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आनुवांशिक कारणों के अलावा ये 6 कारक भी बढ़ा सकते हैं ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम 

हर स्त्री के लिए यह जरूरी है कि वह ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरुक हो और उन सभी भ्रामक अवधारणाओं से बाहर आए, जो उसे किसी भी तरह के डर या आशंका में डालती हैं। 
कैंसर का पता चल जाता है उनमें से 98 प्रतिशत लोग ठीक हो जाते है। चित्र: शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 26 May 2022, 19:45 pm IST
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मशहूर हॉलीवुड अदाकारा एंजेलीना जोली (angelina jolie)  ने 2013 में अपने स्तन यह सोचकर हटवा दिए, कि उन्हें इससे ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। उनके डर की वजह थे, उनके परिवार में मौजूद ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री। विशेषज्ञ ब्रेस्ट कैंसर के कारणों में जेनेटिक्स को भी एक वजह मानते हैं। पर यह कतई जरूरी नहीं कि यदि आपके परिवार में मां, बहन या नानी को स्तन कैंसर हुआ है, तो आपको भी जरूर होगा। कुछ ऐसे लाइफस्टाइल संबंधी कारण भी हैं, जो किसी भी परिवार में बिना किसी हिस्ट्री के ब्रेस्ट कैंसर को जन्म दे सकते हैं। आइए जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer causes) संबंधी ऐसे ही कारणों के बारे में। 

एंजेलीना जॉली को यह लगता था कि ब्रेस्ट रिमूवल ही स्तन कैंसर से बचने का एकमात्र कारण है। जबकि यह भी ब्रेस्ट कैंसर के बारे में फैले अन्य मिथ्स में से एक है। स्तन कैंसर क्याें होता है और कैसे आप इससे बची रह सकती हैं, यह जानने के लिए हमने बात की मैत्री वुमंस हेल्थ की फाउंडर डॉक्टर अंजलि कुमार से। अंजलि मानती हैं कि ,”ब्रेस्ट कैंसर के लिए न सिर्फ जेनेटिक बल्कि लाइफस्टाइल से जुड़े कारण समेत अन्य कारण भी ज़िम्मेदार हो सकते हैं। आपकी डाइट, हार्मोंस में बदलाव आना और मोटापा समेत कई ऐसे कारण हैं, जो स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।” 

स्तन कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं लाइफस्टाइल समेत ये कारण

1 शराब पीना 

अमेरिकन कैंसर सोसायटी में छपे एक जर्नल की मानें, तो शराब पीने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जैसे-जैसे आप अपने रूटीन में एल्कोहल की मात्रा बढ़ाती हैं, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ता जाता है। जो महिलाएं एक दिन में कोई एक एल्कोहल ड्रिंक लेती हैं, उनमें शराब न पीने वालों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम में लगभग 7% से 10 बढ़ जाता है। जबकि जो महिलाएं दिन में 2 से 3 बार शराब पीती हैं, उनमें यह  जोखिम लगभग 20% अधिकहोता है। अल्कोहल सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं अन्य प्रकार के कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है ।

शराब पीना भी बढ़ा सकता है ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा। चित्र:शटरस्टॉक

2 अधिक वजन या मोटापा होना

मेनोपॉज के बाद अधिक वजन या मोटापा होने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। मेनोपॉज़ से पहले, एक महिला के अंडाशय ही उसके ज्यादातर एस्ट्रोजन को बनाते हैं। जबकि फैट टिशू बहुत कम एस्ट्रोजन बनाते हैं। मेनोपॉज़ के बाद (जब अंडाशय एस्ट्रोजन बनाना बंद कर देते हैं), तब अधिकांश एस्ट्रोजन फैट टिशूज़ से आता है। मेनोपॉज़ के बाद फैट टिशूज़ के बढ़ जाने से एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है और स्तन कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।

अधिक वजन वाली महिलाओं के ब्लड में इंसुलिन का स्तर अधिक होता है। इंसुलिन का बढ़ा हुआ  स्तर स्तन कैंसर ही नहीं अन्य कैंसर का कारक भी हो सकता है। मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट कैंसर का खतरा उन महिलाओं में ज्यादा होता है, जिनका वजन मेनोपॉज़ के बाद बढ़ा है।

3 फिजीकली एक्टिव नहीं होना

डॉक्टर अंजलि के अनुसार रेगुलर फिजिकल ऐक्टिविटीज़,  स्तन कैंसर के जोखिम को कम करती हैं। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सप्ताह में कुछ घंटे फिजिकल एक्टिविटीज़ ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में मददगार हैं।

शारीरिक गतिविधि, दरअसल शरीर के वजन, बॉडी स्वेलिंग और हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती हैं। जिससे स्तन कैंसर के खतरे को टालने में मदद मिल सकती है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी इस मामले में यह सलाह देती है कि वयस्कों को हर हफ्ते 150 से 300 मिनट स्ट्रेंथ वाली एक्सरसाइज़ और 75 से 150 मिनट की हैवी एक्सरसाइज करनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें, तो हफ्ते में 300 मिनट की एक्सरसाइज आपमें ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं।

ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए रहें फिजिकली एक्टिव, चित्र : शटरस्टॉक

4 कंसीव न कर पाना 

जिन महिलाओं ने कभी कंसीव नहीं किया या जिनका पहला बच्चा 30 साल की उम्र के बाद हुआ है, उनमें स्तन कैंसर का खतरा थोड़ा अधिक होता है। कई बार गर्भधारण करने और कम उम्र में गर्भवती होने से भी स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

5 स्तनपान न करवाया हो 

कई शोध यह बताते हैं कि अगर ब्रेस्टफीड एक वर्ष या उससे अधिक समय तक जारी रहे, तो स्तन कैंसर के जोखिम को थोड़ा कम करने में मदद मिल सकती है। वहीं जो महिलाएं स्तनपान नहीं करवा पातीं, उनमें स्तन कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है।  

6 बर्थ कंट्रोल 

गर्भनिरोधक के तौर पर इस्तेमाल होने वाले कुछ तरीके हार्मोन का उपयोग करते हैं, जिससे स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इनमें ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव भी शामिल हैं। कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव वाले टैबलेट का यूज़ करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा  थोड़ा अधिक होता है। ओरल पिल्स लेने के बाद यह खतरा सर्वाधिक होता है। जबकि पिल्स लेना छोड़ने के कुछ समय बाद से यह ख़तरा कम होता जाता है। 

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वहीं कुछ अध्ययनों में भी यह दावा किया गया है कि बर्थ कंट्रोल के लिए हर 3 महीने में लंबे समय तक काम करने वाले प्रोजेस्टेरोन शॉट्स (जैसे डेपो-प्रोवेरा) लेने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन सभी अध्ययनों में यह नहीं पाया गया है।

बर्थ कंट्रोल इम्प्लान्ट्स, इंट्रॉटेरीन डिवाइसेज़ (IUDs), स्किन पैच, वैजाइनल रिंग्स: बर्थ कंट्रोल के इन सभी तरीकों में हार्मोन का इस्तेमाल होता है, जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। कुछ अध्ययनों ने आईयूडी के उपयोग से भी स्तन कैंसर के जोखिम की बात कही है।

अगर आपकी रूटीन में भी ये बातें शामिल हैं तो ज़रूरी है कि अपने डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट से बात करें और जानें कि किस तरह के बदलावों के साथ आप अपने आपको ब्रेस्ट कैंसर के खतरों से खुद को दूर रख सकती हैं

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शालिनी पाण्डेय

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