Breast Cancer Treatment : स्तन कैंसर के उपचार के लिए खोजा गया एक खास बायोमेडिकल कंपाउंड, जानिए क्या है यह
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कमोबेश अब उपलब्ध हो गया है। इसके बावजूद इस पर कई आंकड़े हैं। ये जीवन के लिए सबसे खतरनाक रोगों में से एक स्तन कैंसर को मानते हैं। स्तन कैंसर के लक्षणों में स्तन में गांठ, निपल से खून आना और निपल या स्तन के आकार या बनावट में बदलाव भी हो सकता है। इसका इलाज कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है। इसमें कीमोथेरेपी, रेडिएशन , हार्मोन थेरेपी और सर्जरी भी शामिल हो सकती है। हाल में एक विश्वविद्यालय में हुए शोध में स्तन कैंसर के प्रसार को रोकने की क्षमता वाले बायोमेडिकल कंपाउंड के विकसित (breast cancer treatment) करने का दावा किया गया है।
क्या है भारत में आंकड़ा (Breast Cancer statistics in India)
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर वर्ष 10 लाख से भी अधिक महिलाएं स्तन कैंसर की शिकार होती हैं। यह मुख्य रूप से मध्यम आयु वर्ग और अधिक उम्र की महिलाओं में होता है। भारत में स्तन कैंसर के डायग्नूज़ होने की औसत आयु 62 वर्ष है। हालांकि इन दिनों 30-45 वर्ष में भी महिलाओं के स्तन कैंसर से पीड़ित होने के मामले देखे जा रहे हैं, पर उनकी संख्या बहुत कम होती है। यदि विशेष कंपाउंड कारगर होता है, तो यह ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में मील का पत्थर साबित होगा।
क्या है मेटास्टेसिस प्रक्रिया (Metastasis for Cancer)
चीन के लिवरपूल विश्वविद्यालय और नानजिंग मेडिकल स्कूल के केमिस्ट्री और बायोकेमिस्ट्री विभाग के वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया है। किसी मरीज को कैंसर होने पर शरीर में प्रोडयूस हुए प्रोटीन को अवरुद्ध करने का एक संभावित तरीका खोजा गया है। यह्व प्रोटीन शरीर के अन्य हिस्सों में इसके प्रसार का कारण बनता है। यह प्रक्रिया मेटास्टेसिस कहलाती है। यह मरीज़ों की मृत्यु के लिए काफी हद तक ज़िम्मेदार है।
नहीं हो सकता है साइड इफेक्ट (Not Any Side Effect)
आम तौर पर कैंसर के सफल उपचार में बाधा डालने वाली प्रमुख समस्या प्राथमिक ट्यूमर नहीं है। इसे आमतौर पर सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है। प्रोटीन ही शरीर के अन्य अंगों में फैलते हैं।
लिवरपूल विश्वविद्यालय के केमिस्ट्री के एमेरिटस प्रोफेसर फिलिप रुडलैंड बताते हैं, ‘आमतौर पर कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी से किया जाता है। इस उपचार के साइड इफेक्ट भी हैं। ये रोगी को गंभीर नुकसान (Toxins) भी पहुंचा देते हैं। इस शोध में विकसित किया गया बायोमेडिकल कंपाउंड बिना टोक्सिन दुष्प्रभाव के अपना काम कर सकता है।”
हॉर्मोन रिसेप्टर की पहचान (breast cancer treatment)
विश्वविद्यालय की अनुसंधान टीम ने पहले किये गये शोधों में भी पाया था कि विशिष्ट प्रोटीन मेटास्टेटिक प्रक्रिया में शामिल होते हैं। ये प्रोटीन प्राथमिक ट्यूमर के उत्पादन में शामिल प्रोटीन से भिन्न होते हैं। विशिष्ट प्रोटीन हाइली मेटास्टैटिक और लाइलाज हार्मोन रिसेप्टर-फ्री ब्रेस्ट कैंसर से मेटास्टेसिस के केमिकल अवरोधकों की पहचान करती है।
प्रोटीन का संश्लेषण (Protein Synthesis)
विश्वविद्यालय के बायोकेमिस्ट्री के शोधकर्ताओं ने एक नॉवेल कंपाउंड की खोज की, जो विशेष रूप से कोशिका के अंदर मेटास्टेसिस- इन्डयूस प्रोटीन S100A4 के इंटरेकशन को अवरुद्ध कर सकता है। केमिस्ट्री विभाग के शोधकर्ताओं ने एक सिंपल प्रोटीन को संश्लेषित किया। इसे एक वारहेड से जोड़ा गया, जो कोशिका की सामान्य प्रोटीन को नष्ट करने वाली मशीनरी को उत्तेजित करता है। अभी यह प्रयोग सिर्फ चूहों पर किया गया है।
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कस्टमाइज़ करेंअलग-अलग कैंसर में मौजूद समान प्रोटीन
लिवरपूल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, यदि यह प्रयोग सफल रहा (breast cancer treatment), तो समान मेटास्टेटिक कैंसर वाले जानवरों के एक बड़े समूह पर इस अध्ययन को दोहराया जाएगा। इंसानों पर इस कंपाउंड के क्लिनिकल टेस्ट से पहले कंपाउंड के प्रभाव की जांच की जा सकेगी।
शोध में जिस विशेष प्रोटीन की जांच की जा रही है, वह कई अलग-अलग कैंसर में मौजूद होता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि यह कंपाउंड अलग-अलग हयूमन कैंसर के लिए भी प्रभावी हो सकता है।
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