Philophobia : जानिए क्या है मन की यह स्थिति जब कोई व्यक्ति प्यार करने से डरने लगता है
डर को कोई आकार या साइज़ नहीं होता है, जिस प्रकार छोटा सा दिखने वाला कॉकरोच भय का कारण बन जाता है। ठीक उसी समान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो प्यार में पड़ने से डरते हैं। दरअसल, इस स्थिति को फिलोफोबिया कहा जाता है। ये इंसान को प्यार का अनुभव करने से बा बार रोकती है। खासतौर से वे लोग जिन्हें प्यार में धोखा मिला या उन्हें किसी तरह के निगेटिव अनुभव का सामना करना पड़ा। वे लोग प्यार से डरते नज़र आते हैं। बार बार प्यार में मिलने वाला धोखा इन लोगों को अंदर से चोटिल कर देता है। बार बार उसी स्थिति से होकर न गुज़रने के कारण ये लोग प्यार शब्द से भी डरने लगते हैं (tips to get rid of philophobia)।
प्रेम से भयभीत रहने वाले लोगों को इससे उभरने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। इस बारे में हेल्थशॉट्स ने अपोलो अस्पतालए नवी मुंबई में मनोविज्ञान सलाहकार डॉ रितुपर्णा घोष से बातचीत की।
क्या फिलोफोबिया होना सामान्य है
इस बारे में डॉ घोष कहते हैं कि प्यार से डर लगना या फिलोफोबिया का अनुभव होना सामान्य है। इसे किसी भी तरह से एक मेंटल डिसआर्डर के तौर पर नहीं देखा जा सकता है। हांलाकि ऐसा आचरण किसी व्यक्ति की इमोशनल वेलबींग और रिलेशनशिप्स को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में कई प्रकार के अनुभवों से होकर गुज़रता है। इसके चलते सबके अपने अपने अनुभव रहते है, जिका असर उनके व्यवहार पर भी दिखने लगता है।
कुछ लोग अपने पास्ट को भुला नहीं पाते हैं, जिसके चलते वो प्यार में दोबारा पड़ने से डरने लगते हैं। गुमसुम रहना, ज्यादा बात न करना और घंटों तक सोचना उनकी आदत हो जाती है। प्यार के मामले में सतर्क रहना गलत नहीं है। लेकिन अगर इसका प्रभाव आपके दैनिक जीवन और व्यवहार व कामकाज पर भी दिखने लगे, तो इसके लिए डाॅक्टरी सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।
जानते हैं वो आसान टिप्स जिनकी मदद से आप फिलोफोबिया की समस्या से बाहर आ सकते हैं
1. सेल्फ रिफ्लेक्शन
किसी भी काम को लेकर या फिर प्यार में जल्दबाजी अच्छी नहीं रहती है। विशेषज्ञ के मुताबिक किसी भी ऐसे विचार और मान्यता को न मानें जो आपको प्यार में दोबारा पड़ने से रोक रहा है। इसका असर आपके मस्तिष्क पर भी दिखने लगता है।
2. नकारात्मक विचारों से दूर रहें
कई कारणों से हमें अपने आसपास नकारात्मकता महसूस होने लगती है। ऐसे में प्यार रिश्तों या खुद के बारे में किसी भी प्रकार की नकारात्मक सोच को धीरे धीरे जीवन से बाहर निकाल दें। जीवन में मौजूद इन मान्यताओं को पाॅजिटिव विचारों से रिप्लेस करने का प्रयास करें। इससे आपका मन शांत रहेगा और जीवन में खोया आत्मविश्वास वापिस लौटआएगा। इसके अलावा प्यार को लेकर होने वाली समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
3.धीरे.धीरे आगे बढ़े
खुद को दोबारा से खुशहाल बनाने के लिए धीरे.धीरे प्रेम को समझें और उस राह में आगे बढ़ें। उस सिचुएशन को समझने का प्रयास करें, जिसमें प्यार और रिश्ते नाते शामिल होते हैं। अपना सोशल सर्कल क्रिएट करें और प्रेम के मामले में आगे बढ़ें फिर प्यार की राह में आने वाली हर चुनौती के लिए खुद को तैयार करें।
4. माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन
खुद को दुश्चिंताओं से मुक्ति दिलाने के लिए वर्तमान में जीएं। ध्यान और मेडिटेशन का अभ्यास करें। इससे मन को शंति और मज़बूती मिलने लगती है। आप जितना खुद को रिलैक्स रखेंगे, उतना ही प्रेम के करीब जाने लगेंगे। प्रे आपके जीवन में चिंता का नहीं बल्कि खुशी का अनुभव है।
5. सेल्फ लव और सेल्फ केयर है ज़रूरी
खुद को खुश रखने की कोशिश करें। अपनी पंसदीदा एक्टिीविटीज़ से लेकर खाने और घूमने फिरने के लिए समय निकालें। वीकेण्ड पर दोस्तों से मिलें और बातचीत करें। अपने आप से प्यार करना शुरू करें। इसके बाद आप खुद ब खुद दूसरों की फीलिग्स की केयर करने लगेंगे और अन्य लोगो की कंपनी आपको अच्छी लगने लगेगी। इसके लिए अन्य लोगों के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने चाहिए।
6. पुराने अनुभवों से सीख लें
पास्ट एक्स्पीरिंएस जिंदगी में बहुत कुछ सिखाकर जाते हैं। अगर आपके जीवन में भी कुछ ऐसे बीते हुए लम्हे गुज़रे हैं, तो उनसे न केवल सीख लें बल्कि उन्हें सुलझाने का भी प्रयास करंे। कई बार बहुत छोटी छोटी बातें दो लोगों के अलग होने का कारण बन जाती है। ऐसे में उन समस्याओ को सुलझाते हुए जीवन में आगे बढ़ना ज़रूरी है।
7. रियलिस्टिक वल्र्ड में रहें
इस बात को समझने का प्रयास करें कि हर व्यक्ति और हर रिश्ता पूर्ण नहीं होता है। किसी न किसी कारण से कोई न कोई कमी रह जाती है। दरअसल, खामिया हर व्यक्ति में होती है और हमें उसे वैसे ही एक्सेप्ट करना चाहिए। इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ घोष कहते हैं कि प्यार और रिश्तों के लिए इमेजिनेटिव वल्र्ड में न रहे और उससे बाहर आ जाएं। आज में रहकर जीना सीखें। इस बात को समझें कि एक रिश्ते को मज़बूत बनाने में दोनों लोगों का बराबर सहयोग होना ज़रूरी है। समझौता और विकास की आवश्यकता होती है।
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