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मानसून में चिपचिपे बालों से परेशान हैं, तो को-वॉश को कीजिए अपने रूटीन में शामिल

जानिए कैसे को-वॉश आपके बालों को सॉफ्ट और स्मूथ बनाने में है कारगर।
बालों को तौलिये में लपेटने से बचें। चित्र- शटरस्टॉक।
विदुषी शुक्‍ला Updated: 10 Dec 2020, 11:23 am IST
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मानसून अपने साथ लाता है बारिश और उमस और उमस के साथ आती हैं ढेरों हेयर प्रॉब्लम्‍स। हम महिलाओं के लम्बे बालों के साथ हज़ारों स्ट्रगल शुरू हो जाते हैं।

पसीने के कारण शैम्पू करने के अगले ही दिन बाल फिर गन्दे हो जाते हैं। बालों में खुजली, पसीना और उसके कारण बदबू हर महिला का नाईटमेयर ही है। हर दिन बाल धोने से बाल ड्राई और रफ़ हो जाते हैं लेकिन गन्दे बालों के साथ दो दिन गुजारना नामुमकिन लगता है। तो अपनाएं को-वॉश की तकनीक। को-वॉश क्या है, यह हम आपको बताते हैं।

क्या है को-वॉश?

को-वॉश यानी कंडीशनर से वॉश। हर दिन शैम्पू करना बालों के लिए खतरनाक होता है, क्योंकि शैम्पू में मौजूद केमिकल बालों का प्राकृतिक तेल भी खींच लेते हैं और बालों को ड्राई कर देते हैं।

ब्रिटिश जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी की स्टडी के अनुसार सल्फेट युक्त शैम्पू हमारी स्कैल्प के पोर्स को बंद कर देता है जिससे नए बाल उगने बन्द हो जाते हैं। साथ ही ज्यादा केमिकल स्कैल्प पर जमने लगता है जिसके कारण बाल झड़ते हैं।

ज्यादा शैम्पू भी हो सकता है दो मुंहे बालों का कारण।चित्र- शटर स्टॉक।

ऐसे में को-वॉश बालों का ऑयल छीने बगैर उन्हें माइल्डली साफ करता है और पसीने के कारण होने वाली खुजली और बदबू को दूर रखता है। को-वॉश की शुरुआत अफ्रीकन हेयर टाइप के लिए हुई थी, और देखते ही देखते यह ट्रेंड बन गया और सेलेब्रिटीज़ से लेकर आम लोग भी को-वॉश के दीवाने हो गए हैं।

लेकिन इसके साथ कुछ सावधानी बरतनी भी ज़रूरी है, क्योंकि हमारा हेयर टाइप अलग है। इंडियन हेयर के लिए क्या सही है और क्या नहीं यह हम आपको बताते है।

कैसे करते हैं को-वॉश?

यह बहुत आसान सा काम है। बस अपने बालों को भिगो लें और किसी भी अच्छे कंडीशनर से बालों को हल्की मसाज करके धो डालें। याद रखें को-वॉश से पहले हेयर मास्क या तेल ना लगाएं।

सप्‍ताह में दो बार बालों को को-वॉश जरूर करें। चित्र: शटर स्‍टॉक

कितनी बार बालों को कर सकते हैं को-वॉश?

एक्सपर्ट स्टाइलिस्ट रिबेका फोरकास्ट बताती हैं कि को-वॉश को धीरे-धीरे ही अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए क्योंकि स्कैल्प को एडजस्ट करने में समय लगता है।
शुरुआत में आपको बाल थोड़े ऑयली भी लग सकते हैं। इसलिए शुरू करें तो हफ्ते में दो बार नॉर्मल वॉश करें और एक बार को-वॉश। उसके बाद आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसे बदल सकती हैं।
अगर आपने हैवी वर्कआउट किया है तो को-वॉश के बजाय शैम्पू को चुने। हफ्ते में एक या दो बार से अधिक शैम्पू का इस्तेमाल न करें। को-वॉश हफ्ते में दो से तीन बार तक कर सकते हैं।

को-वॉश के फायदे

1. बालों के प्राकृतिक तेल को स्कैल्प से निकालता नहीं है, जिसके कारण बाल ड्राई नहीं होते।

2.शैम्पू से नीचे के बाल दो मुहें और बेजान हो जाते हैं। को-वॉश से बाल सिल्की और मुलायम रहते हैं

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3. स्टाइलिंग के लिए भी को-वॉश किये हुए बाल बेहतर होते हैं। शैम्पू से धुले बाल मैनेज करने में समस्या होती है। इसलिए किसी पार्टी में जाने से पहले को-वॉश करना बेहतर विकल्प है।

बालों को मुलायम बनाता है को-वॉश. चित्र- शटर स्टॉक।

4. गर्मी और उमस से राहत मिलती है और बालों को नुकसान भी नहीं पहुंचता।

5. कर्ली बालों के लिए यह टेक्नीक सबसे अच्छी है।

को-वॉश करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान-

1. अगर आपके बाल ऑयली हैं तो को-वॉश से बाल और ज्यादा ऑयली लगेंगे। इसलिए आप इस ट्रेंड से दूर ही रहें।
2. रिबेका बताती हैं, “को-वॉश के बाद जब भी बाल धोएं तो शैम्पू का प्रयोग करें। यानी दो बार लगातार कंडीशनर से बाल न धोएं। इससे बालों पर सिलिकॉन जमने लगता है जिसके कारण बाल सांस नही ले पाते। उस सिलिकॉन को हटाने के लिए शैम्पू का प्रयोग करें।“

विदुषी शुक्‍ला

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