कभी-कभी नई मां, यहां तक कि डॉक्टर भी सोचते हैं कि जल्दी बच्चा पैदा करना सुरक्षित है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि गर्भावस्था के आखिरी कुछ हफ्तों में शिशु के दिमाग का वजन लगभग दोगुना हो जाता है। यदि गर्भावस्था के दौरान आप स्वस्थ हैं और आपको किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है, तो प्रीटर्म बर्थ से बचना चाहिए। यदि किसी प्रकार के हेल्थ कॉम्प्लिकेशन हैं, तो बचाव के उपाय (How to prevent preterm birth) भी करने चाहिए।
यहां द ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक की डायरेक्टर और क्लाउड नाइन हॉस्पिटल (गुरूग्राम) में सीनियर कंसल्टेंट, गायनेकोलोजी डॉ. रितु सेठी प्रीटर्म बर्थ के नुकसान और इससे बचाव के उपाय (How to prevent preterm birth) बता रही हैं।
डॉ. रितु सेठी बताती हैं, ‘पूर्ण अवधि की गर्भावस्था 40 सप्ताह की होती है। कई अध्ययन बताते हैं कि ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि 34 -36 सप्ताह के बीच प्रसव कराना सुरक्षित है। लेकिन बच्चे के विकास के लिए समय पर बर्थ होना जरूरी है। कम से कम 39 सप्ताह तक तो इंतजार जरूर करना चाहिए।
गर्भावस्था के अंत तक मस्तिष्क, फेफड़े और यकृत जैसे महत्वपूर्ण अंग अच्छी तरह विकसित हो रहे होते हैं। कुछ सप्ताह पहले पैदा हुए बच्चे को देखने और सुनने में समस्या हो सकती है। बच्चे के शरीर को गर्म रखने और दूध पिलाने में परेशानी हो सकती है।
डॉ. रितु सेठी के अनुसार, गर्भाशय (Uterus) में एक घंटे में 4-5 से अधिक बार संकुचन, मरोड़ या जकड़न जैसा महसूस होता है, तो समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है।
एब्डोमिनल क्रेम्प्स हो सकते हैं। यह दस्त के साथ या दस्त के बिना भी हो सकता है।
कमर के निचले हिस्से में लगातार दर्द हो सकता है। दर्द कुछ समय के लिए रुक सकता है और दोबारा हो सकता है।
योनि या पेल्विक रीजन (Pelvic Region) में दबाव का अनुभव किया जा सकता है। भीतरी जांघों में दर्द हो सकता है।
योनि स्राव (Vaginal Secretion) बढ़ सकता है। योनि से फ्लूइड का रिसना और वाटर ब्रेक भी हो सकता है। बहुत अधिक ब्लीडिंग भी प्री टर्म बर्थ के लक्षण हो सकते हैं।
नीम हकीम खतरे जान। इस मुहावरे को याद करते हुए डॉक्टर के बिना प्रेसक्राइब किये हुए किसी भी दवा को लेने से बचें। डॉक्टर द्वारा बताई हुई आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेना कभी न भूलें। आयरन और फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित आहार लें।
डॉक्टर द्वारा बताये हुए एक्सरसाइज को नियमित रूप से करें। बहुत अधिक कठिन एक्सरसाइज या योगाभ्यास नहीं करें। इससे प्री टर्म बर्थ का जोखिम बढ़ जाता है। प्रतिदिन 30 मिनट एक्सरसाइज करने का प्रयास करें।
यदि आप मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी चिकित्सा स्थितियों का सामना कर रही हैं, तो दवा और फिजिकल एक्टिविटी के माध्यम से इन्हें नियंत्रण में रखने की कोशिश करें। मोटे होने से बचने के लिए वजन कम करें। यदि वजन कम है, तो बढ़ाएं।
योग, ध्यान, फिजिकल एक्टिविटी, म्यूजिक, अपने पसंद के काम की मदद से लाइफ बैलेंस करें। पार्टनर के साथ भी हेल्दी रिलेशनशिप होना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान अपना और अपने बच्चे का अच्छी तरह ख्याल रखें।
यदि आपके परिवार में प्रीटर्म बर्थ की फैमिली हिस्ट्री रही है, तो आपको अधिक सचेत रहने की जरूरत है। गर्भावस्था की शुरुआत में ही प्रसव पूर्व देखभाल की शुरुआत कर दें। खासकर यदि आपके पास समय से पहले जन्म के लिए जोखिम कारक है। यदि आप पूर्व में समय से पहले बच्चा होना की समस्या से गुजर चुकी हैं या गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा में कोई समस्या है, तो उसके लिए पहले से इलाज शुरू कर दें। यदि प्रीटर्म बर्थ के किसी भी तरह के संकेत मिलते हैं, तो बिना समय गंवाए डॉक्टर से मिलें।
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