लॉग इन

Hysterectomy : हार्मलैस नहीं है गर्भाशय निकलवाना, जानिए कब होती है इसकी जरूरत और कैसे रखना है अपना ख्याल

कुछ खास स्वास्थ्य समस्याओं के कारण किसी भी भी महिला को अपना गर्भाशय निकलवाना पड़ सकता है। यह सर्जरी महिला के जीवन को बेहतर बनाने के लिए की जाती है। हालांकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसलिए अपनी स्वास्थ्य समस्या के बारे में डॉक्टर से विस्तृत बातचीत करने के बाद ही इसे करवाएं। इस सर्जरी के बाद अपना ख्याल रखना भी जरूरी है।
आप हिस्टेरेक्टॉमी के बाद सेल्फ केयर की छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 29 Apr 2024, 21:00 pm IST
मेडिकली रिव्यूड
ऐप खोलें

कई बार महिलाओं को लगातार पैल्विक पेन (Pelvic Pain) होता रहता है। उन्हें असामान्य रूप से हेवी पीरियड (Heavy flow) भी हो सकता है। डॉक्टर उनकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ की जांच कर उन्हें गर्भाशय निकलवाने (Hysterectomy) की सलाह दे सकते हैं। गर्भाशय निकालना हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है। मगर यह सामान्य प्रक्रिया नहीं है। समस्या गंभीर होने पर ही हिस्टेरेक्टॉमी की सलाह दी जाती है। इससे व्यक्ति की जान बच सकती है। मगर इसके बाद किसी भी महिला को अपना और भी ज्यादा ख्याल रखना होता है। इसलिए जरूरी है कि आप गर्भाशय निकालना या हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) के बारे में सब कुछ जानें। और यह भी कि इसके बाद आपको अपना ख्याल (Post Hysterectomy Care) कैसे रखना है।

समझिए क्या है गर्भाशय निकलवाना या हिस्टेरेक्टॉमी (what is Hysterectomy)

किसी भी महिला के गर्भाशय को निकालने की सर्जरी है हिस्टेरेक्टॉमी। गर्भाशय वह जगह है, जहां महिला के गर्भवती होने पर बच्चा बढ़ता है। सर्जरी के दौरान आमतौर पर पूरा गर्भाशय निकाल दिया जाता है। साथ ही, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय भी निकाल दिया जा सकता है। हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिला को माहवारी नहीं हो पाती है और वह कभी गर्भवती नहीं हो सकती हैं।

इन परिस्थितियों में गर्भाशय निकालने या हिस्टेरेक्टॉमी की ज़रूरत पड़ सकती है (causes of Hysterectomy)

 गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine Fibroid)

गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय की दीवार में नॉन-कैंसरस वृद्धि है। कुछ महिलाओं में ये दर्द या हेवी फ्लो का कारण बनते हैं।

 हेवी ब्लीडिंग (Heavy Bleeding)

हार्मोन लेवल में परिवर्तन(Hormonal change), संक्रमण, कैंसर या फाइब्रॉएड के कारण हेवी, लंबे समय तक ब्लीडिंग हो सकती है।

 गर्भाशय का आगे निकल जाना (Uterine Prolapse) :

यह तब होता है जब गर्भाशय अपने सामान्य स्थान से योनि में खिसक जाता है। यह उन महिलाओं में अधिक आम है, जिन्होंने कई बार योनि से बच्चे को जन्म दिया है। यह रजोनिवृत्ति के बाद या मोटापे के कारण भी हो सकता है। आगे निकल जाने का कारण यूरीन और बोवेल संबंधी समस्याएं और पैल्विक प्रेशर भी हो सकता है।

 एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) 

एंडोमेट्रियोसिस तब होता है जब गर्भाशय को सामान्य रूप से लाइनिंग करने वाला ऊतक गर्भाशय के बाहर अंडाशय पर बढ़ता है जहां उसे नहीं होना चाहिए। इससे मासिक धर्म के बीच गंभीर दर्द और रक्तस्राव हो सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस  के कारण मासिक धर्म के बीच गंभीर दर्द और रक्तस्राव हो सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

 एडेनोमायसिस (Adenomyosis)

इस स्थिति में गर्भाशय को लाइनिंग करने वाला ऊतक गर्भाशय की दीवारों के अंदर बढ़ता है, जहां उसे नहीं होना चाहिए। इससे गर्भाशय की दीवारें मोटी हो जाती हैं। गंभीर दर्द और हेवी ब्लीडिंग का कारण बनती हैं।

