आपकी रसोई में मौजूद वह गोल्डन मसाला (Golden spice) जो आपके द्वारा बनाई जाने वाली हर सब्जी में इस्तेमाल होता है। हां! हम हल्दी की बात कर रहे हैं। रोजाना हल्दी को अपने भोजन में शामिल करना आपको सेहत के जुड़े कई लाभ प्रदान कर सकता है। आयुर्वेद (Ayurveda) से लेकर मॉडर्न साइंस (Modern Science) तक हल्दी के अद्भुत लाभों पर विश्वास करता है। अगर हल्दी को पृथ्वी का सबसे प्रभावी पोषण पूरक कहा जाए, तो यह बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। असल में हल्दी एक ऐसा मसाला है, जो आपकी स्किन केयर (Skin care) से लेकर कैंसर के बचाव (Anti cancer) तक में आपकी सहायता कर सकता है।
ऐसे कई अध्ययन किए गए हैं, जिनमें हल्दी की विशेषताओं को उजागर किया गया है। हल्दी से मिलने वाले सभी लाभों के पीछे का कारण हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (curcumin) होता है। अगर आपको हल्दी के कई चमत्कारी विशेषताओं के बारे में नहीं पता, तो चलिए हल्दी और करक्यूमिन के साथ-साथ उनके लाभों के बारे में और अधिक जानते हैं।
हल्दी एक ऐसा भारतीय मसाला है, जो सदियों से भारत में औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। विज्ञान भी मानता है कि हल्दी में एक खास यौगिक पाया जाता है। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि हल्दी में पाए जाने वाले यौगिक को करक्यूमिनोइड्स के नाम से जाना जाता है। यह हल्दी का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। इसका शक्तिशाली विरोधी भड़काऊ (anti inflammatory) प्रभाव है और यह एक बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट है।
एक चम्मच हल्दी पाउडर में 29 कैलोरी होती हैं। इसके अलावा इसमें 1 ग्राम प्रोटीन, 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 2 ग्राम फाइबर पाए जाते हैं। हल्दी में मैंगनीज, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे खनिज होते हैं। वहीं हल्दी में मौजूद करक्यूमिन शरीर के कई स्वास्थ्य लाभों से जुड़ा हुआ है।
आयुर्वेद में हल्दी को औषधीय जड़ी-बूटी का दर्जा दिया गया है। इसमें हल्दी का उपयोग वात,पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए किया जाता है। हालांकि आयुर्वेद भी हल्दी का नियंत्रित मात्रा में सेवन करने की ही सलाह देता है। इसके अधिक सेवन से पित्त और वात दोष का संतुलन बिगड़ सकता है।
संचार प्रणाली के रक्त और प्लाज्मा के लिए इसके कई लाभकारी प्रभाव हैं। हल्दी में मौजूद तत्त्व पाचन अग्नि को भी प्रज्वलित करता है, कफ और अमा को कम करने में भी सहायता देता है।
दादी नानी के घरेलू नुस्खों में आपने हल्दी का इस्तेमाल जरूर किया होगा। हल्दी आपकी स्किन केयर रूटीन का एक अभिन्न अंग बन सकती है। यह आपके चेहरे से मुहांसे कम करने, काले घेरे, हल्के निशान, और रूखी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने से लेकर स्ट्रेच मार्क्स कम करने तक काम आ सकती हैं। दरअसल हल्दी में जीवाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा के लिए एक प्राकृतिक क्लींजर के तौर पर काम करता है।
चोट लग जाने पर आयुर्वेद में हल्दी के माध्यम से घाव की सफाई और उपचार किया जाता है। इसके अलावा हल्दी वाला दूध पीने से भी घाव जल्दी भरने में मदद मिलती है। हल्दी के जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण इसे कट, जलन, खरोंच और यहां तक कि मधुमेह के घावों को साफ करने और ठीक करने के लिए एक आदर्श उपाय है।
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कस्टमाइज़ करेंहल्दी में एंटी इनफॉर्मेटरी गुण होते हैं। इस वजह से हल्दी का उपयोग विभिन्न सूजन संबंधित समस्याओं से निपटने में किया जा सकता है। जिसमें अस्थमा, ब्रोन्कियल हाइपरएक्टिविटी और एलर्जी कुछ आम समस्याओं में से एक हैं। NCBI के अनुसार सूजन की समस्या दिल की बीमारी, कैंसर, अल्जाइमर रोग का करण भी बन सकती हैं।
एंटी कैंसर रिसर्च के अनुसार,कैंसर एक बीमारी है, जो अनियंत्रित कोशिका वृद्धि की के कारण होती है। कैंसर के कई अलग-अलग रूप हैं, जो कर्क्यूमिन की खुराक से प्रभावित होते हैं। हल्दी कर्क्यूमिन का एक अच्छा जरिया है। एनसीबीआई पर मौजूद एक स्टडी के अनुसार “कर्क्यूमिन का कैंसर के उपचार में एक लाभकारी जड़ी-बूटी के रूप में अध्ययन किया गया है और कैंसर के विकास और विकास को प्रभावित करने के लिए पाया गया है।”
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