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अगर पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो अपनाएं आयुर्वेद के ये नियम

कहते है जब व्यक्ति का पेट ठीक नहीं होता, तो उसके लिए कुछ ठीक नहीं होता। पाचन संबंधी समस्याएं व्यक्ति को काफी परेशान कर सकती है। आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल में यह समस्या आम हो गई है। वहीं, आयुर्वेद के अनुसार अपने दिनचर्या और खानपान में बदलाव करके हम इस इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
जानिये पाचन संबंधी समस्या में किस तरह सहायक है आयुर्वेद। चित्र- अडोबीस्टॉक
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स्वस्थ और खुश जीवन का डोर स्वस्थ स्वास्थ्य ही है। लेकिन आजकल की अस्वस्थ जीवनशैली और खराब खानपान कई बीमारियों की जड़ बन गया है। तमाम तरह के फ़ास्ट फूड और अनियमित दिनचर्या के कारण तमाम बीमारियो ने लोगों को घेर लिया है। इनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, हृदय संबंधी समस्याएं शामिल है।

लेकिन अस्वस्थ खानपान के कारण पेट संबंधी समस्याएं भी एक अहम मुद्दा बन गई है। अनहेल्दी जायकेदार खाना स्वाद तो देता है लेकिन सेहत पर अपना बहुत बुरा प्रभाव छोड़ देता है, जिसके कारण पाचन से संबंधित समस्याएं व्यक्ति को घेरने लगती हैं।

लेकिन पाचन संबंधी समस्याओं को आयुर्वेद में एक रोग के रूप में माना जाता है और इनसे बचने व इनके प्रबंधन के लिए अलग-अलग तरह के आयुर्वेदिक नियम और उपाय होते हैं। इसी मुद्दे पर आयुर्वेद के जानकार आचार्य बालकृष्ण बतातें हैं कि यदि हम आयुर्वेद से जुड़े तीन नियमों को अपने जीवन में अपना लें, तो हमको पाचन संबंधी समस्याओं से आराम मिल सकता है।

1 आहार सम्बंधित नियम (Dietary Guidelines)

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन के लिए आहार संबंधित नियम बेहद आवश्यक है। इस नियम के तहत भोजन बनाने से लेकर भोजन करने तक का ध्यान देना चाहिए। आचार्य बालकृष्ण बतातें हैं कि सबसे पहले हमें अपने खाना बनाने की सामग्री का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

अगर हो सके तो अपने आहार में स्वास्थ्यपूर्ण और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करें। वहीं, इसके बाद खाने की मात्रा का विशेष ध्यान दें। अधिक भोजन करने की बजाय उचित मात्रा में खाएं। अत्यधिक भोजन पाचन संबंधी समस्याओं का मुख्य कारण बनता है।

हमें स्वस्थ आहार करना चाहिए। चित्र : अडोबीस्टॉक

वहीं, भोजन को बिना किसी जल्दी के और आराम से खाएं। जल्दी जल्दी भोजन करने से भोजन के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, खाने के साथ जल पीने का समय भी पाचन के लिए बहुत अहम है। भोजन के बाद पानी पीने की अवधि पर भी पाचन का विशेष प्रभाव पड़ता है।

2 आहार सांस्कृतिक नियम (Dietary Habits)

आहार संबंधित नियमों में आयुर्वेद के अनुसार आहार की संस्कृति भी बेहद आवश्यक है। इसमें आहार की विविधता को बढ़ावा दें और एक ही प्रकार के आहार बार-बार न खाएं, अलग-अलग तरह का आहार खाने से शरीर को तमाम तरह के पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर का शारीरिक और मानसिक विकास सुनिश्चित करता है।

3.जीवनशैली सम्बंधित नियम (Lifestyle Guidelines)

पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेद में जीवनशैली को अच्छा रखने की बात भी कही गई है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, स्वस्थ जीवनशैली के लिए सही व्यायाम, पर्याप्त नींद और नशीले व विषाक्त पदार्थों से दूरी बेहद जरूरी है। यदि व्यक्ति इन नियमों को पालन करता है, तो उसे सिर्फ पाचन में ही नहीं बल्कि हर तरह की स्वास्थ्य समस्या से आराम मिल सकता है।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी जीवनशैली भी जरूरी है। चित्र- अडॉबीस्टॉक

स्वस्थ जीवन बनाएं रखने के लिए नियमित व्यायाम, योग और प्राणायाम बेहद जरूरी है। यह गतिविधियां शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बहुत अच्छा कर देती हैं, जिससे पाचन सहित तमाम बीमारियों से राहत मिलती है। वहीँ, इसके बाद पर्याप्त नींद प्राप्त करना भी व्यक्ति के समग्र विकास के लिए बेहद आवश्यक है। यदि व्यक्ति की नींद पूरी नहीं होती, तो उसका पाचन प्रभावित होता है।

4 आयुर्वेदिक औषधि

आयुर्वेद में कई ऐसी प्राकृतिक चीज़ें भी हैं, जो औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार यदि व्यक्ति को पाचन संबंधी समस्या है, तो वे यदि इन प्राकृतिक चीज़ों को सही ढंग से और पूरी जानकारी के साथ खाता है, तो उसे पेट संबंधी समस्याओं से आराम मिल सकता है।

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यह प्राकृतिक चीज़ें आंवला, हरड़, जीरा, त्रिफला, इलायची आदि है। यह प्राकृतिक औषधियां हम कई बरसों से अपने आम भोजन में प्रयोग करते हुए आए हैं, जिससे हमारा स्वास्थ्य सही रहता है।

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कार्तिकेय हस्तिनापुरी

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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