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World Obesity Day: क्या आप जानती हैं कि आपका मोटापा कंट्रोल कर सकती है सौंफ? हम बता रहे हैं कैसे

सौंफ देश के विभिन्न हिस्सों में इसके पाचन-बढ़ाने वाले गुणों के लिए उपयोग किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि रोमन इसका इस्तेमाल मोटापे को मैनेज करने के लिए करते थे।
बहुत पतले होने पर भी बॉडी शेमिंग का शिकार होना पड़ता है।चित्र : शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 4 Mar 2022, 16:00 pm IST
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एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर, पंच फोरन (भारतीय पांच मसालों का मिश्रण) में से एक मसाला भारतीय करी का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पाचन संबंधी समस्याओं के लिए एक प्राचीन उपाय, सौंफ (Fennel seeds) लगभग हर भारतीय रसोई में पाया जाता है। सौंफ के मीठे और शक्तिशाली स्वाद ने इसे आधुनिक फ्रेंच और इतालवी व्यंजनों में भी काफी लोकप्रिय बना दिया है।

सौंफ के औषधीय गुणों को इसकी विशिष्ट सुगंध और स्वाद के लिए प्राचीन काल से जाना जा रहा है। सौंफ के बीज देश के विभिन्न हिस्सों में इसके पाचन-बढ़ाने वाले गुणों के लिए उपयोग किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि रोमन इसका इस्तेमाल मोटापे को मैनेज करने के लिए करते थे।

भारत में खाने के बाद सादा या शुगर कोटेड सौंफ को चबाना आम बात है, लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में लोग इसे स्नैक बनाने के लिए थोड़े से नमक या चीनी के साथ भूनते हैं।

कैल्शियम, विटामिन सी, आयरन, मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर, सौंफ वजन घटाने में अपनी भूमिका के अलावा कैंसर को रोकने के लिए भी जानी जाती है। क्योंकि इनमें एनेथोल नामक एक यौगिक होता है। शोध के अनुसार स्तन कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने और यहां तक कि प्रसार को रोकने में भी यह प्रभावी है। सौंफ में मौजूद एनेथोल भी स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।

वेट लॉस में कारगर है सौंफ। चित्र:शटरस्टॉक

सौंफ के लाभ बता रहीं हैं आयुर्वेद एक्सपर्ट

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ दीक्षा भावसार ने हाल ही में अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में सौंफ के फायदों के बारे में बात की। उन्होंने लिखा, “सौंफ एक प्राचीन भारतीय मसाला है। आमतौर पर मसाले गर्म प्रकृति के होते हैं और पेट को आराम नहीं देते। लेकिन सौंफ इसका अपवाद है। भोजन के बाद सौफ को चबाना सबसे पसंदीदा काम है।आयुर्वेद के अनुसार सौंफ की पाचन क्रिया में विशेष भूमिका होती है।”

डॉ भवसार कहती हैं,”अपने शीतल और मीठे गुणों के कारण, यह विशेष रूप से पित्त को उत्तेजित किए बिना अग्नि (पाचन अग्नि) को मजबूत और गर्म करता है। एक त्रिदोषी जड़ी बूटी के रूप में, सौंफ वात और कफ के लिए भी संतुलन बनाती है, जिसके कारण यह एक बेस्ट पाचन विकल्प है।”

वे आगे कहती हैं,अतिरिक्त वात से पाचन के बाद की परेशानी का अनुभव करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए सौंफ सहायक हो सकती है।

विशेषज्ञ द्वारा सूचीबद्ध सौंफ के कुछ लाभ यहां दिए गए हैं

  1. पुरानी श्वसन स्थितियों में उपयोगी जो क्षीणताकी ओर ले जाती है।
  2. बल्या – शक्ति और प्रतिरक्षा में सुधार करता है
  3. पित्तसरादोषजित – पित्त मूल के रक्तस्राव विकारों में उपयोगी।
  4. अग्निक्रुत – पाचन शक्ति में सुधार करता है
  5. हृदय – हृदय के लिए अच्छा, हृदय टॉनिक
  6. शुक्रपहा, अव्रुश्य – यह कामोत्तेजक नहीं है
  7. योनिशूलनट – मासिक धर्म के दौरान दर्द से राहत दिलाने में भी यह उपयोगी है। महिलाओं के लिए और समर्थन के रूप में, सौंफ का रस धातु पर एक विशिष्ट प्रभाव होता है, जो नर्सिंग माताओं में स्तन के दूध के प्रवाह को बढ़ावा देता है।

डॉ भावसार कहती हैं कि सौंफ कृमि संक्रमण, कब्ज, वात विकार, जलन, एनोरेक्सिया, भोजन में रुचि की कमी, उल्टी और खांसी और सर्दी में भी मदद करती हैं।

सौंफ वजन कम करने के साथ-साथ आपकी त्वचा को भी ग्लोइंग बनाती है। चित्र: शटरस्टॉक

सौंफ के मानसिक स्वास्थ्य लाभ

आयुर्वेद विशेषज्ञ का यह भी कहना है कि सौंफ के सात्विक गुण दिमाग को तरोताजा करने और मानसिक सतर्कता को बढ़ावा देने वाले होते हैं। वे आगे कहती हैं कि इस मसाले को आंखों के लिए भी तरोताजा करने वाला माना जाता है। श्वसन प्रणाली में, सौंफ़ बढ़े हुए कफ को भी कम कर देती है जो फेफड़ों का काम आसान कर देता है।”

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