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पुरुषों के लिए ‘गर्भनिरोधक’ का पहला टीका तैयार, ICMR ने पूरा किया ट्रायल

ICMR ने हाल ही में पुरुषों के लिए 'इंजेक्टेबल गर्भ निरोधक' का ट्रायल सफलतापूर्वक कर लिया है। इस स्टडी मे ICMR ने बताया कि गर्भ निरोधक का यह तरीका अन्य तमाम तरीकों से कई गुना सुरक्षित और बेहतर है। साथ ही इसे लेने के 13 साल बाद तक अनचाही प्रेग्नेंसी से आज़ादी मिल सकती है।
पुरुषों के लिए ‘इंजेक्टेबल गर्भ निरोधक’। चित्र-अडोबीस्टॉक
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न जानें पिछले कितने वर्षों से ‘बर्थ कंट्रोल’ की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाएं ही निभा रहीं हैं। समय-समय पर महिलाओं के लिए ही तमाम तरह के ‘कॉन्ट्रासेप्टिव’ सामने आते हैं। कंडोम के बावजूद, गर्भ निरोध की जिम्मेदारी महिलाओं पर ही है। पिछले कई वर्षों से ‘परिवार नियोजन और जनसंख्या वृद्धि’ को रोकने के लिए एक तरह से महिलाओं को ही जिम्मेदारी उठानी पड़ी है। 2019 में आई भारतीय परिवार कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2019 के 1 साल के वक़्त में भारत में लगभग साढ़े 5 करोड़ लोगों ने गर्भनिरोध का स्थायी तरीका अपनाया, जिसमें महिलाओं में ‘ट्यूबेक्टॉमी’ और पुरुषों में ‘नसबंदी’ शामिल है।

लेकिन इन आंकड़ों के अनुसार बीते 1 वर्ष के समय में 97 फीसदी महिलाओं ने ‘ट्यूबेक्टॉमी’ कराई और मात्र 3 फीसदी पुरुषों ने ‘नसबंदी’ करवाई। अधिकतर पुरुष ‘नसबंदी’ को नपुसंकता से भी जोड़ते हैं, इसलिए भारत में यह आंकड़ा बेहद कम है।

अब गर्भनिरोधक और जन्म नियंत्रण के क्षेत्र में भारत ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। दरअसल, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दुनिया के पहले इंजेक्टेबल पुरुष गर्भनिरोधक का सफलतम क्लिनिकल परीक्षण पूरा कर लिया है। क्लिनिकल परीक्षण से पता चला कि यह विधि बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के सुरक्षित और अत्यधिक प्रभावकारी है।

क्या है पुरुषों के लिए ‘इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक’ ? (What Is Male Contraceptive Injection )

आईसीएमआर ने बताया कि पुरुषों पर गर्भ निरोधक ‘रिवर्स इन्हिबीशन ऑफ स्पर्म इंजेक्शन’ लगाया गया, जिसे ‘रिसुग’ यानी ‘रिवर्स इन्हिबीशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस’ (RISUG) कहा गया। साथ ही इस परीक्षण को करने के लिए आईसीएमआर को 7 साल का लंबा समय लगा। आईसीएमआर के अनुसार, यह इंजेक्टेबल गर्भ निरोधक एक सुरक्षित और प्रभावशाली तरीका है।

इस क्लिनिकल परीक्षण में 25-40 वर्ष की आयु के यौन रूप से सक्रिय 303 पुरुषों ने प्रतिभाग किया। ‘गर्भनिरोधक’ के इस क्लिनिकल परीक्षण को देश के पांच अलग-अलग स्थानों पर किया गया, जिसमें नई दिल्ली, उधमपुर, लुधियाना, जयपुर और खड़गपुर में शामिल थे और अंत में इसे आईसीएमआर, नई दिल्ली में को-ऑर्डिनेट किया गया।

ICMR के द्वारा बनाया हुआ यह पुरुषों के लिए विश्व का पहला ‘इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक’ है। चित्र-अडोबीस्टॉक

कैसे किया गया परीक्षण ?

आईसीएमआर ने 303 स्वस्थ, विवाहित और सेक्सुअली एक्टिव पुरुषों को 60 मिलीग्राम ‘RISUG’ दिया, जिसके बाद उसके परिणाम में यह पाया गया कि यह इंजेक्शन प्रेग्नेंसी रोकने में 99 फीसद कारगर है। आईसीएमआर परीक्षणों ने संकेत दिया कि ‘रिसुग’ विधि पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अन्य सभी गर्भ निरोधकों की तुलना में सबसे अधिक प्रभावशाली है।

13 साल तक रहेगा इसका प्रभाव

आईसीएमआर के मुताबिक़, यह गर्भनिरोधक इंजेक्शन 13 साल तक अपना असर दिखा सकता है। यानी इस इंजेक्शन को लेने के बाद अगले 13 वर्ष तक प्रेग्नेंसी का खतरा कम हो सकता है। इसीलिए आईसीएमआर ने यह दावा भी किया है कि अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए यह तरीका अन्य किसी तरीके से ज्यादा सुरक्षित और असरदार साबित होगा।

क्या इसका कोई साइड इफैक्ट है? (Male Contraceptive Injection Side Effect)

आईसीएमआर ने अपने इस सफल ट्रायल की जानकारी देते हुए यह भी सुनिश्चित किया कि इस परीक्षण में प्रतिभाग करने वाले 303 पुरुषों में से किसी को भी इस इंजेक्शन से साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलें। साथ ही आईसीएमआर ने इन सभी पुरुषों के साथ संबंध बनाने वाली उनकी पत्नियों का भी चेकअप किया, जिसमें उनपर भी किसी प्रकार का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला।

स्पर्म को न्युट्रिलाइज कर देगा यह इंजेक्शन, जिससे ‘बर्थ कंट्रोल’ में मदद मिलेगी। चित्र-अडोबीस्टॉक

कैसे काम करता है यह इंजेक्शन ?

आईसीएमआर के इस परीक्षण को इंटरनेशनली ओपन एक्सेस जर्नल में प्रकाशित किया गया। साथ ही इसमें इसके प्रयोग के बारे में लिखा कि RISUG को पेनिस तक स्पर्म लाने वाले स्पर्म डक्ट में एक के बाद एक इंजेक्ट किया जाता है।

जिसके बाद इंजेक्शन के जरिये दिए जाने वाला पॉजिटिव चार्ज्ड पॉलिमर स्पर्म डक्ट की अंदरूनी दीवार पर चिपक जाता है। उसके बाद जब पॉलिमर निगेटिव चार्ज्ड स्पर्म के संपर्क में आता है, तो यह उसे नष्ट कर देता है। जिसके कारण जब यह ‘न्यूट्रल स्पर्म’ महिला के ‘एग्स’ के साथ मिलता हैं, तो उसे फर्टिलाइज़ करने में नाकाम रहना है। जिससे बर्थ कंट्रोल में सहायता मिलती है।

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कार्तिकेय हस्तिनापुरी

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है। ...और पढ़ें

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