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Air Pollution : हार्ट हेल्थ को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है वायु प्रदूषण, जानिए कैसे

Published on:23 January 2024, 17:03pm IST

पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण का स्तर स्किन से लेकर ब्रेन तक, आपके स्वास्थ्य को कई प्रकार से प्रभावित करता है। पर क्या आप जानते हैं कि वाहनों, कारखानों और धूम्रपान से बढ़ने वाला वायु प्रदूषण हृदय रोगों के खतरे को भी बढ़ा देता है। आइए जानते हैं क्या होता है आपके हृदय स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का असर।

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क्यों हार्ट हेल्थ के लिए नुकसानदायक है प्रदूषण

वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होने लगता है। इसके चलते हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता कमज़ोर होने लगती है। इससे चेस्ट पेन, दिल का दौरा और स्ट्रोक की संभावना बढ़ने लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की साल 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से 31 फीसदी लोगों की मौत हुई है।

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इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से ब्लड वेसल्स का कार्य बाधित होने लगता है। इससे वे आवश्यकतानुसार लार्ज और श्रिंक नहीं हो पाती है। इस समस्या को एंडोथीलियल डिस्फंक्शन कहा जाता है। इससे ब्लड में क्लॉटस की समस्या बढने लगती है, जो ब्लड प्रेशर का कारण बनने लगते है। हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।

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बढ़ जाती है शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। युनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के अनुसार वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानि एचडीएल जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। उसके स्तर में गिरावट आने लगती है। इससे हृदय रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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यह स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ा देता है

एएचए जर्नल की एक रिसर्च के अनुसार गैसीय और पर्टिक्यूलिट एयर पॉल्यूटेंटस के कारण स्ट्रोक की संभावना बढ़ने लगती है। दरअसल, हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन के संपर्क में आने से चेस्ट पेन और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ने लगता है।

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ब्लड वेसल्स को करे डैमेज

पर्यावरण में फैले प्रदूषण में सांस लेने से उसका असर फेफड़ों पर असर डालता है और फिर लंग्स के माध्यम से हृदय को प्रभावित करता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन धीमी गति से होने लगता है, जिससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ने लगता है। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित और सख्त होकर डैमेज होने लगती हैं।

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एरिथमिया की समस्या

वायु प्रदूषण के कारण दिल की धड़कन असमान तरीके से बढ़ने घटने लगती है। सामान्य हार्ट बीट रेट 60 से 100 प्रति मिनट के मध्य बना रहता है। वायु प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है, जिससे हार्ट बीट रेट प्रभावित होता है। इससे हार्ट अटैक और कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ का जोखिम बढ़ जाता है।

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