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Jaundice in newborns : नवजात शिशु को हो गया है पीलिया, तो उपचार के लिए स्तनपान कराने वाली मांएं इन बातों का रखें ख्याल

जन्म के तुरंत बाद बच्चे को पीलिया हो सकता है। पीलिया या जौंडिस के कारण बच्चे को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यदि लक्षण गंभीर नहीं हो, तो पीलिया का प्राकृतिक उपचार भी किया जा सकता है।
जिन शिशुओं में गंभीर रूप से पीलिया होता है, वे बहुत थके हुए लग सकते हैं। वे ठीक से दूध नहीं पी पाते हैं। चित्र अडॉबी स्टॉक।
स्मिता सिंह Published: 2 Jun 2023, 20:00 pm IST
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जन्म के तुरंत बाद बच्चे को कई तरह की स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इसमें से एक जौंडिस है। यह लिवर की बीमारी (Liver Disorder) है। पीलिया या जौंडिस ऐसी स्थिति है, जिसमें नवजात शिशु (Newborn) की त्वचा पीली पड़ जाती है। इस दौरान शरीर में बिलीरुबिन (Bilirubin) का ज्यादा मात्रा में उत्पादन होता है। इस दौरान यकृत या लिवर इससे जल्दी छुटकारा नहीं दिला पाता है। बिलीरुबिन एक भूरा-पीला पदार्थ है, जो लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells) के टूटने के बाद उत्पन्न होता है। शरीर मल-मूत्र के जरिये इससे छुटकारा पाता है। यदि नये जन्मे बच्चे को पीलिया हो गया (Jaundice in newborns) है, लेकिन गंभीर स्थिति नहीं है। इससे नेचुरल रूप में भी छुटकारा पाने के कई उपाय हैं।

बच्चे में क्या हो सकते हैं पीलिया के लक्षण (Jaundice Symptoms in newborns) 

जर्नल ऑफ़ इन्फैंट एंड यंग चिल्ड्रेन में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, नवजात शिशुओं में पीलिया आम बीमारी है। इससे बच्चे की त्वचा पीली हो जाती है। आंखों का सफेद भाग भी पीला हो जाता है। इसे बच्चे के जन्म के 1 -4 दिनों के बीच देखा जा सकता है। यह सबसे पहले बच्चे के चेहरे और छाती पर दिखाई देता है।
जिन शिशुओं में गंभीर रूप से पीलिया होता है, वे बहुत थके हुए लग सकते हैं। वे ठीक से दूध नहीं पी पाते हैं। उन्हें जगाना बहुत कठिन हो सकता है। यदि बच्चे का कलर डार्क है, तो बच्चे की स्किन को हल्के से दबाएं। दबाने पर स्पॉट पीला दिखेगा।

पीलिया से बच्चे को नुकसान

जर्नल ऑफ़ इन्फैंट एंड यंग चिल्ड्रेन में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, ज्यादातर मामलों में पीलिया बच्चे के लिए हानिकारक नहीं होता है। उसका शरीर खुद बिलीरुबिन से निपटना सीखता है। कुछ शिशुओं में बिलीरुबिन अधिक होने पर यह हानिकारक हो सकता है। यदि बिलीरुबिन का स्तर बहुत अधिक हो जाता है, तो यह बच्चे के मस्तिष्क की कुछ कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। कुछ मामलों में गंभीर पीलिया बहरापन, सेरेब्रल पाल्सी या अन्य गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।

पीलिया से बचाव (Newborns Jaundice Prevention)

जर्नल ऑफ़ इन्फैंट एंड चाइल्ड डेवलपमेंट के अनुसार, जन्म के बाद पहले घंटों और दिन में बच्चे को बार-बार स्तनपान कराने से पीलिया के जोखिम (Breastfeeding to prevent jaundice) को कम करने में मदद मिलती है। दूध पिलाने से बच्चा अधिक मल त्याग करता (Poop) है। दूध बच्चे के लिवर को बिलीरुबिन को संसाधित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा देता है। इससे बच्चे का पूप गहरे हरे से पीले रंग में बदल जाता है। यदि स्तनपान कराने में परेशानी हो रही है, तो सहायता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। डिहाइड्रेशन और पीलिया से बचने के लिए बच्चे को फ़ॉर्मूला आहार देना जरूरी हो सकता है।

यहां हैं पीलिया के कुछ प्राकृतिक उपचार (Natural treatment of jaundice in newborn)

1. नवजात को धूप का सेवन कराएं (Sunlight for newborn) 

जर्नल ऑफ़ इन्फैंट एंड चाइल्ड डेवलपमेंट के अनुसार, नवजात के लिए धूप फायदेमंद हो सकती है। सूर्य के प्रकाश में विस्तृत स्पेक्ट्रम होता है, जिसमें बिलीरुबिन अवशोषक रेंज शामिल है। प्राकृतिक धूप नवजात में हुए पीलिया के लिए फोटोथेरेपी का विकल्प हो सकती है।

2. तेल मसालेदार आहार का सेवन नहीं करें (Avoid oily and spicy food)  

जर्नल ऑफ ह्यूमन लैक्टेशन में प्रकाशित आलेख के अनुसार, आप यदि स्तनपान कराती हैं और बच्चे को पीलिया है। इस दौरान बिना नमक का दलिया या इमली में पके हुए चावल खाने की सलाह दी जाती है। पीलिया में तेल, घी और मसालों से परहेज करना चाहिए। मांसाहारी भोजन से भी बचना चाहिए। भोजन में बिना मसाले या तड़के वाली सब्जियां शामिल करें।

3. गन्ने का रस (Sugarcane juice for Newborn Jaundice)

जर्नल ऑफ ह्यूमन लैक्टेशन के अनुसार, गन्ने का रस बिलीरुबिन के स्तर को नियंत्रण में रख सकता है। यह लिवर की बीमारियों के लिए अच्छा होता है। गन्ने का रस बनाने के लिये गन्ने को अच्छी तरह धोकर उसकी बाहरी परत हटा दें। इसे टुकड़ों में काट लें और जूसर से रस निकाल लें।

गगन्ने का रस बिलीरुबिन के स्तर को नियंत्रण में रख सकता है। यह लिवर की बीमारियों के लिए अच्छा होता है। चित्र: शटरस्टॉक।

4. पपीते के पत्ते (Papaya leaves for Jaundice)

जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, पपीते की पत्तियों में मौजूद पैपेन जैसे एंजाइम पीलिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। स्तनपान कराने वाली मांएं पपीते के पत्तों का पेस्ट तैयार कर लें। इसमें शहद मिलाकर सेवन करें। इससे नवजात का जौंडिस ठीक होने में मदद मिलेगी

5. पीलिया का उपचार कर सकता है जीरा (Cumin for Jaundice Treatment)

जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, जीरे में मौजूद फाइटो कॉन्स्टीट्यूएंट्स पीलिया (Jaundice in newborns) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। जीरा को हल्का भून कर पीस लें। इसका सेवन छाछ, दही, सलाद, रायता के साथ किया जा सकता है

जीरे में मौजूद फाइटो कॉन्स्टीट्यूएंट्स पीलिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

6. पुदीना (Mint for Newborn Jaundice)

जर्नल ऑफ ह्यूमन लैक्टेशन के अनुसार, पुदीना को पीलिया के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, स्तनपान कराने वाली मांएं पुदीने की पत्तियों की चाय पीयें। इससे न्यू बोर्न बेबी का पीलिया ठीक होने में मदद मिल सकती है। पुदीने की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर पीने से भी पीलिया ठीक हो सकता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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