चाहें जैसे भी हों हालात, इन 5 बातों के लिए आपको कभी नहीं महसूस होना चाहिए गिल्ट
जीवन में कभी न कभी हम ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं जिसके लिए आप खुद को दोषी मानते हैं। कई बार आप इस भावना से ग्रसित हो जाते हैं और इससे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ईमानदारी से कहें तो गिल्ट जैसी भावना की आपके जीवन में कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि यह आपकी खुशियों में खलल डालती है।
अगर आपको लगता है कि अपराध बोध महज एक भावना है, जो समय के साथ आती-जाती है, तो हम आपको बता दें ऐसा नहीं है। कई मामलों में यह भावना आपके मन से निकलती नहीं है। यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इसलिए गिल्ट को समझना जरूरी है।
गिल्ट आपके लिए कितनी खतरनाक होती है जानने के लिए हमने बात की मुंबई के वॉकहार्ड हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ सोनल आनंद से।
डॉ आनन्द अपराध बोध को मानती हैं बेहद नकारात्मक
गिल्ट अत्यधिक सोचने का ही परिणाम है। कई बार आप किसी परिस्थिति के बारे में इतना ज्यादा सोचती हैं कि आप उसमें अपनी गलती निकाल लेती हैं। ऐसा करने पर आप बोझ महसूस करेंगी।
“थ्योरी यह कहती है कि अपराध बोध अत्यधिक सोचने का नतीजा है। आपके विचारों से अगर किसी को नुकसान पहुंच रहा हो तो आपको गिल्ट का एहसास हो जाता है।” समझाती हैं डॉ आनंद।
वह कहती हैं,”गिल्ट अच्छी चीज है, क्योंकि यह हमें आपत्तिजनक काम करने से रोकती है। लेकिन बहुत गिल्ट आपके लिए खतरनाक है। इसे ‘पैथोलॉजिकल गिल्ट’ कहते हैं और यह आपके भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह आपके आत्मविश्वास को खत्म कर सकती है जिससे आपके काम और व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ता है।”
असामान्य गिल्ट आपको अवसाद, एंग्जायटी और शारीरिक हानि भी पहुंचा सकती है। अपनी गिल्ट को दबाकर रखने से आप शरीर मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करते हैं।
अपनी गलती के लिए अपराध बोध होना अलग बात है, लेकिन स्थिति हाथ से तब बाहर हो जाती है जब आप अपने हर निर्णय पर संदेह करने लगते हैं।
डॉ आनंद कहती हैं कि चाहे कुछ हो, इन बातों के लिए आपको कभी भी खुद को दोषी नहीं महसूस करना चाहिए।
1. न कहने के लिए दोषी न महसूस करें
आपको कभी भी किसी भी बात के लिए मना करने पर अपराध बोध नहीं होना चाहिए। अगर आपको लग रहा है कि कोई आपका गलत फायदा उठाया जा रहा है तो ना कहने में हिचकिचाएं नहीं। बहुत बार मां अपने बच्चे को मना नहीं कर पाती हैं। आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि ना कहना आपको बुरा इंसान बनाता है। ना कहना सीखना बहुत जरूरी है।
2. जीवन के निर्णय खुद लेने के लिए कभी दोषी न महसूस करें
अपना जीने का तरीका चुनना आपका जन्मसिद्ध अधिकार है, और आपको इसके बारे में कभी भी दोषी महसूस नहीं करना चाहिए। आप स्वयं के जीवन के सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीश हैं। कोई और आपके जीवन के निर्णयों का न्याय नहीं कर सकता है, चाहे वह आपके करियर के लक्ष्य हों या जीवनसाथी चुनना हो, या चाहें अकेले रहने का फैसला करना हो।
3. अपने आप को प्यार करना आपकी सूची में सबसे पहले होना चाहिए
“किसी को भी खुद पर समय या पैसा खर्च करने के लिए दोषी महसूस नहीं करना चाहिए। आपको अपने आप को सुदृढ़ रखने की आवश्यकता है और बेहतर परिणामों के लिए आपको एक ब्रेक की भी आवश्यकता है। तो, अपने आप पर खर्च करना बिल्कुल ठीक है। बेशक, आपको अपने बजट के अनुसार निर्णय लेना होगा, लेकिन इसमें अपराध की भावना नहीं होनी चाहिए ”, डॉ आनंद कहती हैं।
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कस्टमाइज़ करें4. किसी बात से अनजान होने पर खुद को दोषी ना समझें
यदि आपको कुछ पता नहीं है, तो इसका मतलब यह है कि आप कुछ भी नहीं जानते हैं। आप गूगल नहीं हैं। इसलिए, आपको कभी भी सवाल का जवाब न देने के बारे में दोषी महसूस नहीं करना चाहिए। किसी के पास सभी उत्तर नहीं होते। इसलिए उत्तर न जानना कोई गंभीर दोष नहीं है। जवाब में हेरफेर करने के बजाय, “मुझे पता नहीं है” ईमानदारी से कहना ठीक है।
5. किसी को जाने देने पर कभी भी दोषी महसूस न करें
“चाहे जीवनसाथी से तलाक लेना हो, या एक बुरे संबंध को समाप्त करने का निर्णय हो, उसे जाने देना और आगे बढ़ना ठीक है। इसमें हमेशा यादें और भावनाएं शामिल होंगी, लेकिन अपराध बोध उनमें से एक नहीं होना चाहिए।
तो सखियों, अगली बार जब आप अपराध बोध से ग्रस्त हो जाएं, तो बस देखें कि आप उपरोक्त कारणों से ऐसा ना कर रही हों।