तनावपूर्ण शादी और पिता के देहांत ने मुझे अवसाद की ओर धकेल दिया, ये है जून उदिता की कहानी
मिलिए जून उदिता से, जिन्होंने अवसाद को हराने की ठानी है
सभी को नमस्कार! मैं जून हूं और मैंने अपने जीवन में अभी तक 35 गर्मियों के मौसम देख लिए हैं। प्रोफेशनली में एक कंटेंट क्रिएटर हूं और एक पपी एल्सा की मां भी। बस यही दो चीजें हैं, जो मुझे हर दिन प्रोत्साहित करती हैं। मैं पिछले काफी समय से डिप्रेशन सर्वाइवर हूं।
अवसाद के साथ मेरा सफर
ये सब 2013 में एक एब्यूसिव मैरिज के साथ शुरू हुआ, जहां मुझे मानसिक और शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा। मैं खुद को इन सब के बीच संभालने की कोशिश कर ही रही थी कि मेरे पिता जी का 2019 में आकस्मिक निधन हो गया।
मैं एक बेहद खुशमिजाज लकड़ी थी, जो जिंदगी को सकारात्मक तरीके से जीती थी। मगर इन दो घटनाओं का मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। पहले शादी ने मुझे हिला कर रख दिया, जहां मुझे हर रोज़ किसी न किसी तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि, यह शादी केवल 45 दिनों तक ही चली, लेकिन यह मुझे बदलने के लिए काफी थी।
मुझे खुद को खड़ा करने और जीवन में आगे बढ़ने में काफी समय लगा। मैं अवसाद पर विजय पाने ही वाली थी कि मेरे पिता को पेट के कैंसर का पता चला। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, उनका निधन हो गया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मुझे लगा कि मैं हार गयी हूं। शक्ति और समर्थन का मेरा सबसे बड़ा संबल अब मेरे साथ नहीं था। जीवन उनके बिना खोखला और खाली था।
मैं अवसाद के साथ अब एंग्जायटी की भी शिकार थी
ऐसा नहीं था कि मैं हर समय डिप्रेस्ड फील करती थी, लेकिन मुझे कभी-कभी एंग्जायटी अटैक आते थे। उस वक़्त मुझे ऐसा लगता था कि ये पूरी दुनिया मेरी आंखों के आगे बंद हो रही है। मैं सच में एक-एक सांस के लिए तड़पती थी। चूंकि, मेरे परिवार में, अवसाद को टैबू माना जाता है। इसलिए मैं चिकित्सीय सहायता भी नहीं ले सकती थी।
फिर मुझे अपनी स्थिति की गंभीरता का एहसास हुआ और मुझे लगा कि मैं जो हूं खुद के लिए हूं। ये लड़ाई मुझे खुद से लड़नी पड़ेगी। उसके बाद, हर बार जब मुझे अटैक आते थे, मैं गहरी सांसें लेना शुरू कर देती थी, पानी पीती थी। मैं खुद से बार-बार ये कहती थी कि ”मैं अवसाद को जीतने नहीं दूंगी, मैं एक फाइटर हूं, मैं लडूंगी और जीतूंगी” (I will not let depression conquer me. I am a fighter. I will win)।
यकीन मानिये यह कहना आसान है और करना बहुत मुश्किल! यह काफी कठिन लड़ाई थी, जिससे में आज तक लड़ रही हूं – लेकिन, मैं हार नहीं मानूंगी और सिर्फ जीतूंगी।
यह मेरी कहानी है, एक ऐसी महिला की कहानी, जो अवसादग्रस्त है और अभी भी जिंदगी को भरपूर जी रही है, मुस्कुरा रही है और दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास कर रही है।
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