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“मैं उदास हूं” संभल कर करना चाहिए इस वाक्‍य का इस्तेमाल, मनोचिकित्सक बता रहे हैं क्यों

दुखी और उदास होने के बीच एक महीन सा अंतर है, आपको उस अंतर को समझने की जरूरत है। वरना आपके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
तनाव, अवसाद और अकेलेपन के कारण दुनिया भर में लाखों युवा आत्‍महत्‍या कर लेते हैं। चित्र: शटरस्‍टाॅॅॅक
Sahana S Updated: 10 Dec 2020, 11:56 am IST
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हम उस शक्ति को बहुत कम आंकते हैं जो हमारे शब्दों में हैं। हम अक्सर खुद को “हारे हुए” या  “बेकार”  जैसे शब्‍दों की संज्ञा में बांध देते हैं। हम अकसर लोगों को ऐसा बोलते हुए सुनते हैं और खुद भी यह कहने लगते हैं कि “मुझे ओसीडी है” या “मैं उदास हूं”।

वास्तव में, एक बार मेरी एक क्‍लाइंट मुझ पर बरस पड़ी थीं, जब मैंने उन्‍हें कहा कि उन्‍हें व्यक्तित्व विकार यानी पर्सनेलिटी डिसऑर्डर के उपचार की जरूरत नहीं है। हालांकि उनमें इसके कुछ प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं।

मैं समझ नहीं पाती कि लोग खुद को ऐसे शब्‍दों में क्‍यों अभिव्‍यक्‍त करते हैं। ये नकारात्मक लेबल हैं।  क्या वे ऐसा किसी खास उद्देश्य से करते हैं?  खैर, चाहे वह नकारात्मक लेबल है या सकारात्मक लेबल, लोग इस तरह खुद को कहीं न कहीं “फिट” करने की कोशिश कर रहे होते हैं।  और कभी-कभी “फिटिंग इन” का अर्थ है, एक समूह का हिस्सा होने की कोशिश।

यह आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है

खुद को लेबल करने का अर्थ यह भी है कि आप अपनी समस्‍या के बारे में अच्‍छी तरह से जानते हैं। कुछ के बारे में ऐसा लगता है कि उन्‍हें अपनी दिशा मिल गई है और अब वे इसके उपचार की ओर बढ़ सकते हैं।

लेकिन जो हो रहा है, उसका हमें असल में अहसास ही नहीं हो पाता। जब हम खुद को इस तरह के लेबल देने लगते हैं, तो हम खुद को वहां पहुंचा देते हैं, जो असल में हम नहीं हैं। मनोविज्ञान में इसे सेल्‍फ फुलफि‍लिंग प्रोफेसी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि हमें संदेह हो गया है, चाहें हम वह हैं या नहीं। पर बाद में वह हमें वहां तक पहुंचा ही देगा।

अपने आप को वह बताना जो असल में आप नहीं है, आपको नुकसान की ओर धकेलता है। चित्र: शटरस्टॉक।

उदाहरण के लिए, आइए इन दो बयानों के बीच अंतर देखें: “मैं नाखुश महसूस करता हूं” और “मैं उदास हूं”। पहले का मानना है कि हम अपने वर्तमान मन की स्थिति व्यक्त कर रहे हैं। यह एक अस्थायी भावना की तरह लग रहा है।

जबकि, दूसरे वाक्‍य, “मैं उदास हूं”, में मानसिक स्वास्थ्य विकार की ओर इशारा करता है। जो आप खुद को दे रहे हैं। यह  हमें अपने बारे में बेहतर सोचने से रोकता है।

जब हम अपने बारे में बेहतर महसूस नहीं करते हैं, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि हम वास्तव में उदास हैं। इसलिए, अनजाने में हम खुद को एक दुष्चक्र में फंसा पाते हैं।

और एक बार यह शुरू होने पर आप खुद को बेहतर बना पाने में बहुत मुश्किल महसूस कर सकते हैं।

तो हम इससे कैसे बचे रह सकते हैं?

तो इस तरह की भावना से खुद को बचाने का बेस्‍ट तरीका है कि आप अपने बारे में जो कह रहे हैं, उसे गंभीरता से सोचें। अगर हम अपने बारे में सही तरह से नहीं जानते हैं, तो गलतफहमी होने की संभावना बढ़ जाती है।

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मैं आपको अवसाद के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण बताती हूं

तीन मुख्य लक्षण हैं: ज्यादातर समय दुखी महसूस करना; उन गतिविधियों में रुचि की कमी जो पहले बहुत अच्‍छी लगती थीं; और थकावट महसूस होना। यदि इनमें से कोई भी लक्षण कम से कम दो अन्य लक्षणों के साथ मौजूद है जैसे गतिविधियों में खुशी महसूस न करना, निराशावादी सोच में वृद्धि, डिस्‍टर्ब स्‍लीप और भूख में बदलाव, निराशा की भावना,  असहायता महसूस करना, और/या आत्मघाती विचार, जो कम से कम 2 सप्ताह तक रहता है – तो हम कह सकते हैं कि आप वाकई अवसाद के शिकार हैं।

अवसाद के लक्षणों को जानना महत्वपूर्ण है, जैसे भूख और गतिविधियों में रुचि में कमी आना। चित्र : शटरस्टॉक

खुद के प्रति सहयोग और सद्भावना  रखें 

लोग लापरवाही से खुद के बारे में नकारात्मक बयान देते हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि दूसरों को यह पता चले कि वे किस स्थिति से गुजर रहे हैं। अपनी असुरक्षा और भय को छिपाने के लिए, और बहुत से ऐसे कारण हैं, जिनके चले वे ऐसी हरकतें कर जाते हैं। इसलिए, इस तरह के नकारात्मक बयान देकर खुद का मजाक बनाने या खुद के प्रति कठोर होने से बचना चाहिए। इसके बजाय हमें अपना ध्‍यान उन चीजों पर लगाना चाहिए, जिनसे हम कुछ सीख सकते हैं।

अपने प्रति अधिक सद्भाव दिखाएं और सहयोग करें। धैर्य बहुत जरूरी है, आप महसूस करेंगी कि कुछ ही दिनों में आपकी नकारात्‍मक सोच, खुद के प्रति सकारात्‍मक होने लगी है।

Sahana S

Sahana  is a psychologist and outreach associate at Mpower – The Centre, Bengaluru ...और पढ़ें

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