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जाती ठंड या बदलते मौसम में भी जरूरी है बच्चों को अस्थमा से बचाना, चाइल्ड एक्सपर्ट बता रहे हैं 9 जरूरी टिप्स

अगर आपका बच्चा अस्थमा से पीड़ित है तो हर बार बदलता मौसम उसके लिए चुनौतियां बढ़ा सकता है। जितना ठंड के माैसम में आपको उनका ध्यान रखना था, उतना ही ध्यान जाती हुई ठंड अर्थात इस बदलते मौसम में भी रखना है। इस मौसम में अस्थमा के ट्रिगर पॉइंट्स ज्यादा होते हैं।
बदलते मौसम में अस्थमा पीड़ित बच्चों का खास ध्यान रखना होता है। चित्र : अडोबीस्टॉक
Published On: 17 Feb 2025, 04:30 pm IST

सर्दियों में बच्चों को अस्थमा की शिकायत ज्यादा होती है, क्योंकि ठंडी हवा के कारण इसके लक्षण बिगड़ने लगते हैं। अस्थमा होने पर घरघराहट, खांसी, और सांस लेने में मुश्किल होती है। जिसके कारण यह मौसम अस्थमा पीड़ित बच्चों के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। साथ ही ठंडे मौसम में अस्थमा के लक्षण बिगड़ भी सकते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि जाती हुई सर्दियां भी यानी फरवरी का यह मौसम भी बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। इस मौसम में उन्हें गर्म सर्द होने का सबसे ज्यादा डर होता है, जो अस्थमा पीड़ित बच्चों के लिए एक और चुनौती है। कुछ सावधानियां रखकर आप अस्थमा पीड़ित बच्चों की ठीक से देखभाल कर सकते हैं। ताकि बच्चों के लिए यह मौसम आरामदायक और सुरक्षित बना रहे।

बदलते मौसम में इस तरह रखें अस्थमा पीड़ित बच्चों का ध्यान (Tips to take care of asthmatic children during changing weather)

1 बच्चों के नाक और मुंह पर मास्क लगाकर रखेंः

ठंडी हवा से अस्थमा के लक्षण बिगड़ते हैं। इसलिए बच्चों की नाक और मुंह को ढंककर रखें। ऐसा करने से साँस के साथ जाने वाली हवा कुछ नम और कम ठंडी हो जाती है, और अस्थमा के लक्षणों से आराम मिलता है।

2 बाहरी गतिविधियां कम कर दें और घर के अंदर ज्यादा रहेंः

अगर मौसम ज्यादा ठंडा है, तो बाहरी गतिविधियों को कम कर दें। इससे अस्थमा का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाएगी। अगर बच्चे को बाहर जाना जरूरी हो, तो ध्यान रखें कि वो बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें और खुद को गर्म रखें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर रहने से साँस के साथ जाने वाली हवा ज्यादातर गर्म और आरामदायक बनी रहेगी। इससे ठंडी हवा के कारण होने वाले अस्थमा के लक्षणों से आराम मिल सकेगा।

बच्चों को घर में ही रेगुलर एक्सरसाइज करवाएं। चित्र : शटरस्टॉक

3 ह्यूमिडिफायर का उपयोग करेंः

ह्यूमिडिफायर की मदद से घर के अंदर की हवा में नमी बनी रहती है, जिसमें सांस लेना आसान होता है। ठंडी हवा शुष्क होने के कारण साँस की नली में बेचैनी पैदा कर देती है।

4 शॉर्ट-एक्टिंग इन्हेलरः

बच्चों के लिए पैरेंट्स को एल्बुटेरॉल जैसे शॉर्ट-एक्टिंग इन्हेलर अपने पास रखना चाहिए। इनसे साँस की नली को आराम मिलता है, और अस्थमा के लक्षण बिगड़ते नहीं हैं।

5 अस्थमा एक्शन प्लान बनाएंः

डॉक्टर की मदद से अस्थमा एक्शन प्लान बनाना चाहिए। यह एक्शन प्लान पैरेंट्स के लिए एक मार्गदर्शिका का काम करता है। इसके द्वारा पैरेंट्स जान सकते हैं कि अस्थमा का दौरा पड़ने पर उन्हें क्या करना है, और कौन सी दवाएं बच्चों को देनी हैं।

6 लक्षणों पर नजर रखेंः

अस्थमा के लक्षणों पर नजर रखना बहुत आवश्यक होता है। इस प्रकार ट्रिगर्स को पहचानकर उसी के अनुसार इलाज किया जा सकता है। पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि अस्थमा के लक्षण किस समय उत्पन्न होते हैं, और उसके संभावित कारण क्या हो सकते हैं।

7 उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएंः

बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना बहुत आवश्यक है। इससे ठंडे मौसम में अस्थमा से उनकी रक्षा हो सकेगी। प्रतिरक्षा प्रणाली को एक संतुलित आहार की मदद से मजबूत बनाया जा सकता है, जिसमें पर्याप्त फल, सब्जी शामिल होते हैं। पर्याप्त पानी पीना भी आवश्यक है।

बच्चों को इम्युनिटी बढ़ाने वाला आहार दें। चित्र:शटरस्टॉक

8 शारीरिक गतिविधि बढ़ाएंः

ठंडे मौसम में बाहरी गतिविधियों को सीमित रखें, लेकिन घर के अंदर नियमित तौर से शारीरिक व्यायाम करते रहें। कसरत से बच्चों की श्वसन प्रणाली में सुधार होता है, और फेफड़े मजबूत बनते हैं।

9 ट्रिगर्स को नियंत्रण में रखेंः

पेरेंट्स घर के अंदर मौजूद ट्रिगर्स, जैसे धूल, पेट्स के डेंडर, या मोल्ड को पहचान सकते हैं। बच्चों को अस्थमा से बचाने के लिए नियमित रूप से घर की सफाई और ट्रिगर्स को दूर करना आवश्यक होता है।

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लेखक के बारे में
Dr. Mubashshir Khan

Dr. Mubashshir Khan is Consultant Neonatology at Manipal hospital, Baner, Pune- Maharashtra. He has been practising exclusively in neonatal intensive care in Mumbai with 8 yrs experience in managing extremely low birthweight babies. Presently Dr. Mubashshir Khan -

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