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डिजिटल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल युवाओं में बढ़ा रहा है डिजिटल स्ट्रेस, जानें इससे निपटने के 5 प्रभावी उपाय

शॉपिंग से लेकर मीटिंग तक अगर सब कुछ डिजिटली करने लगी हैं, तो थोड़ा ब्रेक लें। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ज्यादा निर्भरता आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकती है।
डिजिटल स्ट्रेस को कंट्रोल करेंगे ये 5 उपाय। चित्र : शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Updated: 23 Oct 2023, 09:16 am IST
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टेक्नोलॉजी, डिजिटल प्लेटफॉर्म और इंटरनेट दिन-प्रतिदिन तेजी से ग्रो कर रहे हैं और इन पर लोगों की निर्भरता भी बढ़ती जा रही है। जिसका असर सेहत पर भी नजर आने लगा है। आजकल लोग छोटी उम्र में ही तनाव, अवसाद आदि का शिकार हो रहे हैं। जिसका कारण बढ़ता स्क्रीन टाइम और डिजिटल ओवरयूज है। तो आज हेल्थ शॉट्स से जानेंगे आखिर किस तरह डिजिटल स्ट्रेस हमारी सेहत को प्रभावित करता है, साथ ही जानेंगे इससे बचाव के कुछ जरूरी टिप्स।

भले ही डिजिटलाइजेशन ने हमारे कई कार्यों को बहुत आसान बना दिया है, परंतु इसका खामियाजा सबसे ज्यादा हमारे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को भुगतना पड़ रहा है।

असल दुनिया से हटकर एक अलग डिजिटल दुनिया भी हमारा समय लेने लगी है, जिससे “डिजिटल स्ट्रेस” बढ़ रहा है। जी हां! डिजिटल स्ट्रेस (Digital stress) एक प्रकार का तनाव है, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।

पहले जानें क्या है डिजिटल स्ट्रेस

वर्क फ्रॉम होम हो या ऑफिस हर जगह हम लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा जब हमें फ्री टाइम मिलता है, तो हम अपने मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया स्क्रॉल करने लग जाते हैं। हमारा दिमाग आंख और शरीर पूरे दिन टेक्नोलॉजी और डिजिटलाइजेशन से घिरा रहता है। यहां तक कि रात को सोने से तुरंत पहले तक हम मोबाइल चलाते रहते हैं। इन सभी आदतों की वजह से डिजिटल स्ट्रेस (Digital stress) बनता है।

हमारी आंखें एवं शरीर एक लिमिटेड समय के लिए स्क्रीन टाइम को झेल सकती हैं। उसके बाद यदि आप इसका प्रयोग करती हैं, तो उसका आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सोशल मीडिया पर चल रही तमाम चीजें आपके दिमाग में 24 घंटे घूमती रहती हैं, ऐसे में आपका ब्रेन थोड़ी देर भी शांत नहीं रहता तो ऐसी स्थिति में तनाव बनना बिल्कुल आम है। डिजिटल स्ट्रेस (Digital stress) की स्थिति में सिर दर्द, कमर दर्द, इरिटेशन, आंखों में जलन होने जैसे तमाम लक्षण देखने को मिलते हैं।

ऑफिस में खुद को फिट रखना है तो डिजिटल डेटॉक्स है जरुरी। चित्र : शटरस्टॉक

जानिए डिजिटल स्ट्रेस को कैसे कंट्रोल करना है

1. एक सुनिश्चित बाउंड्री तय करें

आरती आनंद के अनुसार खुद को डिजिटल स्ट्रेस से डिटॉक्स करने के लिए पूरे दिन में कुछ ऐसा समय निश्चित करें, जब आप मोबाइल फोन से पूरी तरह से दूरी बनाए रखेंगी। इसमें सेल्फ कंट्रोल बहुत ज्यादा मायने रखता है।

निश्चित रूप से खाना खाते वक्त, वॉशरूम में, रात को सोने से पहले, दोस्तों के साथ या फिर परिवार के सदस्यों के साथ बैठे होने पर मोबाइल का इस्तेमाल न करें। यदि आप लैपटॉप या पीसी पर अपने ऑफिस का काम करती हैं, तो बीच-बीच में ब्रेक लेती रहें।

