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बच्चे के लिए बर्दाश्त कर रहीं हैं एक टॉक्सिक रिश्ता? तो जानिए यह कैसे आप दोनों के लिए गलत है

यदि आप एक टॉक्सिक मैरिज (Toxic Marriage) को सिर्फ अपने बच्चे की खुशी और उसके आने वाले जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए निभा रही हैं, तो आपको इस पर विचार करना चाहिए।
बच्चे का ख्याल रखने के अलावा अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल भी रखें। चित्र : शटरस्टॉक
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विवाहित जीवन, अच्छा घर परिवार, बच्चे – यकीनन यह सब किसी अच्छे सपने की तरह लगता है। मगर ज़रूरी नहीं हैं कि लाइफ में सब कुछ परफेक्ट हो। यदि आप एक ऐसी शादी में हैं, जो अनहेल्दी (Unhealthy) है या टॉक्सिक (Toxic) है, तो इससे छुटकारा पाना ही बेहतर है। मगर यह निर्णय लेना बहुत मुश्किल हो सकता है यदि आप दोनों के बीच बच्चे भी हैं। सिर्फ एक निर्णय अपके और आपके बच्चे के आने वाले जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है।

वाकई रिश्ते से अलग होने का निर्णय बहुत कठिन है। हर मां अपने बच्चे को एक अच्छा जीवन देना चाहती है। परंतु, कभी – कभी परिस्थितियां आपके हाथ में नहीं होती। और तब अलग होना ही एकमात्र रास्ता होता है।

तो अपने बच्चों की खातिर यह निर्णय लेने से पीछे न हटें क्योंकि, माता-पिता के आपसी संबंध यदि हेल्दी न हों, तो बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। लगभग 13% बच्चे एंग्जायटी (Anxiety) का शिकार होते हैं, यदि उनके आसपास का वातावरण अनहेल्दी हो।

बच्चे के साथ टॉक्सिक रिश्ते से कैसे बाहर निकलें। चित्र: शटरस्टॉक

यकीनन अपनी परिस्थिति के बारे में आप ही बेहतर तरीके से समझ सकती हैं। पर यहां कुछ ऐसे टिप्स हैं, जो एक बच्चों के साथ एक टॉक्सिक मैरिज से निकलने में आपकी मदद करेंगे। ताकि आप अपने बच्चे को एक बेहतर और स्वस्थ माहौल दे पाएं।

1 खुद को मजबूत बनाएं

विवाह से अलग होने का निर्णय आसान नहीं है! न आपके लिए और न ही आपके बच्चे के लिए। ऐसे में आपका मजबूत रहना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि अगर आप कमजोर पड़ीं, तो बच्चे के लिए खुद को संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए खुद को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक (Financial) रूप से मजबूत बनाएं।

2. अपने बच्चे से इस बारे में बात करें

सबसे पहले अपने बच्चों से बात करें कि उन्हें आपके संबंधों के बारे में क्या जानकारी है। यदि आपका बच्चा बड़ा है, तो यह थोड़ा आसान हो सकता है। मगर, यदि आपका बच्चा छोटा है, तो उसे यह बताना ज़रूरी है कि उसके माता – पिता अब साथ नहीं रहेंगे। इसमें आपको ज़्यादा डिटेल्स देने की ज़रूरत नहीं है, बस उन्हें उनकी भाषा में समझाने की कोशिश करें।

अपने बच्चों से खुलकर बात करें। चित्र : शटरस्टॉक

3. माता – पिता का उनके लिए प्यार कभी नहीं बदलेगा

भले ही आपके संबंध कैसे भी हों, लेकिन माता – पिता अपने बच्चों से कभी नाराज़ नहीं हो सकते हैं। इसलिए यदि आप तलाक (Divorce) ले रही हों, तो उन्हें समझाएं कि आप दोनों का प्यार उनके लिए कभी कम नहीं होगा। परिस्थितियां भले ही बदल जाएं, लेकिन माता-पिता का साया उन पर हमेशा रहेगा और तलाक का उनसे कोई लेना देना नहीं होना चाहिए।

4. बच्चों के सवालों का जवाब दें

जब आप उन्हें यह बताएंगी, तो यकीनन उनके मन में कई सवाल पैदा होंगे। ऐसे में उनकी बातों को सुनें और वे क्या सोच रहे हैं उसे समझने की कोशिश करें। उनके सवालों को टालें नहीं और खुले दिमाग से उनका जवाब दें। जीवन के इस नए चरण में उनका आत्मविश्वास (Confidence) बढ़ाने में मदद करें। उन्हें यह जानने में मदद करें कि आप हमेशा उनके लिए रहेंगी, चाहे कुछ भी हो।

5. अपने बच्चे के लिए पॉज़िटिव वातावरण बनाएं

जीवन में आने वाले नए उतार-चढ़ाव के बीच उन पर ध्यान देना ज़रूरी है। जब आप पहली बार अलग रहना शुरू करेंगे, तो बच्चों के लिए यह एक मुश्किल बदलाव होगा। इसलिए इस समय को जितना हो सके उतना स्पेशल और सकारात्मक (Positive) बनाने की कोशिश करें। सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चों के साथ ढेर सारा क्वालिटी टाइम (Quality Time) बिताएं।

अपने बच्चे के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताएं। चित्र ; शटरस्टॉक

6. बच्चे की परवरिश के बारे में होमवर्क करें

अभी तक आपका बच्चा माता – पिता दोनों के साथ में पल रहा था, मगर अब आपको उनका ख्याल अकेले रखना होगा। इसके लिए होमवर्क करें यदि आपकी कोई फ्रेंड सिंगल मदर हो तो उनसे भी बात कर सकती हैं। उन्हें बचपन से सेविंग करना सिखाएं। उन्हें अपनी सुरक्षा खुद करना सिखाएं गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं।

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7. बच्चे को आत्मनिर्भरता के छोटे-छोटे टिप्स दें

आपको ज़रूरत है सबसे पहले अपने बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने की, क्योंकि अब आप एक सिंगल मदर हैं। इसलिए, उसे डराएं नहीं, मगर जीवन और समाज के प्रति जागरुक करें। इसकी शुरुआत आप उनके छोटे – छोटे कामों से कर सकती हैं। जैसे अपनी अलमारी साफ करना, घर में जूते चप्पलों को सही जगह रखना, स्वयं भोजन करना आदि।

उन्हें यह भी बताएं कि आप औरों से अलग नहीं हैं और एक बहादुर बच्चे हैं तथा उनके हर फैसले के लिए उनकी प्रशंसा करना न भूलें। इन सभी से उनके अंदर आत्मनिर्भरता का भाव पैदा होगा।

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ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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