियल आयल को भी मरीजों के लिए फय्देमंन्द बताया गया।
पाचन में सुधार करता है
शोध में पाया गया कि जीरे में थाइमोल नामक एक विशेष यौगिक पाया जाता है। यह गैस्ट्रिक ग्रंथि के स्राव को उत्तेजित करता है। यह आंत को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, फैट और शुगर जैसे जटिल पोषक तत्वों को तोड़ने में मदद करता है। यह अपच, दस्त और मतली जैसी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर रखता है।जीरा सबसे पुराने जड़ी-बूटियों में से एक है। ईरान में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। जीरे के फल में ट्रेपेनोइड्स (जैसे β-पिनिन, α-पिनीन, जीरा अल्कोहल, β-फेलेंड्रीन) लगभग 10 जड़ी-बूटी से आवश्यक तेल होता है।
इसका उपयोग ऊर्जा और प्रतिरक्षा बढ़ाने, पाचन, मूत्रवर्धक, परजीवी विरोधी, विरोधी ऐंठन के रूप में किया जाता है। पारंपरिक ईरानी चिकित्सा में साज भी पेट फूलना विरोधी और समुदाय में वजन घटाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
जीरा से बोवेल मूवमेंट
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. नीतू बताती हैं कि यदि त्योहार के अवसर पर हेवी खाने की योजना है, तो सुबह खाली पेट जीरे का पानी पी लें। इससे गरिष्ट भोजन को पचाकर जीरा भोजन को बड़ी आंत की तरफ भेजने में मदद करता है। इससे बोवेल मूवमेंट सही तरीके से हो पाता है। इससे वजन पर भी नियन्त्रण रह पाता है। वजन घटाने के लिए स्वस्थ आंत बेहद जरूरी है। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में भी मदद करता है।
यहां हैं जीरा पानी को तैयार करने की दो विधि
जीरा पानी को 2 तरह से तैयार किया जा सकता है।
1 भून कर
एक पैन में जीरा को हल्का भून लें। इसे मिक्सी में पीस लें।
इसमें 2 कप पानी डालकर कम आंच पर उबलने दें।
जब 1 कप पानी बचे, तो उतार कर छान लें ।
इसमें एक टी स्पून नींबू का रस निचोड़ दें। आवश्यकतानुसार, सफेद और काला नमक डाल कर एक चुटकी चीनी भी डाल दें। ठंडा होने पर पी जाएं।
जीरा को उबालकर
5 कप पानी
1 टेबलस्पून जीरा
1 टेबल स्पून धनिया
आधा टेबलस्पून आजवाइन
आधा टेबल स्पून सौंफ
आप चाहें, तो इन सभी को रात में भिगोकर सुबह इसके पानी को छानकर पी सकती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंइन सभी दानों को 5-6 कप पानी में रात भर भिगो दें। सुबह उठकर कम आंच पर इसे उबाल लें। धीमी आंच पर ही उबालें।
यदि 1 कप पानी जल गया है, तो इसे छानकर पी लें। चाहें तो काला नमक और नींबू का रस मिलकर भी पी सकती हैं।
2 दिन का बनाकर इसे रेफ्रिजरेट भी कर सकती हैं। दूसरे दिन इसे गर्म कर पी सकती हैं। धनिया, आजवाइन, सौंफ मिलकर इसे और भी अधिक सुपाच्य बना सकते हैं।
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