20-20 रूल अपना सकती हैं। जैसे कि हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड के लिए अपने आंखों को लैपटॉप से हटाकर किसी अन्य ऑब्जेक्ट पर टिकाए रखें।

ऐसा करने से आपके आंखों का थकान कम होता है। जब आपकी आंखें रिलैक्स रहती हैं, और आप फोन चलाने का एक निश्चित समय तय कर लेती हैं, तो ऐसे में डिजिटल स्ट्रेस होने का खतरा बहुत कम होता है। ऐसे में आप पूरे दिन में अन्य गतिविधियों में भी भाग ले पाती हैं।

2. अपने डिवाइस नोटिफिकेशन को कस्टमाइज करें

जैसे ही आपके फोन का नोटिफिकेशन बजता है, आप अपने सभी काम छोड़कर अपने फोन के पास भागते हैं। यह आदत सेहत के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है, क्योंकि यह आपके मोबाइल और आपके बीच के अंतर को धीरे-धीरे और ज्यादा कम कर रहा है। हमेशा जरूरी नोटिफिकेशंस को ऑन रखें और फोन के अन्य सभी नोटिफिकेशंस को बंद कर दें। ऐसी स्थिति में आप आसानी से डिजिटल स्ट्रेस से दूरी बनाए रख सकती हैं।

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3. ब्लू लाइट फ़िल्टर का इस्तेमाल करें

आरती आनंद के अनुसार फोन से निकलने वाली ब्लू लाइट से आंखों पर भार पड़ता है, जिसकी वजह से नींद पूरी तरह से डिस्टर्ब हो जाती है। ब्लू लाइट फिल्टर, ग्लास और ब्लॉकिंग स्क्रीन प्रोटेक्टर्स का इस्तेमाल आंखों पर पड़ने वाले ब्लू लाइट के प्रभाव को कम कर देता है। साथ ही यह आपके नींद की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।

आखों को कुछ देर का ब्रेक देना है जरुरी। चित्र : शटरस्टॉक

4. माइंडफुलनेस का अभ्यास करें

खाना खाते वक़्त इंस्टाग्राम स्क्रॉल करने जैसी मल्टीटास्किंग काम काफी मजेदार लगते हैं, पर ये सेहत के लिए कितने हानिकारक हो सकते हैं, इसकी जानकारी आपको शायद नहीं है। हमेशा ऐसी चीजों को अवॉइड करें। डिजिटलाइजेशन की दुनिया को आवश्यकता अनुसार इस्तेमाल करना सही है, परंतु इसका अधिक इस्तेमाल आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।

आरती आनंद के अनुसार डिजिटल स्ट्रेस के प्रभाव को कम करने के लिए अपने फ्री समय में माइंडफूलनेस जैसे कि योग, मेडिटेशन, इत्यादि का अभ्यास करें। इसके साथ ही अपने मन पसंदीदा कार्य जैसे की पेंटिंग, डांसिंग, सिंगिंग, लेखन जैसी गतिविधियों में भाग ले सकती हैं।

5. फेस टू फेस मीटिंग रहेगी अधिक प्रभावी

मेंटल एक्सपर्ट बताती हैं की डिजिटलाइजेशन ने हमें अपनों से जितना ज्यादा जोड़ा है उससे कहीं ज्यादा दूर कर दिया है। आज हम विदेश में बैठे लोगों से बातचीत कर सकते हैं, परंतु घर के पास रहने वाले व्यक्ति से शायद महीने में एक बार भी नहीं मिलते हैं। लोगों से फोन कॉल पर बात करने का प्रेशर, सोशल मीडिया पर चैट करने का दबाव यह सभी आपको डिजिटल स्ट्रेस का शिकार बना रहा है।

जब कभी आप फ्री रहती हैं, तो फोन पर बात करने की जगह अपने किसी दोस्त या परिवार के सदस्य जो आपके आसपास रहता हों, उनसे मिलें और बैठकर बातचीत करें। ऐसा करने से आपका स्क्रीन टाइम कम होता है और आप टेक्नोलॉजी से थोड़ी देर के लिए ही सही दूर रहती हैं। जो आपके मेंटल हेल्थ के लिए बहुत जरूरत है।

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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