क्या PCOS की समस्या वंशानुगत है? हमने गाईनोकॉलोजिस्ट से जाना इसका जवाब
PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक बहुत आम समस्या है, जो जवान महिलाओं में देखी जाती है। भारत में हर पांच में से एक महिला PCOS से ग्रस्त है। इसमें आपकी ओवरी के चारों ओर सिस्ट बन जाती है जिसका दुष्प्रभाव होता है।
PCOS के कारण इनफर्टिलिटी, एंडोमेट्रियल कैंसर, कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का जोखिम और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
PCOS के कुछ लक्षण हैं जिन्हें आप पहचान सकते हैं जैसे अनियमित पीरियड्स, एक्ने, चेहरे और शरीर पर अत्यधिक बाल उगना, मोटापा, बालों का झड़ना और पतला होना, कोलेस्ट्रॉल हाई रहना और टाइप 2 डायबिटीज होना।
क्या है PCOS और जेनेटिक्स में सम्बंध?
PCOS के पीछे जेनेटिक कारण और वातावरण दोनों ही जिम्मेदार हैं। एक हाल ही के शोध के अनुसार परुषों का हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन बनाने के लिये जिम्मेदार जीन्स अगर असंतुलित होते हैं तो PCOS की समस्या होती है।
टेस्टोस्टेरोन बढ़ने पर चेहरे पर बाल आना, सर के बालों का कम होना और शरीर पर बाल बहुत अधिक बढ़ने जैसे लक्षण सामने आते हैं।
जेनेटिक समस्या के कारण हॉर्मोन्स असामान्य तरीके से काम करते हैं, जिससे ओवरी बड़ी हो जाती हैं और पदार्थ भरे फॉलिकल बन जाते हैं। बहुत अधिक टेस्टोस्टेरोन और इंसुलिन की मात्रा अधिक होने के कारण ही यह समस्या आती है।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि PCOS के लिए जेनेटिक्स जिम्मेदार हैं।
किस तरह करना है PCOS को मैनेज?
PCOS का कोई इलाज नहीं होता, लेकिन इसे मैनेज किया जा सकता है ताकि इसके लक्षण कम से कम नजर आएं। PCOS मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है जीवनशैली में बदलाव लाना। हालांकि PCOS घातक नहीं है, लेकिन इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं। इसलिए इसे नियंत्रित करना जरूरी है।
इन कुछ साधारण बदलावों के साथ आप अपनी PCOS की समस्या को कम कर सकती हैं-
1. एक स्वस्थ आहार को प्राथमिकता दें और जंक फूड से बिल्कुल दूर रहें।
2. आप क्या और कितना खा रही हैं इसका सही चुनाव करें।
3. नियमित व्यायाम करें क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होता है।
4. वेट को कंट्रोल में रखें और उसके लिए अपनी दिनचर्या को एक्टिव बनाएं।
5. हर दिन सात से आठ घण्टे की लगातार नींद लें।
6. तनाव से दूर रहें और अपनी पसंद की कोई भी एक्टिविटी करें ताकि आप खुश रहें और PCOS कंट्रोल में रहे।
PCOS के इलाज के लिए दवा, सर्जरी और हॉर्मोन थेरेपी का इस्तेमाल होता है लेकिन जीवनशैली में बदलाव लाना ही इसका सबसे बेहतर उपाय है। एक स्वस्थ जीवन जियें, इससे जीवनशैली से जुड़ी कोई भी बीमारी जैसे मोटापा, डायबिटीज या दिल की बीमारी नहीं होती है।
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