Twin pregnancy : सिंगल प्रेगनेंसी से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है जुड़वां गर्भावस्था, जानिए कैसे रखना है ख्याल
मां बनना किसी भी महिला के लिए सबसे सुखद अनुभव होता है। जैसे ही पता चलता है कि घर में एक नन्हा मेहमान आने वाला है, तो पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ जाती है। पर जब ट्विन प्रेगनेंसी (Twin pregnancy) यानी जुड़वां गर्भावस्था (Double pregnancy) का पता चलता है, तो खुशी के साथ-साथ चिंताएं भी डबल हो जाती हैं। स्वभाविक है कि सिंगल प्रेगनेंसी की तुलना में जुड़वां बच्चों की गर्भावस्था ज्यादा जटिल हो सकती है। अगर आप भी जुड़वा बच्चों की मां बनने वाली हैं, तो हेल्थ शॉट्स के इस लेख में एक्सपर्ट बता रहीं हैं इस तरह की प्रेगनेंसी में देखभाल के उपाय।
डॉ प्रतिभा सिंघल, निदेशक- प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, नोएडा डबल या ट्विन प्रेगनेंसी को ज्यादा जटिल मानती हैं। वे कहती हैं, कि “इस दौरान मां और बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी भी डबल हो जाती है। वहीं अगर दो बच्चे अलग-अलग थैली में हैं और अलग-अलग प्लेसेंटा से पोषण प्राप्त कर रहे हैं, तो किसी भी तरह ही समस्या का खतरा बहुत कम हो जाता है।”
अलग-अलग तरह की हो सकती है जुड़वां गर्भावस्था
लगभग एक-तिहाई जुड़वां बच्चे एक जैसी शक्ल के ही होते हैं। इन्हें मोनोजायगोटिक ट्विंस (आइडेंटिकल ट्विंस) कहा जाता है। ऐसा तब होता है, जब एक अंडा शुरुआत में स्पर्म से फर्टिलाइज़्ड (fertilized) होता है और बाद में विभाजित होकर दो भागों में विभाजित हो जाता है। ये बच्चे जन्म के बाद एक जैसे नज़र आते हैं। ये बच्चे या तो दोनों लड़की ही होती हैं या दोनों ही लड़के।
वहीं, एक-दूसरे से बिल्कुल अलग नज़र आने वाले बच्चे डिजीगॉटिक ट्विंस (फ्रेटरनल ट्विन्स) कहलाते है। ऐसा तब होता है, जब दो अलग-अलग अंडे फर्टिलाइज़्ड (fertilized) हो जाते हैं। जन्म के ऐसे बच्चों की शक्ल आपस में बिल्कुल अलग होती हैं। इस तरह की प्रेगनेंसी में एक लड़की और दूसरा लड़का होने की संभावना भी बहुत रहती हैं।
यह भी पढ़े- मीठा खाने से नहीं होती शुगर, एक्सपर्ट से जानते हैं डायबिटीज से जुड़े ऐसे ही कुछ मिथ्स और उसकी सच्चाई
जुड़वां गर्भावस्था में होने वाली संभावित जटिलताएं
- डॉ सिंघल बताती हैं कि जुड़वां गर्भावस्था में सिंगल प्रेगनेंसी की तुलना में जटिलताएं काफी बढ़ जाती हैं।
- जुड़वां गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव होने का जोखिम अधिक रहता है।
- सिंगल प्रेगनेंसी की तुलना में जुड़वां गर्भावस्था में हार्मोन का बदलाव अधिक होता है जिस कारण से उल्टी और रक्तस्राव की परेशानी होती है।
- अधिकतर जुड़वां गर्भावस्था में महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी होने लगती है। यदि यह परेशानी नियंत्रित न की जाए, तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी इसका प्रभाव हो सकता है।
- जुड़वां गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को मधुमेह की परेशानी भी हो सकती है।
- कई महिलाओं में प्रेगनेंसी के समय में खून (एनीमिया) की कमी होती है। जुड़वां गर्भावस्था में यह जोखिम अधिक बढ़ जाता है।
- सिंगल प्रेगनेंसी की तुलना में जुड़वाँ गर्भावस्था में पेट अधिक तेजी से बाहर नज़र आता है। क्योंकि 30-32 सप्ताह में एक जुड़वां गर्भावस्था, 34-36 सप्ताह की सिंगल प्रेगनेंसी से मेल खाती है। इसलिए, माँ अधिक असहज महसूस करती है।
जुड़वां गर्भावस्था देखभाल के लिए कुछ टिप्स
वैसे तो गर्भावस्था में अपना ख्याल रखना बेहद जरूरी है लेकिन डॉ सिंघल बताती हैं कि जुड़वां गर्भावस्था में सिंगल प्रेगनेंसी की तुलना में परेशानी और खतरा अधिक होता है। तो इनसे बचने के लिए कुछ टिप्स फॉलो करने चाहिए।
1 डाइट और एक्सरसाइज
जुड़वा गर्भावस्था में महिला को सिंगल गर्भावस्था की तुलना मेंअधिक भोजन की आवश्यकता होती है, क्योंकि उन्हें तीन लोगों के लिए पोषण लेना है। ताकि गर्भ में पल रहे शिशुओं को समान पोषण प्राप्त हो।
सामान्य डॉक्टर प्रेगनेंसी के समय में महिलाओं को हल्की सैर या एक्सरसाइज करने की सलाह देते है। लेकिन जुड़वा गर्भावस्था में ज्यादातर महिलाओं को आराम करने को कहा जाता है। इसलिए वही करें, जो आपका डॉक्टर सलाह दे रहा है।
2 अल्ट्रासाउंड
जुड़वां प्रेगनेंसी की स्थिति में आपको डॉक्टर के पास ज्यादा विजिट करनी पड़ सकती हैं। डॉक्टर समय-समय अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकते हैं, जिससे दोनों बच्चों की ग्रोथ का पता लगाया जा सके। साथ ही यदि किसी तरह का कोई जोखिम है, तो उससे भी बचा जा सके।
3 चेकअप करना
जुड़वां प्रेगनेंसी में मां की हेल्थ के बारे में पता लगाने के लिए ब्लड प्रेशर, वजन और पेशाब की जांच करवाते रहनी चाहिए। हालांकि ये सिंगल प्रेगनेंसी में भी जरूरी है, पर जुड़वा प्रेगनेंसी में जोखिम ज्यादा हो सकते हैं।
यह भी पढ़े- स्किन की कई समस्याओं से राहत दिला सकता है कपूर, जानें इसके 5 DIY पैक