एक अलग तरह की आभा, आत्मविश्वास और विनम्रता से भरी यह लड़की अपने सफर में अपने अंदाज में बढ़ रही है। पल्लवी बरनवाल सेक्स और इंटीमेसी कोच हैं। एक ऐसा विषय, जिस पर या तो लोग बात नहीं करते, या अभद्र हो जाते हैं। पल्लवी हर मंच पर इसी टैबू को तोड़ने का काम कर रहीं हैं।
सेक्स अवेयरनेस वेबसाइट रेडवोम्ब की संस्थापक पल्लवी ने हेल्थ शॉट्स के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने सफर और चुनौतियों को साझा किए। आइए पढ़ते हैं, उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश।
मुझे नहीं पता था की पुरुषों की प्रवृति कैसी होती है क्योंकि शादी से पहले मैं भी एक आम घरेलू लड़की थी। पुरुषों से बात करने पर मुझे पता चला कि यदि आप उनसे एक बार भी बात कर लेते हैं, तो वो सोचते हैं की ये महिला सेक्स के लिए तैयार है। जबकि हम जानते हैं कि महिलाएं ऐसी नहीं होती। ऐसी ही कई गलत धारणाओं की तह में जाने और उनका कारण ढूंढने के लिए मैंने इस प्लेटफार्म की शुरुआत की।
जब मैंने शादी तोड़ने का फैसला किया, तब एक अलग दुनिया मेरे सामने खुली। मैं औरतों की समस्याओं से वाकिफ हुई और मुझे पता चला कि मेरे जैसी कई महिलाएं हैं, जो मैरिड लाइफ में शारीरिक संबंधों को लेकर खुश नहीं हैं। और वही इस क्षेत्र में आने का मेरा आधार बना।
लोग अपने मन में गलत धारणाएं बना लेते हैं, अगर कोई सेक्स की बात कर रहा है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो अवेलेबल भी है। ये सबसे बड़ी परेशानी थी, जिसका मुझे सामना करना पड़ा। पर अब जाकर लगता है कि ज़माना थोड़ा बदल रहा है, लोग खुलकर बात करने लगे हैं। लोग बिना जाने नंबर मांगने लगते हैं, उन्हें पता नहीं है कि राइट कंडक्ट क्या होता है बात करने का और आपकी मर्यादा को ठेस पहुंचाते हैं। यह आज भी मेरे लिए एक बड़ी चुनौती है।
मुझे नहीं पता था इस फील्ड में जाने से पहले किन मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा साथ दिया। जबकि मेरे रिश्तेदारों ने मेरा साथ छोड़ दिया, यहां तक कि अपने बच्चों से भी मना कर दिया कि मुझसे कोई संपर्क न रखें।
जब मैंने इस रिश्ते से बाहर निकलने का फैसला किया तब मैं एक बच्चे की मां थी। कई पुरुषों के फोन मेरे पास आने लगे, वो भी विवाहित पुरुषों के। मुझे लगा कि वो शायद अपनी मैरिड लाइफ से खुश नहीं हैं। पर ऐसा नहीं था, उन्हें सिर्फ अपनी जिंदगी में थ्रिल चाहिए था। ये सब सुनना मेरे लिए बहुत शॉकिंग था, क्योंकि उनके लिए एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में रहना एक सामान्य बात थी। जबकि मेरे लिए किसी भी रिश्ते में प्यार और आत्मीयता होना बहुत जरूरी है।
आजकल मेरे पास ऐसे बहुत से पुरुषों की समस्याएं आती हैं, जो कहते हैं कि हम हर रात एक नई लड़की के साथ हमबिस्तर होते हैं। मगर सुबह उठकर उसे देखने की भी इच्छा नहीं होती। इसलिए उन्हें शक है कि वे अपनी वैवाहिक जिंदगी में खुश रह भी पाएंगे कि नहीं। आदमियों की यह सोच मेरे लिए काफी चिंताजनक है। यह सोच हमारी उन पुरानी मर्यादा और संस्कार को खण्डित कर रही है। और एक अलग तरह का मनोरोग विकसित कर रही है।
हां, मेरे पास ऐसे बहुत सारे मामले आते हैं, जहां स्त्रियां शादी के 10 वर्ष बाद अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रही होती हैं, क्योंकि उनका पार्टनर उनकी शारीरिक ज़रूरतों को नहीं समझता। वे इस विषय पर खुलकर बात करना भी नहीं चाहती। पर मैं समाज और उनके पार्टनर को बदल नहीं सकती। इसलिए उन्हें इस सिचुएशन को कैसे डील करना है, इस पर बात फोकस करती हूं।
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कस्टमाइज़ करेंनहीं, अभी पूरी तरह से ऐसा नहीं कहा जा सकता। भारतीय स्त्रियां अभी भी अपनी मर्यादाओं से बंधी हैं और कोई भी बड़ा कदम उठाने से डरती हैं। इसके पीछे सामाजिक असुरक्षा की भावना और सामाजिक बहिष्कार का डर रहता है और वे इस बात से भी निश्चिंत नहीं रहती हैं कि मेरा दूसरा पार्टनर मुझे वो सब दे पायेगा जो मुझे इस जिंदगी में चाहिए।
कहीं न कहीं वे बाकी पहलुओं पर भी ध्यान देती हैं। और अगर जिंदगी के बाकी पहलू ठीक हैं, तो वे अपनी इच्छाओं का दमन कर लेती हैं।
“बहुत सारे मामलों में पति-पत्नी रूममेट्स की तरह रह रहे हैं। इसलिए रिश्ते चल रहे हैं मगर लंगड़ाकर!
सेक्स के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। जब मर्द और औरत की बात आती है, तो पुरुष चाहें तो सड़क पर खुले में शौच कर सकते हैं, पैर फैलाकर बात कर सकते हैं, बनियान पहनकर बाहर जा सकते हैं उनके लिए सेक्सुअल फ्रीडम आज भी महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
समाज में जेंडर डिफ्रेंस बहुत बड़ा है और सदियों से चला आ रहा है। इसलिए लोगों को यह सब सामान्य लगता है। यहां तक कि गांव देहात की महिलाओं की समस्या भी कुछ अलग नहीं है। उन्हें घर और खेतों में बराबर काम करना पड़ता है। घर की ज़िम्मेदारी आज भी सिर्फ महिलाओं पर है जिसे बदलना होगा। इसके लिए जरूरी है कि –
1. हमें महिलाओं को अलग करके देखना बंद करना होगा और उनके काम की इज्ज़त करनी होगी
2. घर में दोनों पार्टनर्स को ईगो नहीं लानी चाहिए और आपसी सामंजस्य से घर संभालना चाहिए
3. हर काम में साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण है, घर के काम का भार महिलाओं पर ही नहीं होना चाहिए।
यदि हम इन बातों का ध्यान रखें तो, अपने रिश्तों में सामंजस्य स्थापित कर सकेंगे।
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