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क्या सर्दियों में पीना चाहिए पेठे का जूस? विशेषज्ञ बता रहीं हैं ठंडी तासीर वाले इस सुपरफूड के बारे में सब कुछ

आयुर्वेद में आहार को उसकी तासीर के हिसाब से बांटा गया है। कुछ चीजों को केवल एक खास मौसम में ही खाने की सलाह दी गई है। इन दिनों वेट लॉस के लिए पेठे का जूस खूब पसंद किया जा रहा है। तब क्या इसे विंटर डाइट में शामिल किया जाना चाहिए?
पेठा शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। इसलिए यह एक बेहतरीन डिटॉक्सिफाइंग जूस है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published On: 19 Dec 2023, 06:21 pm IST
Preparation Time 4 mins
Cook Time 5 mins
Total Time 10 mins
Serves 2
मेडिकली रिव्यूड

पेठा जूस (Winter melon Juice) गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक पीया जाता है। अत्यधिक पौष्टिक, लो कैलोरी, फाइबर और पानी की बहुत अधिक मात्रा होने के कारण पेठा गर्मियों का सुपरफूड है। उस समय इसकी कई रेसिपी (Petha Recipe) भी खाई जाती है। हालांकि पेठा का अंग्रेजी नाम विंटर मेलन है, लेकिन यह बरसात के मौसम में उगता है और गर्मी में खाया जाता है। आम तौर पर पेठा को ठंडी तासीर वाली सब्जी माना जाता है। तो क्या जाड़े के दिनों में इसका उपयोग (Ash gourd aka petha in winter season) करना चाहिए? इसके बारे में आइये विशेषज्ञ से जानते हैं।

क्या हैं फायदे (Ash Gourd Benefits)

पेठा में 96% पानी, कैलोरी, फैट, प्रोटीन और लो कार्ब्स होते हैं। यह फाइबर से भरपूर होता है। यह पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर, सेलेनियम, सोडियम, मैंगनीज और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। यह पाचन में सुधार लाकर ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है। यह हृदय की भी रक्षा करता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। इसलिए यह एक बेहतरीन डिटॉक्सिफाइंग जूस है। यह वजन घटाने में भी सहायता करता है।

पेठे के व्यंजन 

उत्तर और दक्षिण भारत में पेठा खूब खाया जाता है। सब्जी, करी, रायता, हलवा, मुरब्बा के अलावा, सांबर, अचार, सूप, स्मूदी के रूप में भी यह लिया जाता है। इन दिनों आपको इसके जूस भी बहुत आसानी से मिल सकते हैं।

क्या जाड़े के दिनों में लिया जा सकता है (Ash gourd aka petha in winter season)

पेठा की तासीर ठंडी होती है, लेकिन यह अपने औषधीय गुणों के कारण शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें कैरोटीनॉयड, पेप्टाइड्स और स्टेरोल्स जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। ये पोषक तत्व सामान्य सर्दी और खांसी जैसी स्थितियों के इलाज के लिए पेठे को संभावित एंटीबायोटिक भी बना सकते हैं। इसलिए इसका सेवन वर्ष के किसी भी समय सुरक्षित रूप से किया जा सकता है।

पेठा की तासीर ठंडी होती है, लेकिन यह अपने औषधीय गुणों के कारण शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। चित्र : शटरस्टॉक

राई-हींग से छोंकने या गर्म मसालों के साथ प्रयोग करने पर इसकी ठंडक खत्म की जा सकती है। रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास लौकी के जूस का सेवन करना सबसे अच्छा है। पेठे के जूस का सेवन करने से पहले आयुर्वेद एक्सपर्ट से बात करना न भूलें।

कैसे तैयार करें पेठे का जूस (How to make Ash gourd Juice)

पेठे के जूस के लिए इन सामग्रियों का चुनाव करें (Ingredients of Ash gourd)

गहरे या हल्के हरे छिलके वाले मुलायम पेठे का चुनाव करें। बहुत अधिक सख्त और भारी पेठा नहीं लें। दरार वाले या चोट लगे पेठे का चुनाव न करें।

नींबू का रस (Lemon Juice) : खीरे की तरह पेठे का अपना कोई स्वाद नहीं होता। स्वाद बढ़ाने और हल्के खट्टेपन के लिए हाफ टी स्पून ताजा निचोड़ा हुआ नींबू का रस लें।

एक चुटकी पिसी हुई काली मिर्च (Black Pepper) लें।
स्वादानुसार हिमालयन पिंक साल्ट (Himalayan Pink Salt) ले सकती हैं।

विंटर मेलन जूस या पेठे का जूस कैसे बनाएं (Winter melon juice or Petha Juice)

पेठे को धोकर काट लीजिये। एक छोटा टुकड़ा लेकर उसके बड़े बीज (Ash gourd seeds) हटा दें। बाहरी स्किन को छीलकर इसे ½-इंच के टुकड़ों में काट लें।

पानी के साथ पीसना (Blend with water)

कटे हुए पेठा और आधा ग्लास पानी लेकर ब्लेंडर में डालें। मुलायम होने तक अच्छी तरह पीस लें।
छननी से इसे छान (Ash Gourd Juice Health benefits) लें।

कटे हुए पेठा और आधा ग्लास पानी लेकर ब्लेंडर में डालें। चित्र : अडोबी स्टॉक

इसमें लेमन जूस, काली मिर्च पाउडर और पिंक साल्ट मिक्स कर लें।
इसे और अधिक हेल्दी बनाने के लिए हाफ टी स्पून भुने हुए फ्लैक्स सीड्स को अच्छी तरह स्प्रिंकल कर दें।

अंत में

जाड़े के दिनों में खाली पेट 2-3 दिन तक पेठे का जूस पीने (Petha juice in winter season) से भी स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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