PCOS and Yeast Infection : क्या पीसीओएस होने पर बढ़ जाता है यीस्ट इन्फेक्शन का जोखिम? आइए एक एक्सपर्ट से जानते हैं
पीसीओएस एक हार्मोनल स्थिति है। इसमें महिला अतिरिक्त टेस्टोस्टेरोन पैदा करती है। ऐसा माना जाता है कि 10 में से एक महिला को पीसीओएस होता है। इसके कारण वजन बढ़ना, नींद में गड़बड़ी, अनियमित मासिक धर्म, चिंता, अवसाद और इनफर्टिलिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई शोध बताते हैं कि पीसीओएस के कारण यीस्ट इन्फेक्शन बढ़ (PCOS and Yeast infection) जाते हैं। सच्चाई जानने से पहले यीस्ट संक्रमण के बारे में जानते हैं।
क्या है यीस्ट इन्फेक्शन (Yeast infection)
प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सीनियर गायनेकोलोजिस्ट डॉ. रश्मि बालियान के अनुसार, यीस्ट या कैंडिडा एक बैक्टीरिया है, जो हमारे आंत में रहता है। यह पोषक तत्व अवशोषण और स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए जरूरी है। यह आंतों के भीतर अन्य जीवाणुओं के साथ रहता है। कुछ कारणों से जब कैंडिडा नियंत्रण से बाहर हो जाता है, तो यह इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। यह आंतों की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है। यह हार्मोनल स्तर को खराब कर देता है। जिन महिलाओं को पीसीओएस है उनमें योनि संक्रमण, सूजन, मूड स्विंग, फ़ूड एलर्जी होने की संभावना बनी रहती है।
क्यों पीसीओएस में होता है अधिक इन्फेक्शन
डॉ. रश्मि कहती हैं, ‘पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में यीस्ट इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है।
फ्रंटियर इन एंडोक्रिनोलोजी के अध्ययन के अनुसार योनि माइक्रोबायोम पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से जुड़ा है। यह जानने के लिए चीन में क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया। झोंगडा अस्पताल (नानजिंग, चीन) में भर्ती पीसीओएस वाली महिला रोगियों पर जांच की गई। देखा गया कि जिन महिलाओं को पीसीओएस था उन्हें यीस्ट इन्फेक्शन होने की अधिक संभावना थी।‘
हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance)
यीस्ट इन्फेक्शन के लिए हार्मोन असंतुलन भी एक जोखिम कारक हो सकता है। योनि के नाजुक माइक्रोबायोम पर हार्मोन का बहुत बड़ा प्रभाव हो सकता है। एस्ट्रोजेन में उतार-चढ़ाव से यीस्ट की संख्या में वृद्धि हो सकती है। इससे यीस्ट संक्रमण हो सकता है।
इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance)
पीसीओएस वाली कई महिलाओं में इंसुलिन रेसिस्टेंस होता है। इसका मतलब है कि उनका शरीर ब्लड फ्लो में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए बहुत अधिक इंसुलिन का उत्पादन कर रहा है। यह अतिरिक्त इंसुलिन और यीस्ट की वृद्धि शुगर और कार्ब्स के लिए क्रेविंग को ट्रिगर करता है। इससे यीस्ट के बढ़ने की संभावना काफी अधिक हो जाती है।
दवाएं (Medications)
पीसीओएस के उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाएं गोली और मेटफॉर्मिन आंत के भीतर अच्छे बैक्टीरिया के संतुलन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इससे खमीर यानी यीस्ट पनपने लगते हैं। जब देखभाल की प्रक्रिया में फार्मास्यूटिकल्स को शामिल किया जाता है, तो प्रोबायोटिक्स और विटामिन बी लेना जरूरी हो जाता है।
नींद की कमी या तनाव (Stress and insomnia)
पीसीओएस से पीड़ित महिला को तनाव भी हो जाता है। अधिक समय तक तनावग्रस्त रहने पर नींद की कमी होने लगती है। नींद की कमी या तनाव कोर्टिसोल में वृद्धि का कारण बनता है। यह स्ट्रेस हार्मोन है।
इसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है। यह ब्लड शुगर के बढ़ने का भी कारण बनता है। इससे यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंयहां हैं यीस्ट इन्फेक्शन को ठीक करने के 2 उपाय
एंटिफंगल मलहम का इस्तेमाल (Antifungal Ointment)
एंटिफंगल क्रीम, मलहम, सपोजिटरी या टैबलेट के साथ इसका इलाज किया जा सकता है। यदि आपको लगातार यीस्ट इन्फेक्शन होता रहता है, तो कम से कम छह महीने तक प्रिस्क्रिप्शन एंटिफंगल के कोर्स से इलाज कराने की जरूरत होगी।
2 लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं (Change in Lifestyle)
लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर संक्रमण को ठीक किया जा सकता है।
योनि साफ करने वाले स्प्रे या पाउडर से धोने या साफ़ करने से बचें। स्प्रे या पाउडर योनि में स्वस्थ बैक्टीरिया को बाधित कर सकते हैं और यीस्ट इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं।
बाथरूम का उपयोग करने के बाद आगे से पीछे की ओर पोंछें।
सांस लेने योग्य, ढीले-ढाले सूती के कपड़े पहनें।
दही खाएं या वेजाइनल सपोर्ट प्रोबायोटिक लें। पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें।
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