गर्भाशय, अंडाशय, सरविक्स या एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की परत) का कैंसर या प्रीकैंसर

यदि किसी महिला को इनमें से किसी भी एक फील्ड में कैंसर है, तो हिस्टेरेक्टॉमी सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। अन्य उपचार विकल्पों में कीमोथेरेपी और रेडिएशन हो सकता है।

जरूरी है इसके विकल्पों के बारे में जानना (Hysterectomy Alternatives) 

यह ध्यान देना जरूरी है कि हिस्टेरेक्टॉमी के बिना स्वास्थ्य समस्या का इलाज करने के भी कुछ अल्टेरनेटिव तरीके हो सकते हैं। हिस्टेरेक्टॉमी बड़ी सर्जरी है। अपने सभी उपचार विकल्पों के बारे में डॉक्टर से बात करने के बाद ही इस सर्जरी को कराने पर विचार करें।

जिन महिलाओं में मेनोपॉज़ नहीं हुआ है, उन्हें हिस्टेरेक्टॉमी के बाद पीरियड नहीं होगा। न ही गर्भधारण संभव होगा। ओवरी हटाने के बाद एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाएगा। इससे मेनोपॉज़ के लक्षण जल्दी दिखाई दे सकते हैं। हिस्टेरेक्टॉमी सेक्सुअल डिजायर या सेक्सुअल सेटिस्फैक्शन को प्रभावित नहीं करती।

गर्भाशय निकलवाने के बाद हो सकते हैं कुछ साइड इफेक्ट्स (hysterectomy side effects)

सभी सर्जिकल प्रक्रियाओं की तरह हिस्टेरेक्टॉमी में भी कुछ जोखिम शामिल है। स्त्री रोग विशेषज्ञ जोखिम को यथासंभव कम रखने की कोशिश करती हैं। हिस्टेरेक्टॉमी के कारण बहुत कम समय के लिए साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। ये आमतौर पर हल्के और सर्जरी के बाद पहले 30 दिनों में हो सकते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं :

• ब्लड लॉस
• यूरीनरी ब्लेडर में दिक्क्त,यूरीन पाथवेज में दिक्क्त, ब्लड वेसल्स और नर्व को नुकसान
• पैरों या फेफड़ों में ब्लड क्लॉट (Blood clot)
• संक्रमण (Infection)
• एनेस्थीसिया से संबंधित साइड इफेक्ट
• लंबे समय में इसके कारण एजिंग जल्दी (rapid aging after hysterectomy) हो सकती है।

पेल्विक प्रोलैप्स

हिस्टेरेक्टॉमी में पेल्विक प्रोलैप्स का दुर्लभ जोखिम बना रहता है। यह पेल्विक ऑर्गन का असामान्य स्थिति में खिंचना या गिरना है। पेट की सर्जरी या पेल्विक प्रोलैप्स वाली महिलाओं में दोबारा पेल्विक प्रोलैप्स विकसित होने का जोखिम बना रह सकता है।

पेट की सर्जरी या पेल्विक प्रोलैप्स वाली महिलाओं में दोबारा पेल्विक प्रोलैप्स विकसित होने का जोखिम बना रह सकता है।  चित्र : अडोबी स्टॉक

कैसे करें देखभाल (self care after Hysterectomy)

हिस्टेरेक्टॉमी के बाद खुद की देखभाल करना जरूरी है।
1. कम से कम 2 सप्ताह तक जितना संभव हो उतना आराम (Post Hysterectomy Care) करें।
2. गायनेकोलॉजिस्ट या हॉस्पिटल में महिला को जो भी व्यायाम सिखाये जाते हैं, उन्हें जरूर करना चाहिए।
3. भारी वजन उठाने और खींचने से बचें।
4. कब्ज से बचने के लिए खूब सारे फ्लूइड पिएं और ताजे फल और सब्जियां खाएं।
5 अपने आप को प्राथमिकता देना शुरू करें। इसके बाद आपके मूड और पाचन में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप हिस्टेरेक्टॉमी के बाद सेल्फ केयर की छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें।

यह भी पढ़ें :- गर्भावस्था में योनि की साफ़-सफाई नहीं रखने पर बना रहता है प्रीटर्म बर्थ का खतरा,जानें बचाव के उपाय

स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

अगला लेख