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टॉयलेट सीट भी दे सकती है एसटीआई और एसटीडी जैसे इंफेक्शन, पब्लिक टॉयलेट यूज करते समय रखें इन बातों का ध्यान

रोजाना पब्लिक टॉयलेट यूज करना हमारी मजबूरी बन जाती है। यह कई रोगों का बुलावा भी दे सकता है। टॉयलेट शीत से होने वाले रोगों से बचाव के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।
टॉयलेट सीट के उपयोग के कारण स्वास्थ्य स्थितियां विकसित होने की संभावना होती है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 14 Sep 2023, 21:00 pm IST
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ऑफिस, मॉल, या किसी अन्य पब्लिक प्लेस में न चाहते हुए भी पब्लिक टॉयलेट शीट का इस्तेमाल करना पड़ जाता है। ऐसे शौचालय का उपयोग कई अलग-अलग लोगों द्वारा किया जाता है। यह स्वाभाविक है कि टॉयलेट सीट पर कीटाणुओं की उपस्थिति होगी। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सार्वजनिक शौचालय की सीट पर अलग-अलग रोगों के बैक्टीरिया हो सकते हैं। क्या टॉयलेट सीट वास्तव में किसी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते (infection from toilet seat) हैं या नहीं, आइये जानते हैं।

टॉयलेट सीट पर बैक्टीरिया

ऑब्सटेट्रिशियन और गायनेकोलोजिस्ट डॉ दिव्या वोरा अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं कि अक्सर हम सुनते हैं कि टॉयलेट की सीटों से सेक्सुअली ट्रांसमिट डिजीज जैसे जेनिटल हर्पीस या क्लैमाइडिया होने की संभावना होती है। पर वास्तव में यह सही नहीं है। इनके बैक्टीरिया टॉयलेट की सीटों जैसी ठंडी सतह के संपर्क में आते ही मर जाते हैं। हालांकि कुछ अन्य बैक्टीरिया टॉयलेट सीट पर मौजूद रहते हैं। कुछ सामान्य बैक्टीरिया फीकल बोर्न ई. कोली बैक्टीरिया (E. Coli bacteria), शिगेला बैक्टीरिया (Shigella bacteria), स्ट्रेप्टोकोकस(Streptococcus), स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus) और इन्फ्लूएंजा (influenza) टॉयलेट शीट पर मौजूद रह सकते हैं।

बढ़ सकते हैं स्वास्थ्य जोखिम (Health Risks of using Public Toilet Seat)

टॉयलेट सीट के उपयोग के कारण गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां विकसित होने की संभावना तो बहुत अधिक नहीं होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि बीमारियों का कोई खतरा नहीं होता है। कुछ बैक्टीरिया या वायरस लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस शौचालय सीटों जैसी नॉन पोरस सतह पर केवल 2 या 3 दिनों तक जीवित रह सकते हैं। ,

त्वचा पर दाने या संक्रमण (Skin Infection) 

एस्चेरिचिया कोली टॉयलेट सीटों पर पाया जाने वाला एक बहुत आम बैक्टीरिया है, जिससे संक्रमित होने पर दस्त और पेट दर्द से पीड़ित हो सकती हैं। स्टैफिलोकोकस जैसे बैक्टीरिया दो महीने से अधिक समय तक नॉन पोरस सतहों को दूषित (infection from toilet seat) कर सकते हैं। इससे दूषित टॉयलेट सीट पर 3 मिनट बिताने से त्वचा पर दाने या संक्रमण हो सकता है। शिगेला जैसे बैक्टीरिया पेट दर्द, उल्टी-मतली के कारण बन सकते हैं।

टॉयलेट सीट उपयोग करने से पहले ध्यान रखें ये बातें (keep in mind these things before using toilet seat)

डॉ दिव्या वोरा के अनुसार, गंदी टॉयलेट सीट की तुलना में साफ टॉयलेट सीट का उपयोग करने पर बैक्टीरिया से प्रभावित होने की संभावना निश्चित रूप से कम होती है। यदि पब्लिक टॉयलेट का प्रयोग करना मजबूरी है, तो कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। टॉयलेट सीट का उपयोग करने के बाद जितना संभव हो सके बैक्टीरिया के संक्रमण की संभावना से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

संक्रमण की संभावना से बचने के लिए अपने हाथों को ठीक से धोना चाहिए। चित्र : अडोबी स्टॉक

इसके लिए अपने हाथों को ठीक से धोना चाहिए। जब तक आप अपने हाथ न धो लें, मुंह, आंख, नाक या अन्य संवेदनशील क्षेत्रों और किसी भी खाद्य पदार्थ को हाथों से न छुएं। इससे संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। अपने साथ एंटी बैक्टीरियल अल्कोहल वाइप्स ले जाएं। प्रयोग करने से पहले टॉयलेट सीट को पानी, टिश्यू और सैनिटाइजर से पोंछ लें, फिर बैठें। सीट से उठने के बाद भी पोंछ दें, ताकि दूसरों को भी संक्रमण मुक्त सीट मिले

यूरीन रोकना है ज्यादा खतरनाक (urine retention risks)

डॉ दिव्या वोरा कहती हैं, ‘कई बार हम टॉयलेट यूज करने के डर से यूरीन को देर तक रोकने लग जाते हैं। यदि पी को रोकने के लिए आप पानी नहीं पीती हैं, तो यह आपके लिए बहुत अधिक नुकसानदेह है। डिहाइड्रेशन की वजह से आपके शरीर में टोक्सिन बिल्ड अप होने लगता है। शरीर में जितना ज्यादा टोक्सिन होगा यूटीआई इन्फेक्शन का खतरा (infection from toilet seat) उतना ही अधिक होगा। अधिक समय तक यूरीन रोकने से ब्लेडर मसल्स भी कमजोर होने लगते हैं। इससे आगे यूरीन को रोकने में बहुत अधिक दिक्कत हो सकती है।‘

कई बार हम टॉयलेट यूज करने के डर से यूरीन को देर तक रोकने लग जाते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

सतर्क रहने की जरूरत

टॉयलेट का उपयोग करते समय हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है। सबसे साफ़ दिखने वाली टॉयलेट सीट पर मौजूद बैक्टीरिया का पता नहीं चल पाता है। यदि आपको किसी ख़ास तरह की समस्या हो रही है, तो किसी जनरल फिजिशियन से परामर्श ले सकती हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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