किसी अपने को खो दिया है, तो दलाई लामा की शिक्षाओं से जानें दुखों से उबरने का तरीका
हमारे जीवन में कई ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब हमें अचानक दुख का सामना करना पड़ता है। हम असहाय महसूस करने लगते हैं और अपने दुखों का निवारण करने के लिए अथक प्रयास करने के बावजूद हम मानसिक शांति प्राप्त करने में असफल रहते हैं। यह सभी हमारे जीवन की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसलिए, ज़रूरी है कि इसका कारण समझें और कुछ बातें अपनाएं।
बौद्ध आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा स्वयं करुणा के पर्याय हैं। इनकी शिक्षाएं आज के समय में बेहद उपयोगी हैं। मौजूदा डर, तनाव और दुख के माहौल में एक सामान्य व्यक्ति भी इनसे जुड़ाव महसूस करता है।
जानिए दुख को कैसे लर्निंग में बदलने की सलाह देते हैं दलाई लामा
1. जब आपका कुछ खो रहा है, तो उससे मिले सबक को याद रखें
हमारे जीवन में कई बार ऐसे दुःख आते हैं जिनसे उबरना बहुत मुश्किल होता है। हम किसी ऐसे अनमोल साथी को खो देते हैं, जो हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है। दलाई लामा कहते हैं कि जैसे ”शारीरिक पीड़ा का कारण शरीर से जुड़ा होता है, ठीक वैसे ही मानसिक पीड़ा का कारण हमारे सोचने समझने के नज़रिए यानी मन से जुड़ा होता है।
अगर हम एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखें और जा चुके व्यक्ति की दी हुई शिक्षाओं को हमेशा याद रखें, तो हमें अपने दुखों से पार पाने में मदद मिल सकती है। हम उनकी सकारात्मक यादों और शिक्षाओं को अपने मन मस्तिष्क में सालों साल जीवित रख सकते हैं और उनसे सीख ले सकते हैं।
2. दूसरों की मदद नहीं कर सकते, तो सहानुभूति जरूर रखें
कई बार ऐसा होता है कि आप चाहते हुए भी औरों की मदद नहीं कर पाते। कई बार परिस्थितियां आपका साथ नहीं देती, और कभी आप शारीरिक और आर्थिक तौर पर किसी की मदद करने में सक्षम नहीं होते। यह किसी के भी साथ हो सकता है। इस पर आत्म ग्लानि महसूस न करें।
ऐसी स्थिति में जरूरी है कि आप उन्हें किसी भी तरह की चोट न पहुंचाएं। सहानुभूति एक बड़ा संबल है। आपको उनसे कम से कम सहानुभूति जरूर रखनी चाहिए और समर्थ व्यक्ति को उन तक पहुंचाने में मदद करनी चाहिए।
3. भौतिक सुख नहीं, रिश्तों का सुख है सबसे बड़ा
हमने अक्सर देखा है कि संपन्न व्यक्ति ही अनेक चिंताओं से घिरा रहता है। सभी सुख सुविधाएं होते हए भी उसके साथ ख़ुशी बांटने के लिए कोई नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि एक समय में उन्होंने भौतिक सुखों को ही सर्वोपरि माना था और रिश्तों की परवाह नहीं की थी।
इसलिए, भौंतिक सुख के पीछे अपना जीवन बर्बाद न करें। यह अंत में आप ही के दुखों का कारण बनता है।
4. भीतर की शांति पर दें ध्यान
अगर आप अपनी ख़ुशी दूसरों में ढूंढने की कोशिश करेंगे, तो आप कभी सुखी नहीं रह पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी ख़ुशी दूसरों पर निर्भर करने लगेगी। इसलिए अगर हम वही सुख और शांति अपने पास तलाशने की कोशिश करें, तो हमारे दुखों का निवारण हो सकता है।
5. छोटी-छोटी बहसों में रिश्तों को चोटिल न करें
किसी ने सही कहा है कि एक बार कहे हुए शब्द वापस नहीं लिए जाते। कई बार हम विवादों में न चाहते हुए भी घिर जाते हैं। आक्रोश में आकर हम कुछ ऐसा कह देते हैं जिससे एक रिश्ता हमेशा के लिए टूट जाता है और हमारे दुखों का कारण बन जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंपरन्तु एक बार धैर्य से अपनी कही गयी बातों पर विचार करें। अगर आपको लागता है कि माफी मांगने से रिश्ता जुड़ सकता है या विवाद टल सकता है, तो कृपया देर न करें।
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